भभुआ सदर : नगर पर्षद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी के लिए जल्द ही घमासान शुरू होनेवाला है. बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर खेमेबंदी शुरू हो गयी है. खेमेबंदी का ही असर रहा कि गुरुवार को नगर पर्षद द्वारा बुलायी गयी सामान्य बैठक में नगर अध्यक्ष और इक्का दुक्का पार्षदों को छोड़ बैठक में कोई नहीं पहुंचा और अंततः नप अध्यक्ष को बैठक स्थगित कर नप ईओ को बैठक स्थगित करने की जानकारी भेजना पड़ी.
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नगर पर्षद में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बढ़ी सरगर्मी
भभुआ सदर : नगर पर्षद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी के लिए जल्द ही घमासान शुरू होनेवाला है. बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर खेमेबंदी शुरू हो गयी है. खेमेबंदी का ही असर रहा कि गुरुवार को नगर पर्षद द्वारा बुलायी गयी […]
इधर, अगले या इसके बाद वाले सप्ताह में लाये जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के लिए शहर के पार्षद अलग-अलग खेमे में जमा हो रहे हैं. वहीं, प्रस्ताव को लेकर प्रलोभन का दौर भी शुरू हो गया है. बताया जाता है कि पार्षद इसे रिचार्ज का समय मानते हैं और एक बार रिचार्ज होने के बाद वह बचे हुए समय के लिए अपने आप को अगले नगर निकाय चुनाव के लिये तैयार कर लेते हैं.
दोनों खेमों के लोग कर रहे हैं बहुमत का दावा: अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दोनों खेमों के लोग बहुमत का दावा कर रहे हैं. कुल 25 पार्षदों में से कोई 18, तो कोई 20 पार्षदों के अपने पक्ष में होने की बात कह रहा है. बताया जा रहा है जून के दूसरे या तीसरे सप्ताह में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
उसके बाद फैसला हो जायेगा कि वर्तमान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अपनी कुर्सी बचा लेते है या फिर किसी दूसरे के हाथ नगर पर्षद की ताज लगती है. नप ईओ अनुभूति श्रीवास्तव के अनुसार, उनके पास अभी कोई भी विश्वास या अविश्वास का प्रस्ताव पेश नहीं किया गया है. निर्धारित अवधि नौ जून के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
जम कर होगा जनता के पैसों का बंदरबांट
पता चला है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दोनों गुटों के धुरंधर आमने-सामने हैं. दोनों तरफ से जबर्दस्त खेमेबंदी भी शुरू हो गयी है. इसके लिए लेन-देन और प्रलोभनों का दौर भी शुरू हो गया है. नप से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र की मानें तो एक-एक पार्षद को इसके लिए मोटी रकम भी दी जा रही है और उन्हें शहर से फिलहाल दूर रखा जा रहा है. माना यह भी जा रहा है कि बचे हुए कार्यकाल में यह राशि जनहित के विकास कार्यों में लूट-खसोट द्वारा वसूली जायेगी.
पार्षदों को अपने पक्ष में करने को लगा रहे जोर
लाये जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पार्षदों को अपने खेमे में मिलाने के लिए दोनों पक्ष ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, जिसके लिए पार्षदों को मुंह मांगी रकम दिये जाने की बात कही जा रही है. एक वार्ड पार्षद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह समय उनके लिए रिचार्ज का समय होता है. एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने के पश्चात अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्हें अच्छी खासी रकम की पेशकश की जाती है.
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