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अनुमंडल के सबसे बड़े अस्पताल में सर्दी की भी दवा नहीं!

अस्पताल के ओपीडी में 33 के बदले 18 प्रकार की दवाएं हैं मौजूद बाहर से दवा खरीद कर लाना मरीजों की मजबूरी मोहनिया शहर : इन दिनों मोहनिया का अनुमंडलीय अस्पताल महज 18 दवाओं के दम पर चल जा रहा है. अस्पताल में इन दिनों दवाओं की घोर कमी है. अस्पताल में आवश्यक दवाएं मरीजों […]

अस्पताल के ओपीडी में 33 के बदले 18 प्रकार की दवाएं हैं मौजूद
बाहर से दवा खरीद कर लाना मरीजों की मजबूरी
मोहनिया शहर : इन दिनों मोहनिया का अनुमंडलीय अस्पताल महज 18 दवाओं के दम पर चल जा रहा है. अस्पताल में इन दिनों दवाओं की घोर कमी है. अस्पताल में आवश्यक दवाएं मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं.
इस मौसम में बुखार, सर्दी, खांसी वाले मरीजों की तादाद अस्पताल में बढ़ी है. खांसी की दवा नहीं रहने से अधिकतर मरीज निराश होकर बाहर से दवा खरीद रहे हैं. अनुमंडलीय अस्पताल में पदस्थापित विशेषज्ञ डॉक्टर आवश्यक दवाओं के अभाव में सही तरीके से मरीजों का इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल में कफ सीरप, मलेरिया की दवा सहित कई अन्य दवा इन दिनों नहीं है. यहां तक की अस्पताल के डिलेवरी कक्ष में तो ग्लब्स भी नहीं है, जिसे मरीज बाहर से खरीद कर लाते हैं.
मोहनिया के मिनी ट्राॅमा सेंटर की भी हालत खराब : अनुमंडलीय अस्पताल में जब मिनी ट्राॅमा सेंटर का शुभारंभ हुआ था तो लोगों में आस जगी थी कि अब मरीजों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन, इनदिनों मिनी ट्राॅमा सेंटर की हालत भी खराब है. स्थिति यह है कि जरा सा इमरजेंसी होने पर मरीजों को डॉक्टर तुरंत बाहर रेफर कर देते हैं. लोगों के कथनानुसार ऐसी स्थिति में मिनी ट्राॅमा सेंटर बनने का क्या फायदा.
मौसम में उतार-चढ़ाव से बीमारियों की चपेट में लोग: इन दिनों मौसम में नित्य उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. कभी गरमी तो कभी ठंड हो रही है. मौसम की इस उठा पटक के कारण लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. खास कर सर्दी, खांसी, बुखार के अधिकतर मरीज अस्पताल में दिख रहे हैं. इसके बावजूद अनुमंडलीय अस्पताल में विभिन्न रोगों से जूझ रहे मरीजों को दवाओं की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
स्वास्थ्य कर्मियों के मुताबिक, अनुमंडलीय अस्पताल में अभी सबसे ज्यादा खांसी, बुखार रोग से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं. लेकिन, इस बीमारी से निबटने के लिए दवा भी उपलब्ध नहीं है. मरीजों को बाहर की मेडिकल दुकानों से दवा की खरीदारी करनी पड़ रही है.
मोहनिया शहर : अनुमंडलीय अस्पताल में सरकार के निर्देश पर सप्ताह के मंगलवार व गुरुवार को बंध्याकरण ऑपरेशन किया जाता है, जिसमें महिलाओं को जांच बाहर के एक निजी पैथोलॉजी में कराना पड़ता है, तब ही बंध्याकरण ऑपरेशन किया जाता है.
मरीज को बाहर लगभग 300 रुपये जांच के नाम पर खर्च करनी पड़ती है, जिसका खुलासा मंगलवार को प्रभात खबर टीम द्वारा पड़ताल में हुआ. दरअसल, हुआ यह कि मंगलवार को महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन होना था, जिसमें कई गांव से 20-30 महिलाओं ने अपना आवेदन बंध्याकरण ऑपरेशन के लिए जमा किया था. आवेदन की जांच की गयी, तो अस्पताल के बाहर एक निजी अन्नु पैथोलॉजी में एचबी सहित कई जांच रिपोर्ट लगाया था. अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब अनुमंडलीय अस्पताल में जांच की सुविधा उपलब्ध है, तो किस परस्थिति में बाहर जांच मरीजों से करायी जा रही है.
गौरतलब है कि पिछले माह प्रखंड के अहिनौरा गांव की इंदू देवी का बंध्याकरण ऑपरेशन किया गया था.उसके पहले अस्पताल में जांच की व्यवस्था के बावजूद महिला को एक निजी जांच केंद्र में भेज जांच करायी गयी थी, जिस जांच के आधार पर बंध्याकरण ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद महिला की स्थिति काफी गंभीर हो गयी. खून की काफी कमी पायी गयी थी, जिसके बाद किसी तरह महिला का जान बच सकी. इस मामले में अस्पताल प्रबंधक सर्वेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में सभी जांच की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन, जो लैब टेक्नीशियन है वह छुट्टी पर है, जिसके कारण बाहर से मरीज जांच कराये होंगे.
अस्पताल में नहीं है ग्लब्स
अनुमंडलीय अस्पताल में इन दिनों कई प्रकार की जरूरी दवाओं की घोर कमी तो हैं ही, इसके अलावे प्रसव के लिए उपयोग में आनेवाले हाथ में लगाने वाले ग्लब्स की भी कमी है.
जानकारी के अनुसार, प्रसव कराने आनेवाले मरीजों को ही बाहर से ग्लब्स खरीद कर लाना पड़ता है. इसके आयरन, कैल्शियम, पेट दर्द की दवा, डाइसाइक्लोमीन, आई-ईयर व नोज ड्राप सहित कई प्रकार की दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. बच्चों को बुखार होने पर दी जाने वाली दवा पारासिटामोल सिरप, पैखाना और उल्टी की दवा भी नहीं है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक आउटडोर में 33 दवाइयां होनी चाहिए, जिसमें अभी मात्र 18 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हैं.
अक्सर होता है दवा काउंटर पर विवाद
दवा उपलब्ध नहीं रहने के कारण स्वास्थ्यकर्मियों व मरीजों के बीच अक्सर तू-तू, मैं-मैं की नौबत बनी रहती है, जिसके चलते स्वास्थ्यकर्मियों को काफी परेशानी भी उठानी पड़ती है. दवा काउंटर से मरीज व उनके परिजन काफी निराश मन से वापस लौटने को मजबूर होते हैं. लेकिन, विभाग मरीजों की इस समस्या से निजात दिलाने के प्रति रुचि नहीं दिखा रही है.
अनुमंडलीय अस्पताल में दवाओं की कमी का खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. सरकारी अस्पताल में दवा नहीं रहने के कारण लोगों को बाहर से दवाओं की खरीदारी करनी पड़ रही है, जिसके चलते उन्हें अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ रही है. ऐसे में गरीब मरीजों का आर्थिक शोषण हो रहा है.

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