जानिए क्‍यों इस गांव की दुल्हनें कोसती हैं अपने भाग्य को, विवाह में भी हो रही रुकावटें

अनदेखी : विवाह में भी रुकावट बन रहीं अकोढ़ीमेला गांव की गलियों में बहती नालियां आजादी के सात दशक बाद भी नाली से ही होकर गुजरते हैं लोग अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से बार बार गुहार लगाने के बाद भी किसी ने सुध नहीं ली मोहनिया सदर : आजादी के सात दशक बाद भी विकास की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2017 12:43 PM
अनदेखी : विवाह में भी रुकावट बन रहीं अकोढ़ीमेला गांव की गलियों में बहती नालियां
आजादी के सात दशक बाद भी नाली से ही होकर गुजरते हैं लोग
अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से बार बार गुहार लगाने के बाद भी किसी ने सुध नहीं ली
मोहनिया सदर : आजादी के सात दशक बाद भी विकास की पहुंच से कोसों दूर पंचायत मुख्यालय अकोढ़ीमेला अब भी अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है. स्थिति यह है कि इस गांव की गलियों में नाली का गंदा पानी इस तरह बहता है कि पता ही नहीं चलता है कि यह गांव का रास्ता है या गंदा नाला.
फिर भी लोग उसी गंदे रास्ते से होकर दिन-रात गुजरने को विवश हैं. इसमें सबसे बुरा हाल है, इस गांव के वार्ड दो का, जहां अब तक विकास की एक किरण भी धरातल पर नहीं पहुंच सकी है. रास्तों पर पसरा नाली का बजबजाता गंदा पानी यहां के युवकों की शादी में भी बाधक बनने लगा है. इस 21वीं सदी में भी विकास से कोसों दूर इस गांव में कोई अपनी बेटी की शादी करना नहीं चाहता है.
स्थिति यह है कि कुछ लोग अपने बेटों की शादी रिश्तेदारों के घर रह कर तय करते हैं. लेकिन, जब शादी कर दुल्हन अपने ससुराल आती है और उसको सुबह शाम घुटना तक साड़ी उठा कर इन बजबजाती नालियों से होकर गुजरना पड़ता है, तो वह भी अपने भाग्य को कोसने लगती है. इतना ही नहीं लड़की की शादी के बाद जब उसके मायके के लोग चौथी पर आते हैं, तो वह भी गांव के गलियों की यह दशा देख अपनी बेटी को इस गांव में विवाह करने पर अफसोस जताते हैं.
ऐसे समय में दुल्हन का युवा भाई तो इस कदर आग बबूला होता है कि मानों वह सारा रिश्ता ही एक पल में तोड़ देगा और अपनी बहन को लेकर यहां से हमेशा के लिए चला जायेगा. वाह रे इस गांव की दुर्दशा जिसे देख हर कोई दंग रह जाता है. आजादी से लेकर अब तक कई मुखिया, बीडीसी व वार्ड सदस्य बने. लेकिन, किसी ने इस बदहाल गांव में नाली निर्माण कराने की पहल नहीं की. इतना ही नहीं वार्ड सदस्य विमला देवी ने इस समस्या को लेकर अपने लेटर पैड पर बीडीओ को लिखित आवेदन दिया. लेकिन, किसी ने इस वार्ड के विकास के प्रति सोचा तक नहीं.
बोलीं वार्ड सदस्य – वार्ड सदस्य विमला देवी कहती है कि इस वार्ड के लोगों की समस्या को न तो अधिकारी सुनते हैं और न ही मुखिया. हमने बीडीओ को लिखित आवेदन दिया. लेकिन, पहल नहीं की गयी. यहां का जीवन नारकीय हो गया है.
बोले बीडीओ – बीडीओ अरुण सिंह ने कहा कि जब तक वह गांव ओडीएफ नहीं होगा. तब तक वहां विकास का कोई कार्य नहीं होगा. ओडीएफ होने के बाद ही नाली-गली का निर्माण होगा.
क्या कहते हैं ग्रामीण
यहां की दुर्दशा देख कर कोई हम से शादी करने को तैयार नहीं था. हमारी शादी मामा के गांव खड़सरा रह कर तय हुई. मेरी पत्नी जब घर आयी, इसके बाद उसके मायके के लोग चौथारी पर आये तो नाली से होकर उन लोगों को आना-जाना पड़ा. यह देख कर मेरा साला इतना गुस्सा हो गये कि उनको किसी तरह लोगों ने समझाया बुझाया.
राज कुमार, ग्रामीण
यहां रास्ता पर नाली का पानी बहता है, पता ही नहीं चलता है कि रास्ता है या नाली. दूसरे गांव के लोग यहां की दुर्दशा देख कर यहां रिश्ता जोड़ना तक पसंद नहीं करते हैं. मेरी पत्नी तो बहुत नाराज रहती है. कहती है मेरी किस्मत फूटी थी, जो पिता जी ऐसे गांव में शादी कर दिये. यहां दिन-रात नाली में होकर आना जाना पड़ता है.
दिनेश कुमार, ग्रामीण
प्रशासन स्वच्छता की बात करता है. यहां रास्ता पर नाली का गंदा पानी बहता है. इस समस्या को तो पहले दूर करिये. दिन-रात हमलोग घुटना बराबर नाली के गंदा पानी में होकर आते-जाते हैं. यह किसी को नहीं दिखाई देता है. रास्ता के बगल से नाली बन जाती तो ऐसा कष्ट क्यों उठाना पड़ता.
श्रवण कुमार, ग्रामीण

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