शहर के 20 वार्ड पार्षदों ने लिया वोट बहिष्कार का निर्णय

भभुआ नगर पर्षद में फैले भ्रष्टाचार और सैरातों से कराये जा रहे मनमाने तरीके से विभागीय वसूली को लेकर नगर पर्षद सशक्त स्थायी समिति के तीन सदस्यों सहित 20 वार्ड पार्षदों ने लोकसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 9, 2024 8:59 PM

भभुआ सदर. भभुआ नगर पर्षद में फैले भ्रष्टाचार और सैरातों से कराये जा रहे मनमाने तरीके से विभागीय वसूली को लेकर नगर पर्षद सशक्त स्थायी समिति के तीन सदस्यों सहित 20 वार्ड पार्षदों ने लोकसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. गुरुवार को नगर पर्षद में वोट बहिष्कार की तख्ती लिये जुटे पार्षदों द्वारा इस मामले में नप अधिकारी और सभापति के खिलाफ रोष जताया और कहा कि जबतक उनकी मांगों को लेकर जिले के वरीय अधिकारी संज्ञान नहीं लेते, उनका बहिष्कार जारी रहेगा. नगर पर्षद परिसर में जुटे पार्षदों ने आरोप लगाया कि सैरात वसूली के संबंध में उनलोगों द्वारा कहा गया था जो प्रतिमाह 10 लाख रुपये और तीन महीने का अग्रिम जमा करता है, उससे ही वसूली करायी जाये. इसको लेकर 10 व 19 अप्रैल व 3 मई को पत्र भी दिया गया था, लेकिन इस पर विचार करने की जगह इओ और सभापति द्वारा केवल समय बिताने का काम किया गया और कोई जवाब उन्हें नही दिया गया. नगर पर्षद सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों में शामिल महेश कुमार, मकसूदन राम और महताब अंसारी सहित वार्ड पार्षद प्रमोद पाठक, त्रिभुवन सिंह, परमानन्द केशरी, मनिंद्र कुमार, पूनम देवी, महेश कुमार, मनोज सिंह आदि का कहना था कि शहर में सैरात की वसूली प्रतिदिन 35 से 40 हजार रुपये होती है, लेकिन इसमें आधा पैसा ही नप के कोष में जमा कराया जाता है. जब इसकी जानकारी नाजिर से मांगी जाती है, तो उनके द्वारा सभापति द्वारा जानकारी देने से मना किया जाना बताया जा रहा है. उनकी कोई भी बात नगर पर्षद में सुनी नहीं जा रही है. पार्षदों का कहना था कि इसको लेकर उनलोगों द्वारा डीएम और डीडीसी को भी आवेदन देकर कार्रवाई करने की गुहार लगायी गयी थी, लेकिन उनके आवेदन पर किसी भी स्तर से ना तो सुनवाई हुई और ना ही अबतक कोई कार्रवाई ही हुई है. इसके चलते वह लोग मजबूर होकर वोट बहिष्कार करने का निर्णय ले रहे हैं. = पार्षदों के आवेदन को विचार के लिए भेजा गया विभाग पार्षदों के वोट बहिष्कार के निर्णय पर नप के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि पार्षदों द्वारा सैरात या अन्य किसी से संबंधित जो भी पत्र दिया गया है, उनका जवाब उन्हें पत्र के माध्यम से दे दिया गया है. जहां तक सैरात वसूली को लेकर पार्षदों ने जो प्रपोजल दिया गया है, उस पर मार्गदर्शन के लिए उसे नगर विकास विभाग को भेज दिया गया है. उनके कार्यकाल में नगर पर्षद में कोई मनमानी या भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है और सभी मामलों में काफी पारदर्शिता बरती जा रही है.

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