डीजे है या मुसीबत का सामान
शुरू हुआ लगन तो एक बार फिर से बढ़ने लगी दिल के मरीजों की मुसीबत कानफाड़ू आवाज में मुसीबत बांट रहें डीजे, संचालकों पर प्रशासन नहीं कस रहा नकेल भभुआ (नगर) लगन का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में शादी-ब्याह को लेकर हलचल बढ़ गयी है. लेकिन, शादी-ब्याह में इस्तेमाल हो रहे डीजे एक […]
शुरू हुआ लगन तो एक बार फिर से बढ़ने लगी दिल के मरीजों की मुसीबत कानफाड़ू आवाज में मुसीबत बांट रहें डीजे, संचालकों पर प्रशासन नहीं कस रहा नकेल भभुआ (नगर) लगन का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में शादी-ब्याह को लेकर हलचल बढ़ गयी है. लेकिन, शादी-ब्याह में इस्तेमाल हो रहे डीजे एक बार फिर दिल के मरीजों के लिए मुसीबत का सामान बन गया है. इस पर न जिला प्रशासन अंकुश लगा पा रहा है न ही कोई जनप्रतिनिधि. गौरतलब है कि शादी-ब्याह में बज रहे डीजे आखिर कितने साउंड में बजने चाहिए इसका संचालक का ध्यान नहीं और साउंड में गाने बजा लोगों के दिल की धड़कने बढ़ा रहे हैं. 40 से 45 डिसेबल पर बजना चाहिए डीजेजानकारों की माने, तो डीजे साउंड 40 से 45 डिसेबल पर बजने चाहिए. लेकिन, यहां स्थिति यह है कि डीजे संचालक 250 से 300 डिसेबल पर डीजे बजा रहे हैं. ऐसे में दिल की बीमारी वाले मरीज व बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. क्या कहते हैं लोग कानफाड़ू आवाज में बज रहे डीजे दिल के मरीजों के लिए मुसीबत बन गया है. लेकिन, इस पर प्रशासनिक अंकुश नहीं लगा रहा.प्रोफेसर भरत सिंह डीजे संचालक अपनी मस्ती के आगे लोगों का ध्यान नहीं रखते. ऐसे में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. सुनील कुमार डीजे की धुन लोगों के दिल की धड़कने बढ़ा रही हैं. इस पर अंकुश लगाना जरूरी है.प्रदीप सिंह डीजे की आवाज से दिल के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. डीजे संचालकों व शादी-ब्याह वालों को इसका ध्यान रखना चाहिए.दामोदर प्रसाद फोटो………….1. मुख्य मार्ग पर बज रहा डी.जे. साउंड