किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती करने के सिखाये तरीके
मोहनिया प्रखंड मुख्यालय के प्रांगण में हुआ खरीफ महाअभियान महोत्सव मोहनिया सदर : सोमवार को प्रखंड मुख्यालय के प्रांगण में खरीफ महाअभियान महोत्सव का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन प्रखंड प्रमुख रिंकी देवी ने दीप जला कर किया. इस अभियान के अंतर्गत किसानों को कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए श्री विधि […]
मोहनिया प्रखंड मुख्यालय के प्रांगण में हुआ खरीफ महाअभियान महोत्सव
मोहनिया सदर : सोमवार को प्रखंड मुख्यालय के प्रांगण में खरीफ महाअभियान महोत्सव का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन प्रखंड प्रमुख रिंकी देवी ने दीप जला कर किया. इस अभियान के अंतर्गत किसानों को कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए श्री विधि धान, संकर धान दलहन, तिलहन व मक्का की वैज्ञानिक खेती करने के तरीकों के बारे में बताया गया. इस दौरान कहा गया कि बिहार राज्य में धान की खेती मुख्यता खरीफ मौसम में करीब 34 लाख हेक्टेयर में की जाती है. विगत के वर्षों में वर्षा कम होने से या आवश्यकतानुसार समय पर वर्षा नहीं होने पर धान की रोपाई समय से नहीं हो पाती है.
साथ ही कृषि मजदूरों का पलायन होने से भी किसानों को धान की रोपाई संबंधी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वस्तुतः किसान धान की खेती करना धीरे-धीरे कम करते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को जीरो टिलेज द्वारा धान की बुआई करने की सलाह दी जाती है. जीरो टिलेज द्वारा धान की बुआई संसाधन संरक्षण खेती की एक तकनीक है. इस तकनीक से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ उत्पादन लागत घटाते हुए किसान अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
जीरो टिलेज व श्री विधि से खेती करने के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी गयी. कार्यक्रम में उप परियोजना निदेशक कैमूर नवीन कुमार, तकनीकी सहायक अरुण पांडेय, बीएओ गणेश सिंह, सभी प्रखंड कृषि समन्वयक, सभी कृषि सलाहकार, उप प्रमुख प्रमोद सिंह सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे.
हानिकारक कीट व उनसे बचाव
गंधी कीड़ा-यह कीड़ा धान में दूध भरने के समय कीटों के कारण दाना खखड़ी हो जाता है. इसका लक्षण धान का दागदार या कुरुप होने के साथ धान का काला पड़ जाना है. इसके उपचार के लिए जब कीटों की संख्या 10 कीट से अधिक हो जाये, तो रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाना चाहिए. मालाथियॉन पांच प्रतिशत धूल का भुड़काव 6-8 किग्रा प्रति एकड़ की दर से प्रात: काल करें.
तना छेदक कीड़ा
इन कीटों की सक्रियता वर्षा के ऋतु के अंत में बढ़ जाती है. एसीफेट 75 प्रतिशत एसपी एक ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.
भूरा व हरा मधुआ कीट
इमिडाक्लोप्रीड 17.8 ईसी का प्रयोग एक मिली प्रति तीन लीटर पानी की दर से प्रयोग करें. कार्बरिल 50 घू०चू० या एसीफेट 75 घू०चू० एक ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बना कर पौधे के आधार भाग पर छिड़काव करें. वैज्ञानिक ने गोबर के खाद के प्रयोग पर बल दिया.
खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करें
बुआई के पहले हल्की सिंचाई कर खेत की जुताई करने से खरपतवार को बहुत हद तक नियंत्रण किया जा सकता है. जीरो टिलेज से बुआई करने के दो दिनों के अंदर 400 एमएल पेंडीमिथिलीन को 200 लीटर पानी में घोल कर एक एकड़ खेत में छिड़काव करने से 20 दिनों तक कोई खरपतवार नहीं जमता है. यह दवा खरपतवार को जमने के पहले मार देता है. धान में उगे हुए खरपतवारों के समुचित नियंत्रण के लिए नोमिनीगोल्ड 100 मिलीलीटर दवा 200 लीटर पानी में घोल बना कर एक एकड़ में छिड़काव करें.