भभुआ : अपने कारनामों के लिए मशहूर शिक्षा विभाग का एक और नया कारनामा सामने आया है. ये कारनामा है हत्या के आरोपित शिक्षक के प्रतिनियोजन का. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव सहित राज्यस्तर के पदाधिकारियों ने प्रतिनियोजन को लेकर लगायी गयी रोक बाद भी विभाग के अधिकारी सभी आदेशों को ठेंगा दिखा प्रतिनियोजन कर रहे हैं.
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रोक के बाद भी हत्या के आरोपित शिक्षक का किया प्रतिनियोजन
भभुआ : अपने कारनामों के लिए मशहूर शिक्षा विभाग का एक और नया कारनामा सामने आया है. ये कारनामा है हत्या के आरोपित शिक्षक के प्रतिनियोजन का. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव सहित राज्यस्तर के पदाधिकारियों ने प्रतिनियोजन को लेकर लगायी गयी रोक बाद भी विभाग के अधिकारी सभी आदेशों को ठेंगा दिखा प्रतिनियोजन कर […]
हद तो तब हो जाती है जब उस शिक्षक का प्रतिनियोजन कर दिया जाता है जिसके खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज हैं. अब हत्या के आरोपित शिक्षक का प्रतिनियोजन किस परिस्थिति में किया जाता है ये हर किसी की समझ से बाहर है. गौरतलब है कि जिले में चल रहा प्रतिनियोजन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है.
हत्या के आरोपित शिक्षक के प्रतिनियोजन का नया मामला सामने आया है वो चैनपुर का है. चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के पर्दानशीन उर्दू मकतब में कार्यरत शिक्षक लालबाबू पर चैनपुर के खड़ौरा के ट्रैक्टर मिस्त्री बाबूलाल पासवान की हत्या का आरोप है. बाबूलाल की पत्नी लक्ष्मीना देवी के बयान पर चैनपुर थाने में शिक्षक लालबाबू रंजन उर्फ एल बी पासवान सहित पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
इस प्राथमिकी के बाद शिक्षक विद्यालय से फरार है व शिक्षा विभाग की अधिकारियों से मिल भभुआ प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय शिवपट्टी में अपना प्रतिनियोजन कराया.
हत्या के आरोपित का प्रतिनियोजन किस परिस्थिति में विभाग ने की है. जबकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि शिक्षकों का प्रतिनियोजन किसी भी परिस्थिति में नहीं करना है. सरकार के आदेशों को जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी खुलेआम अंगूठा दिखा रहे हैं.
बोले डीइओ
उपरोक्त मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी सूर्यनारायण ने किसी भी प्रतिनियोजन से इन्कार करते हुए कहा कि वे प्रतिनियोजन समाप्त कर रहे हैं. प्रतिनियोजन करने की बात पूरी तरह से गलत है.
बोले अधिकारी
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कल्याण पदाधिकारी राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि चैनपुर विकास मित्र के खिलाफ जांच प्रारंभ कर दी गयी है. क्योंकि सरकारी सेवा के दौरान उसने वकालत की पढ़ाई की है. जो गैर कानूनी है. जांच के क्रम में प्रथमदृष्टया मामला सही प्रतीत होता है. हालांकि इसकी जानकारी के लिए संबंधित यूनिवर्सिटी को पत्र लिखा गया है कि दिवाकर राम आपकी यूनिवर्सिटी से कब वकालत की डिग्री प्राप्त किया.
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