औरंगाबाद : शहर में लगे अवैध होर्डिंग पर नगर पर्षद का ध्यान नहीं

औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर होर्डिंग, बैनर व पोस्टरों से पटा है. शहर का रमेश चौक, धर्मशाला चौक व कचहरी कैंपस का इलाका वैध के साथ-साथ अवैध होर्डिंग का प्रमुख केंद्र बन गया है. विभिन्न पार्टियों के नेताओं को नियम-कानून से कोई वास्ता नहीं है. जब मर्जी होर्डिंग लगा दिया. नगर पर्षद भी इन पर कोई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2019 2:32 AM

औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर होर्डिंग, बैनर व पोस्टरों से पटा है. शहर का रमेश चौक, धर्मशाला चौक व कचहरी कैंपस का इलाका वैध के साथ-साथ अवैध होर्डिंग का प्रमुख केंद्र बन गया है. विभिन्न पार्टियों के नेताओं को नियम-कानून से कोई वास्ता नहीं है. जब मर्जी होर्डिंग लगा दिया.

नगर पर्षद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती. जबरन पोस्टर चिपकाने वाले लोगों का ताल्लुक राजनीतिक दलों से होने के कारण नगर पर्षद भी उन पर कार्रवाई करने से बचती है. शहर में कई होर्डिंग्स है जो यातायात व्यवस्था को प्रभावित करते है फिर भी उसे हटाया नहीं जाता. फ्लैक्स सुरक्षा निधि जामा करवाकर नगर पर्षद द्वारा जिन लोगों को विज्ञान होर्डिंग्स लगाने की जिम्मेदारी दी गयी है वे राजनीतिक गतिविधियों से परेशान रहते है. इससे विज्ञापनदाता को भी घाटा होता है.
इन्हें जो वैध जगह उपलब्ध करायी गयी है वहां व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों व अन्य संस्थाओं का विज्ञापन किया जाता है. हालांकि, इसका शुल्क निर्धारित है, लेकिन जो एक-दो महीने के लिए विज्ञापन करवाते है वह कभी-कभी 10-15 दिनों में ही उतर जाते है. शहर की सड़कों पर चलते वक्त एक नजर उठा कर देखने से ही वैध व अवैध होर्डिंग्स पता चल जाता है. शहर के विज्ञापनदाता बताते हैं कि किराये पर चल रहे होर्डिंग्स पर अवैध रूप से होर्डिंग्स लगा दिया जाता है.
स्थिति यह है कि शहर में बिजली खंभों से लेकर अन्य शासकीय संपतियां भी अवैध होर्डिंग्स व बैनर का बोझ ढो रही है. इस संबंध में नगर पर्षद के मुख्य पार्षद उदय प्रसाद गुप्ता ने कहा कि नगर पर्षद द्वारा होर्डिंग्स लगाने के लिए प्राइवेट एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गयी है. एजेंसी के लोग किस तरह से मुनाफा कमाते है इसकी जानकारी नहीं है. नगर पर्षद को तय राजस्व से मतलब है. प्राइवेट एजेंसी तय रुपये जमा करती है इसके बाद ही उसे होर्डिंग्स लगाने की अनुमति दी गयी है.

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