पशुओं के पानी पीने के लिए बनाये गये 21 वाटर टैंकों में 13 बंद
जिले में तीन-चार वर्ष पूर्व पशुओं के पानी पीने के लिये बनाये गये 21 पशु वाटर टैंकों में से जांच में 13 वाटर टैंक बंद पाये गये और जांच टीम ने मात्र आठ वाटर टैंकों को ही चालू हालत में पाया.
भभुआ. जिले में तीन-चार वर्ष पूर्व पशुओं के पानी पीने के लिये बनाये गये 21 पशु वाटर टैंकों में से जांच में 13 वाटर टैंक बंद पाये गये और जांच टीम ने मात्र आठ वाटर टैंकों को ही चालू हालत में पाया. सरकार के निर्देश पर अप्रैल माह में इन वाटर टैंकों की जांच करने के लिए पटना से टीम आयी थी. मालूम हो जिले में इस समय भीषण गर्मी और लू चल रही है, जहां तेज धूप चमड़ी को झुलसा दे रही है. भूजल स्तर भागने के कारण चापाकलों से लेकर सबमर्सिबल पंप तक जवाब दे रहे हैं. पहाड़ी प्रखंडों में तो स्थिति और भी खराब है, जहां बूंद-बूंद पानी के लिए आदमी संघर्ष कर रहे हैं, वहां पशुओं की बात करना ही बेमानी है. हालांकि, पशुओं को पानी पीने के लिए जिले में वित्तीय वर्ष 2019-20 में कैटल ट्रफ यानी वाटर टैंक बनाने की योजना जिले में आयी थी. इसके बाद पशुपालन विभाग की अनुशंसा पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा जिले के रामपुर और नुआंव प्रखंड को छोड़ कर शेष नौ प्रखंडों में पशु वाटर टैंकों का निर्माण कराया गया था. इसके बाद लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा इन सभी वाटर टैंकों को संबंधित पंचायतों को हैंड ओवर कर दिया गया. लेकिन, इन वाटर टैंकों से पशुओं की कितनी प्यास बुझ रही है, इसकी याद सरकार को इस गर्मी में आयी. इसे लेकर इन वाटर टैंकों की जांच करने का निर्देश सरकार स्तर से जिला पशुपालन विभाग को दिया गया. इसके बाद इन वाटर टैंकों की जांच के लिए पशुपालन विभाग द्वारा नौ टीमों का गठन किया गया. इन टीमों द्वारा अप्रैल माह में जिले में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा विभिन्न पंचायतों में बनाये गये पशु वाटर टैंकों की जांच की गयी. इसमें 21 में से 13 वाटर टैंक विभिन्न कारणों से बंद पाये गये. वहीं, मात्र सात वाटर टैंकों में जांच टीम ने पानी पाया था. इधर, अधौरा प्रखंड में किये गये वाटर टैंकों के पटना से आयी जांच टीम के साथ नोडल पदाधिकारी बनाये गये जिला पशुपालन विभाग के डाॅ कुंदन कुमार ने बताया कि अधौरा प्रखंड में पानी की किल्लत को देखते हुए सबसे अधिक 11 पशु वाटर टैंक बनाये गये थे, जिसमें से सारोदाग गांव कोरंवा टोला, सड़की गांव के यादव और हरिजन टोला तथा भुईफोर के यादव टोला के ही पशु वाटर टैंक क्रियाशील पाये गये हैं. जबकि, शेष वाटर टैंक बंद पाये गये. उनके द्वारा वाटर टैंकों में पानी नहीं होने का कारण कहीं सोलर सिस्टम से चल रहे सबमर्सिबल पंप में खराबी होना तो कहीं स्टार्टर जल जाना आदि बताया गया था. – बोले कार्यपालक अभियंता इस संबंध में जब कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग अमित कुमार से बात की गयी, तो उनका