रिटायर्ड आर्मी व पुलिस के जवान ही एसपीओ के पद पर होंगे बहाल
भभुआ कार्यालय : नक्सलग्रस्त जिलों में केंद्रीय गृह विभाग द्वारा एसआरइ(सुरक्षा संबंधित व्यय) के तहत पुलिस विभाग में अब एसपीओ के पद पर रिटायर्ड आर्मी एवं पुलिस के जवान ही बहाल हो सकेंगे. भारत सरकार के गृह विभाग द्वारा नक्सल प्रभावित जिलों के लिए एसआरइ के तहत जारी किये गये नये गाइडलाइन में एसपीओ के […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
January 25, 2018 5:39 AM
भभुआ कार्यालय : नक्सलग्रस्त जिलों में केंद्रीय गृह विभाग द्वारा एसआरइ(सुरक्षा संबंधित व्यय) के तहत पुलिस विभाग में अब एसपीओ के पद पर रिटायर्ड आर्मी एवं पुलिस के जवान ही बहाल हो सकेंगे. भारत सरकार के गृह विभाग द्वारा नक्सल प्रभावित जिलों के लिए एसआरइ के तहत जारी किये गये नये गाइडलाइन में एसपीओ के पद पर किसी भी सामान्य व्यक्ति के बहाली पर रोक लगा दी गयी है. अब एसपीओ के पद पर सिर्फ वहीं लोग बहाल हो सकेंगे,
जो आर्मी एवं पुलिस विभाग से सेवानिवृत हैं. एसपीओ के पद पर पहले जिलास्तर पर बहाली की जाती थी. पहले के नियम के मुताबिक जो लोग नक्सली गतिविधियों के संदर्भ में पुलिस को सूचना दें, उन्हें एसपीओ के पद पर डीएम व एसपी द्वारा जिलास्तर पर बहाल करना था. इसके एवज में उन्हें मानदेय के तौर पर तीन हजार रुपया दिया जाता था. एसपीओ के पद पर बहाली के लिए उम्र सीमा 18 से 50 निर्धारित की गयी थी. कैमूर जिला नक्सल प्रभावित होने के कारण यहां लगभग 100 की संख्या में एसपीओ की बहाली की गयी है, जिसमें महिला व पुरुष दोनों हैं. इसके साथ ही सैकड़ों लोग एसपीओ में बहाल होने के लिए अभी भी काम कर रहे हैं. लेकिन, एसपीओ बहाली के लिए आये इस नये गाइडलाइन से कई लोगों को बड़ा झटका लगेगा.
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश पर बिहार के आईजी अभियान ने सभी नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को पत्र लिख निर्देश दिया है कि गृह विभाग ने समीक्षा में पाया है कि एसपीओ के ऊपर जो खर्च किया जा रहा है, उसका बड़े पैमाने पर कोई लाभ विभाग को नहीं मिल रहा है. ऐसे में गृह विभाग ने एसपीओ के ऊपर होनेवाले खर्चे को कम करने का निर्देश दिया है. आईजी अभियान के उक्त आदेश के बाद एसपीओ का खर्चा कम करने के लिए पुलिस विभाग एसपीओ के कार्योँ की समीक्षा शुरू कर दिया है, जो भी एसपीओ काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें हटाने की दिशा में कार्रवाई की जायेगी. हालांकि, एसपीओ को लेकर एक जमीनी सच्चाई यह भी है कि सरकार ने एसपीओ को इसलिए रखने का निर्णय लिया था. ताकि, नक्सल क्षेत्र में रहनेवाले लोग पुलिस को नक्सल गतिविधि की सूचना दें. ताकि, नक्सलवाद पर लगाम लगाया जा सके. साथ ही पुराने गाइडलाइन के मुताबिक एसपीओ के पहचान को भी गोपनीय रखना था. लेकिन, मौजूदा परिस्थिति में जमीनी हकीकत यह है कि अधिकतर एसपीओ गोपनीय तरीके से सूचना देने का काम छोड़कर थाने में एवं अधिकारियों के यहां काम कर रहे हैं. साथ ही उनकी पहचान भी सार्वजनिक हो चुकी है.
नक्सलग्रस्त जिलों में सूचना के लिए पुलिस प्रशासन में बहाल किये जाते हैं एसपीओ
अब तक 18 से 50 वर्ष तक के उम्रवाले किसी भी व्यक्ति की एसपीओ में होती थी बहाली
पुलिस मुख्यालय ने एसपीओ के खर्चे में कटौती का दिया आदेश
बहाली के लिए एसआरई कमेटी से लेनी होगी स्वीकृति
एसपीओ की बहाली के लिए नये गाइडलाइन के मुताबिक नक्सल प्रभावित जिलों में एसपीओ को बहाल करने के लिए डीएम व एसपी द्वारा कितने और क्यों एसपीओ की जरूरत है, इसका प्रस्ताव बनाकर एसआरइ कमिटी को भेजा जायेगा. एसआरइ कमिटी जब स्वीकृति देगी, उसके बाद ही रिटायर्ड आर्मी एवं पुलिस के जवानों को एसपीओ के पद पर बहाल किया जायेगा. हालांकि, एसपीओ को हर माह मिलनेवाले पैसे में बढ़ोतरी करते हुए तीन हजार से छह हजार कर दिया गया है.
क्या कहती हैं एसपी
उक्त मामले में पूछे जाने पर एसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि अब एसपीओ के पद पर रिटायर्ड आर्मी एवं पुलिस के योग्य जवानों की ही बहाली होगी. वहीं जो लोग बहाल हैं, उनके कार्यों की समीक्षा की जा रही है, जो लोग एसपीओ के गाइडलाइन के मुताबिक सूचना देने का काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें हटाया जायेगा.