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जिलेभर में धूमधाम से मनायी गयी देव दीपावली

भभुआ सदर : देव-दीपावली पर्व पर मंगलवार को भभुआ शहर सहित पूरे जिले में देव दीपावली का जगमग पर्व धूमधाम से मनायी गयी. इस अवसर पर शहर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर, खाकी गोसाई आदि पवित्र स्थान दीपों से जगमग रहे. कोटेश्वर महादेव मंदिर पर सांस्कृतिक विकास परिषद के तत्वावधान में देव दीपावली मनायी गयी. इस […]

भभुआ सदर : देव-दीपावली पर्व पर मंगलवार को भभुआ शहर सहित पूरे जिले में देव दीपावली का जगमग पर्व धूमधाम से मनायी गयी. इस अवसर पर शहर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर, खाकी गोसाई आदि पवित्र स्थान दीपों से जगमग रहे. कोटेश्वर महादेव मंदिर पर सांस्कृतिक विकास परिषद के तत्वावधान में देव दीपावली मनायी गयी.

इस मौके पर परिषद के अध्यक्ष अत्री भारद्वाज ने बताया कि यह आयोजन लगभग दस वर्ष से किया जा रहा है. प्रतिवर्ष 35 सौ दीपक लोगों द्वारा जलाये जाते हैं. वहीं नगर के महावीर मंदिर में देव दीपावली के अवसर पर 35 सौ दीपक जलाकर मंदिर का श्रृंगार किया गया.
साथ ही भजन संध्या का आयोजन किया गया. इस अवसर पर हिमांशु पांडेय, श्रीनाथ यादव, श्रवण तिवारी, अभिमन्यू पांडेय, देव मुरत पांडेय, संतोष कुमार आदि उपस्थित थे. देव दीपावली मनाये जाने के संबंध में आचार्य बागेश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि देवासुर संग्राम के समय भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था. इसी उल्लास में देव दीपावली पर्व मनाया जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा पर विधिवत की गयी आरती
मोहनिया के शारदा ब्रदराज पोखरा एवं जागेश्वर मंदिर पोखरा पर मंगलवार की शाम कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विधिवत आरती किया गया. आरती के साथ घंटे का एक सुर में आवाज निकल रहा था.
जो देखते व सुनते ही बन रहा था. देव दीपावली पर आयोजित दोनों जगह श्रद्धालु अपने से दीपक को जला रहे थे. शारदा ब्रदराज पोखरा पर भव्य रूप से हुए आरती को देखने के बाद वाराणसी के एक अंश देखने को मिल रहा था. काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी रही.
क्या कहते हैं उपाध्यक्ष
इस संबंध में नगर पंचायत के उपाध्यक्ष सह आयोजक अशोक लहरी ने बताया कि शारदा ब्रदराज पोखरा पर यह दूसरी बार देव दीपावली का आयोजन किया गया. जहां लगभग 11 हजार दीपक देव दीपावली पर जलाया गया. जबकि विधि विधान से विद्वान पंडित के उपस्थिति में आरती किया गया, जो प्रत्येक वर्ष किया जायेगा.
मनायी गयी देव दीपावली
दुर्गावती. स्थानीय क्षेत्र के अटरिया गांव में तुलसी पूजा व देव दीपावली मनायी गयी. इसके अलावे क्षेत्र के मंदिरों व कुछ लोगों द्वारा अपने घरों में दीप जला कर मंगलवार को देव दीपावली मनायी गयी. जानकारी के अनुसार, बताया जाता है कि दीप कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन देव दीवाली मनाने की परंपरा है.
दीवाली के 15 दिन बाद आने वाले इस पर्व में स्नान कर दीपदान करने का काफी अधिक महत्व माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं. इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा है कि भगवान शिव ने इस दिन देवी देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के प्रकोप से मुक्त कराया था.

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