गली और मुहल्लों में चल रही मुहर्रम के मातम की तैयारी, ताजिये का निर्माण जोरों पर
भभूआ : शहर में मुहर्रम का शोक मनाये जाने की तारीख 12 सितंबर तय हो गयी है. इसके साथ ही मुहर्रम की तैयारियों में शहर की मुस्लिम समुदाय के लोग जुट गये हैं. मुस्लिम मोहल्लों के ताजियेदारों की मानें तो सभी कमेटियां इस बार शहर के ताजिये की बंदिश, सजावट, खूबसूरती और चमक-धमक की नयी […]
भभूआ : शहर में मुहर्रम का शोक मनाये जाने की तारीख 12 सितंबर तय हो गयी है. इसके साथ ही मुहर्रम की तैयारियों में शहर की मुस्लिम समुदाय के लोग जुट गये हैं. मुस्लिम मोहल्लों के ताजियेदारों की मानें तो सभी कमेटियां इस बार शहर के ताजिये की बंदिश, सजावट, खूबसूरती और चमक-धमक की नयी इबारत लिखेंगे. इस बार ताजियों में परंपरागत खूबसूरती के साथ आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर उन्हें नया रूप दिया जा रहा है.
कई ताजियों में मुगल व अंग्रेजी शासन के समय की इमारतों को जगह दी गयी है, तो कुछ ने अभ्रक व थर्माकोल, शीशे की कटिंग में नयी तकनीकों का इस्तेमाल किया है. कुछ जगहों पर तो भारतीय तिरंगे का ही रूप दिया जा रहा है.
शहर के नवाबी मुहल्ले में साथियों के साथ ताजिये बनाने में जुटे युवा नेता रिजवान शेख ने बताया कि परंपरा भले ही पुरानी हो, लेकिन कई मुहल्लों की ताजिया कमेटियां इस हुनर में नयापन लाने की कोशिश में लगी हुई हैं. उन्होंने बताया कि ताजिये बनाने की पुरानी कला बरकरार है. लेकिन, अब मॉडर्न तकनीक व नये स्टाइल इस्तेमाल होने लगे हैं.
छावनी मुहल्ले के ताजिये में जहां हल्के नीले के साथ गुलाबी नगर का गुलाबी रंग शामिल किया गया है. वहीं, दक्षिण मोहल्ले के ताजिये में पुरानी इमारतों हूबहू शक्ल तैयार कर बंदिश की जा रही है. वहीं, चैनपुर के मुड़ी गांव में ताजिये के निर्माण में जुटे गुलशने हुसैन साबरिया कमेटी के खलीफा सैरुल्ला शेख ने बताया कि उनके यहां शीशे और झूमर आदि से ताजिये का निर्माण किया जा रहा है.
मुहर्रम से इस्लामी साल का महीना होता है शुरू: मुस्लिम जानकर मुस्तफा अली राही के अनुसार, मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करनेवाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है. इस माह की उनके लिए बहुत विशेषता और महत्ता है और यह इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम हिजरी संवत का प्रथम महीना भी है. मुहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना होता है. इसे हिजरी भी कहा जाता है.
हिजरी सन की शुरुआत इसी महीने से होती है. इतना ही नहीं, इस्लाम के चार पवित्र महीनों में इस महीने को भी शामिल किया जाता है और अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने भी इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. दरअसल, इराक में हजरत इमाम हुसैन ने जालिम बादशाह यजीद के विरुद्ध जंग का एलान कर दिया था.
मोहम्मद-ए-मूस्तफा के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला नामक स्थान में परिवार व दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था. जिस महीने में हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था, वह मुहर्रम का ही महीना था. उस दिन 10 तारीख थी, जिसके बाद इस्लाम धर्म के लोगों ने इस्लामी कैलेंडर का नया साल मनाना छोड़ दिया और बाद में मुहर्रम का महीना गम और दुख के महीने में बदल गया.
पर्व को लेकर प्रशासन मुस्तैद, गड़बड़ी पर होगी सख्त कार्रवाई
इधर, मुहर्रम पर्व को लेकर जिला और पुलिस प्रशासन ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. भभुआ एसडीपीओ अजय प्रसाद ने बताया कि मुहर्रम पर्व को लेकर अनुमंडल क्षेत्र के एक हजार से अधिक लोगों के विरुद्ध धारा 107 के अंतर्गत कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने बताया कि कुछ आपराधिक किस्म के लोगों को गुंडा एक्ट लगाने व जिला बदर के लिए चिह्नित किया गया है.
कागजी प्रक्रिया चल रही है. बताया कि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी अनुमंडलीय क्षेत्र में 140 ताजिये जुलूस निकाले जायेंगे. इस बार किसी भी नये ताजिये जुलूस को निकालने की अनुमति नहीं दी गयी. बिना अनुमति के ताजिये जुलूस नहीं निकाले जायेंगे. एसडीपीओ ने बताया कि भभुआ थाना क्षेत्र के खनांव, रूईयां, कुंज, सिकठी, बेतरी व मनिहारी आदि गांवों में पर्व के दौरान विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है.
इसी प्रकार, करमचट के झाली, तेंदुआ व सोनहन थाना के सोनहन, मिरिया, एकौनी, सादेकवई, भगवानपुर थाना क्षेत्र के कोचाढ़ी, रामगढ, टोड़ी चैनपुर थाने के मलिकसराय, सिरबीट, मुड़ी, सिकंदरपुर, चांद थाना क्षेत्र के लोहदन तथा अधौरा थाना क्षेत्र के मड़पा आदि गांवों पर पर्व के दौरान विशेष सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है.