…तो आग लगने पर कुआं खोदने की है तैयारी
सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों में अग्निसुरक्षा के मापदंडों का नहीं रखा जा रहा ख्याल अग्निशमन विभाग भी सिर्फ गर्मी के दिनों में दिखता है एक्टिव भभुआ नगर : जिले के सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान में अग्निसुरक्षा के मापदंडों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. ऐसे में अगर किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान […]
सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों में अग्निसुरक्षा के मापदंडों का नहीं रखा जा रहा ख्याल
अग्निशमन विभाग भी सिर्फ गर्मी के दिनों में दिखता है एक्टिव
भभुआ नगर : जिले के सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान में अग्निसुरक्षा के मापदंडों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. ऐसे में अगर किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान के भवन में आग लगती है, तो लोगों की जान का भी खतरा बना रहेगा. आगलगी से बचाव को लेकर अग्निशमन विभाग भी सिर्फ मॉक ड्रील कराने तक ही सीमित है. शहर में ऐसे कई संस्थान इस गंभीर मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दे रहे. इन संस्थानों के भवनों की सुरक्षा के लिए मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है. भवनों में अग्निशमन यंत्र व पानी की व्यवस्था नहीं है.
नियमानुसार सभी सार्वजनिक संस्थानों व बहुमंजिले निजी भवनों में भी अग्निशमन यंत्र का होना जरूरी है. इसके लिए सरकार ने कड़े नियम भी बनाये हैं व कई तरह के मानदंड निर्धारित किये हैं. शहर में ही कई ऐसे निजी, सरकारी स्कूल, कॉलेज, सरकारी विभाग, सार्वजनिक भवन व बड़ी बिल्डिंगों में अग्निसुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. इतना ही नहीं जिले की अन्य जगहों पर भी अग्निसुरक्षा के नियमों की अनदेखी की जा रही है. इससे कभी भी हादसा हो सकता है. राष्ट्रीय भवन कोड द्वारा फायर एंड लाइफ सेफ्टी के अनुपालन को लेकर अस्पतालों व नर्सिंग होम के लिए भी गाइड लाइन जारी किया गया है. लेकिन, नियमों का पालन काफी कम देखने को मिल रहा है.
फायर सेफ्टी को लेकर नहीं है जागरूकता
फायर सेफ्टी को लेकर निजी से लेकर सरकारी संस्थानों में जागरूकता का अभाव स्पष्ट नजर आता है. इसे लेकर अधिकारी भी ज्यादा गंभीर नहीं दिखते हैं. बहुमंजिली इमारतों सहित अन्य सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में फायर सेफ्टी के तहत सभी तल पर फायर इक्स्टिंगग्विशर व हॉज बॉक्स की व्यवस्था करनी है, ताकि आग लगने की सूरत में अविलंब इन उपकरणों के माध्यम से उस पर काबू पाया जा सके.
प्रत्येक माह स्वमूल्यांकन करने का है नियम
फायर सेफ्टी को लेकर सरकार ने भवन मालिकों को प्रत्येक माह स्वमूल्यांकन करने का गाइड लाइन जारी करते हुए कहा है कि किसी भी हादसे के लिए संबंधित भवन के मालिक या पदाधिकारी जिम्मेदार होंगे. सरकार के निर्देशानुसार सभी व्यावसायिक, शैक्षणिक व सांस्थिक भवनों में फायर सेफ्टी का अनुपालन करना है, ताकि किसी भी तरह के हादसे से बचा जा सके.
क्या कहते हैं अफसर
समय-समय पर संस्थानों की जांच की जाती है. स्कूल कॉलेजों में मॉकड्रील का आयोजन कर अवयरनेस प्रोग्राम चलाया जा रहा है.
रायविमल विद्रोह, सब ऑफिसर, फायर ब्रिगेड
फायर अलार्म लगाना है जरूरी
नियम के अनुसार अस्पतालों सहित अन्य सरकारी भवनों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों व बहुमंजिली निजी भवनों में भी फायर अलार्म लगाना जरूरी है, ताकि दुर्घटना की स्थिति में फायर अलार्म के माध्यम से दुर्घटना की जानकारी मिल सके और उस पर अविलंब कार्रवाई की जा सके. स्कूल कॉलेजों में भी आगलगी की घटनाओं से बचने के लिए जो जरूरी प्राथमिक उपाय संस्थानों में होने चाहिए, वह नहीं दिखते.