सदर अस्पताल में एक्सपायर्ड दवाओं का खुलासा करनेवाले डीएस हटाये गये

भभुआ : सदर अस्पताल में करीब डेढ़ वर्षों से छिपा कर रखी गयी एक ट्रक से ज्यादा एक्सपायर्ड दवाओं का खुलासा करने का खामियाजा प्रभारी उपाधीक्षक (डीएस) डॉ विनोद कुमार को भुगतना पड़ा. उन्हें पद से हटा दिया गया है. अब उनकी जगह भगवानपुर के चिकित्सक डॉ गंगानंद प्रसाद को सदर अस्पताल का नया प्रभारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2017 8:50 PM

भभुआ : सदर अस्पताल में करीब डेढ़ वर्षों से छिपा कर रखी गयी एक ट्रक से ज्यादा एक्सपायर्ड दवाओं का खुलासा करने का खामियाजा प्रभारी उपाधीक्षक (डीएस) डॉ विनोद कुमार को भुगतना पड़ा. उन्हें पद से हटा दिया गया है. अब उनकी जगह भगवानपुर के चिकित्सक डॉ गंगानंद प्रसाद को सदर अस्पताल का नया प्रभारी उपाधीक्षक बनाया गया है.

गौरतलब है कि पिछले 20 दिसंबर को सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने सिविल सर्जन को पत्र लिख कर स्टोर में रखी एक्सपायर्ड दवाओं के बारे में बताया था. प्रभारी उपाधीक्षक के पत्र के आधार पर प्रभात खबर की खबर पर जिलाधिकारी ने संज्ञान लेते हुए अस्पताल के स्टोर की जांच करायी, तो एक ट्रक से ज्यादा एक्सपायर्ड दवाएं मिलीं. इस मामले की जांच एसडीएम ललन प्रसाद के नेतृत्व में एसडीपीओ भभुआ, सिविल सर्जन व डीपीएम कर रहे हैं. अब प्रभारी उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार की जगह भगवानपुर के चिकित्सक डॉ गंगानंद प्रसाद को प्रभारी उपाधीक्षक बनाना स्वास्थ्य विभाग की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है. हालांकि, डॉ गंगानंद को सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक बनाये जाने के पीछे क्षेत्रीय अपर निदेशक पटना के पत्र का हवाला दिया गया है.

एक्सपायर्ड दवाओं को चुपके से हटाने की थी योजना

पिछले शुक्रवार को सदर अस्पताल में डीएम के निर्देश पर गठित जांच टीम के नेतृत्वकर्ता एसडीएम ललन प्रसाद, एसडीपीओ अजय प्रसाद, ड्रग इंस्पेक्टर ने एक्सपायर्ड दवाओं की विधिवत विवरणी बनवा कर उसे दूसरे कमरे में रखवाने का काम शुरू कराया. इस दौरान अस्पताल के स्टोरकीपर विपिन कुमार से भी पूछताछ की गयी, तो उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले भंडारपाल अजय कुमार ने इन दवाओं को रखवाया था. जिले के भंडार के वरीय पदाधिकारी इसकी जांच करते, इसलिए उन्होंने दो दिनों के लिए इस कमरे में दवाओं को रखा. बाद में जब एक्सपायर्ड दवाओं को ले जाने के लिए कहा, तो वह टालमटोल करते रहे. इन दवाओं को काले रंग के पॉलीथिन में पैक कर हटाने की योजना थी, लेकिन तब तक मामला उजागर हो गया.

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