13 साल से बिना कागजात के दौड़ रहीं नगर पर्षद की 12 गाड़ियां

मामला नगर पर्षद भभुआ का है, जिसके ट्रैक्टर, मैजिक, जेसीबी सहित 12 गाड़ियां बिना रजिस्ट्रेशन व इंश्योरेंस के सड़कों पर कई साल से फर्राटे भर रही है. यह ट्रैफिक व परिवहन नियम का खुल्लम-खुला उल्लंघन है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है

By Prabhat Khabar News Desk | May 24, 2024 8:46 PM
an image

भभुआ सदर. जब शहर में सरकारी महकमा ही कानून की धज्जियां उड़ाने में मशगूल है, तो आम जनता की बात ही क्या करें. इस मामले में एक अंतर साफ दिखता है कि आम आदमी को इसका उल्लंघन महंगा पड़ता है, वहीं सरकारी महकमा बेरोक-टोक अपना काम जारी रखता है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. मामला नगर पर्षद भभुआ का है, जिसके ट्रैक्टर, मैजिक, जेसीबी सहित 12 गाड़ियां बिना रजिस्ट्रेशन व इंश्योरेंस के सड़कों पर कई साल से फर्राटे भर रही है. यह ट्रैफिक व परिवहन नियम का खुल्लम-खुला उल्लंघन है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है. अगर इन गाड़ियों से किसी की मौत हो जाती है, तो मरने वालों को एक भी पैसा नहीं मिलेगा. साथ ही इंश्योरेंस के अभाव में अगर इन वाहनों की चोरी हो जाती है, तब भी इसका रिफंड नहीं मिल पायेगा, जो पब्लिक फंड का भारी नुकसान होगा. कुल मिला कर दोनों स्थितियों में नुकसान आम जनता का ही है, जिसके टैक्स के पैसे से वाहन की खरीदारी तो होती है. लेकिन, इसमें साफ-साफ लापरवाही देखने को मिल रही है. =वाहनों का नहीं कराया जा सका रजिस्ट्रेशन नगर पर्षद द्वारा 2011-12 में शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए तीन ट्रैक्टर व तीन मैजिक सहित जेसीबी की खरीदारी की गयी थी. इसके बाद भी दो मैजिक, एक बड़ा जेसीबी, पोकलेन और सक्शन मशीन की खरीद हो गयी. लेकिन, 13 साल की अवधि भी इनके रजिस्ट्रेशन व बीमा के लिए नगर पर्षद को कम पड़ गये. ये वाहन बिना जरूरी कागजात के ही फर्राटे भर रहे हैं. अब 13 साल में इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाना विभागीय लापरवाही को दर्शाता हैं. =अब इन वाहनों से कौन वसूलेगा फाइन एक तरफ तो सड़क पर आम आदमी का बिना नंबर लिखी गाड़ियां और बिना हेलमेट कही दिखती है, तो उसकी जांच-पड़ताल में पुलिस और परिवहन विभाग लग जाती है. इनसे इस एवज में फाइन की भी वसूली की जाती है. वहीं, इसके कारण आमलोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं, दूसरी तरफ नगर पर्षद द्वारा किये जा रहे परिवहन नियमों के उल्लंघन पर किसी का ध्यान नहीं है. जबकि, माना जाता है कि कानून की नजर में सभी समान हैं. वहीं, नियमतः सात साल के बाद रजिस्ट्रेशन व बीमा कराने पर नगर पर्षद को भारी जुर्माना चुकाना होगा. अब यह भी तो जनता की राशि का दुरुपयोग ही है. =फर्राटा भर रहे वाहनों का बीमा भी नहीं वहीं, दूसरी तरफ शहर में पुलिस महकमे या परिवहन विभाग द्वारा एक दिन भी इंश्योरेंस फेल होने पर आम पब्लिक पर कार्रवाई करते हुए उनसे वाहन का फाइन वसूला जा रहा है. इस दौरान वाहन मालिक से तरह-तरह के सवाल पूछे जाते है. आम पब्लिक के पास वाहनों के जरूरी कागजात नहीं होने पर पुलिस का सबसे पहला सवाल होता है कि तुम्हारी गाड़ी का इंश्योरेंस फेल है और तुम्हें इसके लिए जुर्माना भरना पड़ेगा. लेकिन, जब सरकारी महकमे की बात आती हैं तो सरकार और प्रशासन के यही नुमाइंदे देखते हुए भी गलतियों को नजरअंदाज करने में तनिक भी देर नहीं लगाते. =किसी दुर्घटना पर कौन होगा जिम्मेदार इस मामले में सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न हैं कि बिना रजिस्ट्रेशन और बीमा के शहर में दौड़ लगा रहे नप के वाहनों से अगर किसी की दुर्घटना हो जाती है, तो उसका देनदार जिम्मेदार कौन होगा. दुर्घटना में मौत या घायल होने से थर्ड पार्टी को कोई क्लेम नहीं मिल पायेगा. वहीं, वाहन चलाने वाले और वाहन पर भी कोई क्लेम लागू नहीं होगा. वहीं, दूसरी ओर यही बात नगर पर्षद पर भी लागू होती है. अगर बगैर इंश्योरेंस के चलने वाले नप के वाहनों से किसी की मौत या दुर्घटना होती है, तो ऐसी स्थिति में इस अस्वभाविक हादसे का जिम्मेदार कौन होगा. =बोले इओ इस मामले में नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय का कहना था कि नगर पर्षद के सभी सफाई वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. दस्तावेज परिवहन विभाग को सौंपा गया है. आठ वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, बाकी वाहनों का भी जल्द रजिस्ट्रेशन हो जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version