कहना था कि विभाग को पशु वाटर टैंक बनाने का निर्देश दिया गया था. उसे बनाने के बाद पंचायतों को हैंड ओवर कर दिया गया. अब वाटर टैंकों के संचालन की जिम्मेदारी पंचायतों की है विभाग की नहीं. वैसे पशु पालन विभाग से मिली जानकारी के बाद खराब वाटर टैंकों की मरम्मत कराने के लिए सरकार को प्राक्कलन भेजा गया है. जिले में बनाये गये पशु वाटर टैंक के ब्योरा प्रखंड गांव बंद/ चालू अधौरा जमुनीनार बंद अधौरा कोल्हुआं बंद अधौरा बडवानकलां बंद अधौरा डुमरांवा बंद अधौरा भुईफोर चालू अधौरा आथन बंद अधौरा सड़की चालू अधौरा बिदुरी बंद अधौरा सारोदाग चालू अधौरा अधौरा बंद अधौरा बभनीकला बंद चांद किलनी बंद भभुआ सोनहन चालू चैनपुर नौघरा बंद चैनपुर लोहरा चालू भगवानपुर गौरा चालू भगवानपुर अवसान चालू कुदरा बसहीं चालू रामगढ़ कलानी बंद मोहनिया भरखर बंद दुर्गावती सावठ बंद इनसेट 1 प्रचंड गर्मी में प्यास से छटपटा रहे पालतु पशु व जंगली जीव भभुआ. पहाड़ी जिले कैमूर में इस समय पड़ रही प्रचंड गर्मी के कारण पालतु पशु से लेकर जंगली जीव भी छटपटा रहे हैं. गौरतलब है कि पशु वाटर टैंकों का निर्माण खासकर पहाड़ी पंचायतों में अधिक कराया गया था. इसमें पहाड़ी प्रखंड अधौरा, चैनपुर तथा भगवानपुर में कुल 16 वाटर टैंक बनवाये गये थे, ताकि पालतु पशुओं के साथ साथ भटके हुए जंगली जीव भी अपनी प्यास बुझा सकें. लेकिन, पशु वाटर टैंकों की बदहाली से न तो पालतु पशुओं को पूरा पानी मिल पा रहा है, न तो जंगली जीव ही इन वाटर टैंकों का लाभ उठा पा रहे हैं. पहाड़ी प्रखंड में भूजल स्तर नीचे जाने और ताल तलैयों को सूखने के साथ ही मार्च-अप्रैल माह से ही पशुओं को पानी नहीं मिलने के कारण पशुपालक पहाड़ी प्रखंडों से अपने पशुओं को लेकर मैदानी इलाकों में बड़े तालाब या पोखर के आस पास अपना डेरा जमा कर रखते हैं. ताकि पशुओं की प्यास बुझायी जा सके. यही नहीं कैमूर अाभ्यारण्य के कई जंगली जीव जिसमें हिरण, लंगूर, लकड़बघ्घा, नीलगाय आदि हर साल गर्मी में मैदानी इलाकों में पानी की तलाश में भटकते देखे जाते हैं. जहां इस भटकाव में कुछ जंगली जीव ग्रामीणों के हाथ लगने के बाद अपनी जान भी गंवा देते हैं. इन्सेट 2 मंत्री के गांव में भी पशु वाटर टैंक है बंद भभुआ. जिले में सरकार के निर्देश पर प्यासे पशुओं को गर्मी में प्यास बुझाने के लिये बनावाये गये पशु वाटर टैंकों की हालात का इससे अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो जमा खां के गांव में भी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से बनवाया गया पशु वाटर टैंक वर्तमान में क्रियाशील नहीं है. इस पशु वाटर टैंक का निर्माण मंत्री के प्रखंड चैनपुर की उदयरामपुर पंचायत में पड़ने वाले मंत्री के गांव नौघरा में पोखरा की बगल में कराया गया था. पशु वाटर टैंकों की जांच टीम ने यहां के टैंक को क्रियाशील नहीं पाया था. बंद होने का कारण सबमर्सिबल और स्टार्टर उपलब्ध नहीं होना बताया गया था.
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