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पार्टी मनाने के लिए दुकानदार को ले गये थे खेत की ओर

भभुआ सदर : पुलिस को दिये अपने बयान में मृतक के चाचा राजकुमार सिंह ने बताया है कि रविवार सुबह उपेंद्र अपनी दुकान पर था. इसी दौरान गांव का तेजबली सिंह आया और बाहर चले जाने से पहले पार्टी कर लेने की बात कहते हुए दुकानदार को अपने साथ नदी की ओर चलने को कहा. […]

भभुआ सदर : पुलिस को दिये अपने बयान में मृतक के चाचा राजकुमार सिंह ने बताया है कि रविवार सुबह उपेंद्र अपनी दुकान पर था. इसी दौरान गांव का तेजबली सिंह आया और बाहर चले जाने से पहले पार्टी कर लेने की बात कहते हुए दुकानदार को अपने साथ नदी की ओर चलने को कहा.

लेकिन, नदी किनारे स्थित चौकीदार जंगबहादुर के खेत में ही ताड़ी पीने के दौरान आरोपितों और उपेंद्र के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ, इसके बाद धीरज सिंह, शैलेश सिंह सहित अन्य लोग दुकानदार पर टूट पड़े और दौड़ा-दौड़ा कर परचून दुकानदार को कभी पेट में तो कभी पीठ में चाकू गोदते रहे.
दुकानदार के शरीर में 13 से ज्यादा चाकुओं के जख्म आये बताये जा रहे है. चचेरे भाई नीतीश का कहना था कि दुकान पर तीन दिन पहले भी शैलेश और धीरज आकर पैसे के लिए गाली-गलौज कर एक महीने के अंदर जान से मारने की धमकी देकर गये थे.
परिजनों ने लगाया पुलिस के देर से पहुंचने का आरोप चाकुओं से गोद कर हत्या किये गये युवक अपने तीन अन्य भाइयों के साथ मुंबई में रहता था और वहीं पर डंपर आदि चलाता था. डेढ़ वर्ष पहले जब बिड्ड़ी गांव की रहनेवाली मतिरानी से उसका विवाह हुआ, तो तब से वह गांव कुंज में ही परचून की दुकान खोल रखा था.
परचून दुकानदार की हत्या के संबंध में शव को नहीं उठाने देने को लेकर अड़े मृतक के घरवालों के कहना था कि उपेंद्र की चाकू मार कर हत्या किये जाने की सूचना मिलते ही परिजन गांव के उत्तर स्थित दैतरा बाबा की ओर दौड़ पड़े. लेकिन, तब तक दुकानदार के शरीर से अत्यधिक खून निकलने से उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो चुकी थी. इसके बाद तत्काल बाद परिजन द्वारा इसकी सूचना पुलिस को दी गयी.
लेकिन, परिजनों के अनुसार, सुबह साढ़े आठ बजे भभुआ थाने की पुलिस को हत्या की जानकारी देते हुए तत्काल कुंज गांव पहुंचने को कहा. लेकिन, हत्या की सूचना मिलने के बाद भी पुलिस व अधिकारी घटना के लगभग डेढ़ घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे. तब तक दुकानदार को बेरहमी से चाकू मारनेवाले सभी आरोपी मौके की नजाकत को भांपते हुए गांव से फरार हो गये. इधर, पुलिस पंचनामा करने और पूछताछ करने में ही लगी रही.
परिजनों का यह भी कहना था कि अगर पुलिस 23 मई को मारपीट व तोड़फोड़ करने की दी गयी शिकायती आवेदन पर कार्रवाई की होती, तो आज दुकानदार जिंदा होता. पुलिस आंखें मूंद पड़ी रही. इसका परिणाम यह रहा कि पुलिस की सुस्ती से बदमाशों का हौसला और बढ़ गया और रविवार को परचून दुकानदार की उसके ही साथी और अन्य बदमाशों द्वारा पार्टी करने के नाम पर बुला कर नदी की ओर ले जाया गया और उसकी चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी गयी.

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