CM नीतीश ने राजद पर कसा तंज, कहा- अब नहीं है बिहार में लालटेन की जरूरत
कैमूर : अब बिहार में लालटेन की जरूरत नहीं है और न ही किसी भूत का डर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैमूर जिला अंतर्गत धनेछा हाइस्कूल के मैदान में सिंचाई परियोजना के शिलान्यास और जनसभा को संबोधित करते हुए बिहार में विकास की चर्चा करते हुए बगैर नाम लिये राजद पर हमला करने से […]
कैमूर : अब बिहार में लालटेन की जरूरत नहीं है और न ही किसी भूत का डर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैमूर जिला अंतर्गत धनेछा हाइस्कूल के मैदान में सिंचाई परियोजना के शिलान्यास और जनसभा को संबोधित करते हुए बिहार में विकास की चर्चा करते हुए बगैर नाम लिये राजद पर हमला करने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा कि हम जो कहते हैं वह करके दिखाते हैं. हमने कहा था कि सात निश्चय योजना के अंतर्गत 31 दिसंबर 2018 तक बिहार के हर घरों में बिजली पहुंचा दी जायेगी और वह काम हमने पूरा किया. इसी तरह हमने लक्ष्य रखा है कि 31 दिसंबर 2019 तक कृषि फीडर बना कर इच्छुक किसानों को अलग से बिजली का कनेक्शन दे दिया जायेगा. वहीं 31 दिसंबर, 2019 तक राज्य के सभी पुराने जर्जर बिजली के तार को भी बदलने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार में अंधेरा समाप्त हो गया है. बगैर नाम लिये हुए राजद पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि पहले लोग बच्चों को डराते थे कि अंधेरे में मत जाओ भूत पकड़ लेगा, अब हर गांव व घर में बिजली पहुंच गयी है, अब कहीं भूत का डर नहीं है़ बिहार में अब लालटेन की जरूरत नहीं रह गयी है.
दुर्गावती जलाशय परियोजना को लेकर विपक्षियों पर बोला हमला
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिंचाई व सड़क को लेकर विपक्षियों पर भी जम कर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कैमूर में जल संसाधन विभाग की कुल छह योजनाओं का कार्यारंभ व शिलान्यास किया जा रहा है. मैं स्पष्ट तौर से कह देना चाहूंगा कि इन सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जो समय सीमा निर्धारित की गयी, उसे निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरा करना सुनिश्चित करें. मेरी आदत है कि जो कहिए उसे पूरा करिए, अगर समय पर पूरा नहीं करना है तो हमें वहां नहीं बुलाइए. साथ ही उन्होंने कहा कि समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण 100 करोड़ की योजना पहले एक हजार करोड़ पर पहुंच जाया करती थी. इसका जीता-जागता उदाहरण दुर्गावती जलाशय परियोजना है. मैंने सत्ता की कमान संभालने के बाद जल संसाधन विभाग में बाढ़ नियंत्रण व सिंचाई प्रणाली को अलग-अलग कर दिया है. इसके कारण आज निर्धारित समय सीमा के अंदर योजनाएं पूरा हो रही हैं.
पहले सड़क से ही बिहार की सीमा में प्रवेश का चलता था पता
उन्होंने सड़क को लेकर भी 15 साल के राजद का बगैर नाम लिये जम कर हमला बोलते हुए कहा कि जब पहले लोग यूपी से बिहार में घुसते थे और उबड़-खाबड़ सड़कों के कारण गाड़ियां ढक-ढकाने लगती थी, तो लोग समझ जाया करते थे कि वे बिहार में प्रवेश कर गये हैं. यही हाल झारखंड से बिहार में प्रवेश करने पर भी रहती थी. सड़कों की हालत इतनी खराब थी कि लोग बिहार आने से कतराते थे. मेरी सरकार आने के बाद सड़क बनाने की दिशा में ऐतिहासिक काम हुआ है. पहले हमलोगों ने यह लक्ष्य निर्धारित किया था कि बिहार के किसी कोने से राजधानी छह घंटे में पहुंचने की व्यवस्था होगी और उस काम को हमलोगों ने पूरा किया. आज के समय में बिहार के किसी भी कोने से छह घंटे में पटना पहुंच सकते हैं. अब हमारा नया लक्ष्य यह है कि बिहार के किसी कोने से पटना पांच घंटे में पहुंचा जाये, इसके लिए युद्धस्तर पर सड़क के चौड़ीकरण, पुल पुलिया, अंडरपास बनाने का काम चल रहा है.