मोहनिया अनुमंडल में अब तक मिले 400 एचआइवी के पॉजिटिव मरीज
स्थानीय अनुमंडल मुख्यालय के पांच प्रखंडों में अब तक कुल एचआइवी पॉजिटिव 400 मरीज मिले हैं, जो मगध मेडिकल काॅलेज गया व वाराणसी के बीएचयू के साथ अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.
मोहनिया शहर. स्थानीय अनुमंडल मुख्यालय के पांच प्रखंडों में अब तक कुल एचआइवी पॉजिटिव 400 मरीज मिले हैं, जो मगध मेडिकल काॅलेज गया व वाराणसी के बीएचयू के साथ अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. जबकि, अब सदर अस्पताल भभुआ में भी एचआइवी का इलाज किया जा रहा हैं. इसकी जानकारी देते हुए मोहनिया के आइसीटीसी सेंटर के प्रभारी डॉ दाऊ प्रसाद सिंह ने बताया की मोहनिया में 2003 में आइसीटीसी सेंटर खुला था, जिसमें 30 नवंबर 2024 तक लगभग 81 हजार मरीजों की जांच की गयी, जिसमें अब तक 400 एड्स के पॉजिटिव महिला व पुरुष मरीज मिले हैं, जिन्हें एआरटी सेंटर वाराणसी, मगध मेडिकल काॅलेज गया या सदर अस्पताल भभुआ रेफर किया गया है, जहां लोग अपना इलाज कराते हैं. जबकि, जनवरी 2018 से लेकर नवंबर 2018 तक 19 महिला व पुरुष एचआइबी के पॉजिटिव मरीज मिले थे, जिसमें 13 पुरुष व 6 महिला मरीज शामिल थे. उन्हें इलाज के लिए गया या तो वाराणसी के बीएचयू में भेजा गया था. वहीं, अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 35 एड्स के मरीज मिले थे, जिसमें 4 गर्भवती महिला सहित 20 पुरुष व 15 महिलाएं शामिल थीं. अप्रैल 2020 से नवंबर 2020 तक 8 एड्स के मरीज मिले, जिसमें 6 पुरुष व 2 महिला शामिल हैं. इसके साथ ही अप्रैल 2021 से नवंबर 2021 तक भी 8 एड्स के मरीज मिले, जिसमें 6 पुरुष व 2 महिला शामिल हैं. जबकि, नवंबर 2021 से नवंबर 2022 तक 1717 पुरुष व 1598 महिला की एड्स जांच की गयी, जिसमें 2 पुरुष व 6 महिला पॉजिटिव पाये गये, जबकि एक भी गर्भवती महिला इस वर्ष पॉजिटिव नहीं पायी गयी है. इसके साथ ही अप्रैल 2023 से नवंबा 2023 तक 5488 लोगों की जांच की गय,ी जिसमें 8 पुरुष व 3 महिला पॉजिटिव मिले, जिसमें 2 गर्भवती महिलाएं शामिल थीं. इस वर्ष भी अप्रैल 2024 से नवंबर तक 25 एड्स के पॉजिटिव मरीज मिले हैं, जिसमें 22 पुरुष व तीन महिलाएं शामिल हैं. जबकि, इस वर्ष एक भी गर्भवती महिला एड्स पॉजिटिव नहीं पायी गयी है. # एचआइबी पॉजिटिव होने पर भी सामान्य जिंदगी जी सकते मोहनिया के आइसीटीसी सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार, एचआइवी पॉजिटिव होने पर भी मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते है, बहुत से लोग इस मामले में गलतफहमी के शिकार होते हैं, वो एचआइवी को ही एड्स मान लेते हैं. लेकिन, एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी) इस बीमारी का प्राथमिक स्तर है, जबकि एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम) इस बीमारी का अंतिम स्तर है. यह वायरस हेल्थ को धीरे-धीरे संक्रमित करता है, साथ ही इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी धीरे-धीरे कम होने लगती है. इससे शरीर बैक्टीरिया या वायरस से मुकाबला करने की क्षमता खोने लगता है. इसके कारण शरीर बीमारियों की चपेट में आने लगता है. वहीं, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता आठ-दस सालों में ही न्यूनतम हो जाती है, इसी स्थिति को एड्स कहा जाता है. मोहनिया के आइसीटीसी सेंटर में परामर्शी के रूप में छोटे लाल शुक्ला तैनात हैं. # गर्भवती महिला का कराया गया था डिलिवरी मोहनिया अनुमंडल में एड्स जांच के दौरान चार ऐसी महिला पॉजिटिव पायी गयी, जो गर्भवती थी. वर्ष 2021 में डिलिवरी मोहनिया के अनुमंडलीय अस्पताल में सुरक्षित कराया गया था, जो फिलहाल ठीक है. मालूम हो कि अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 15 महिला पॉजिटिव पायी गयी थी, जिसमें 4 महिला गर्भवती थी. जबकि, अप्रैल 2020 से नवंबर 2021 तक दो महिला पॉजिटिव पायी गयी हैं, लेकिन इसमें कोई गर्भवती नहीं थी. अप्रैल 2023 से नवंबर 2023 तक 3020 गर्भवती महिला की जांच की गयी, जिसमें दो गर्भवती महिला एड्स पीड़ित मिली. जबकि, इस बार अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक 3284 गर्भवती महिलाओं की एड्स जांच की गयी, जिसमें एक भी गर्भवती महिला एड्स पॉजिटिव नहीं मिली है. # एचआइबी एड्स का है ट्रीटमेंट एचआइवी पॉजिटिव होने पर एआरटी दवाइयों को अगर नियमित तौर पर लिया जाये, तो मरीज कई वर्षों तक सामान्य जीवन जी सकता है. सेंटर के परामर्शी का कहना है कि नियमित दवाइयां लेने से 50 से 60 वर्षों तक सुरक्षित जीवन जिया जा सकता है. हालांकि, बचाव ही सबसे सुरक्षित कदम है, इसके लिए लोगों में इसकी जागरूकता जरूरी है. # कैसे फैलता है एड्स वायरस असुरक्षित यौन संबंध संक्रमित रक्त संक्रमित सीरिंज संक्रमित मां से शिशु में संक्रमित अंगदान से #कैसे करें बचाव सुरक्षित यौन संबंध बनाएं खून लेने से पहले उसकी जांच करा लें कोई भी टीका या इंजेक्शन लगाने से पहले ध्यान रखें की सीरिंज नयी हो. एक से ज्यादा लोगों से संबंध बनाने से बचें शेविंग कराते समय भी नये ब्लेड का ही प्रयोग किया जाये # ऐसे नहीं फैलता एचआइबी वायरस एचआईवी पॉजिटिव मरीज के साथ खाने से या बात करने से मरीज के साथ सोने से पीड़ित से हाथ मिलाने से एक ही शौचालय के इस्तेमाल से मच्छर के काटने से #क्या कहते हैं आइसीटीसी प्रभारी इस संबंध में आइसीटीसी प्रभारी डॉ दाऊजी ने बताया जब से सेंटर खुला है अब तक कुल 81 हजार 330 मरीजों की जांच की गयी हैं, जिसमें लगभग 90 हजार से अधिक लोगो को परामर्श दिया गया है. 2003 से अब तक जांच में 400 मरीज पॉजिटिव पाये गये हैं, जिनका वाराणसी, मगध मेडिकल काॅलेज गया से इलाज चल रहा हैं. जबकि, अब सदर अस्पताल में भी दवा मिल जा रही हैं. लोगों की जागरूकता ही बचाव है. साथ ही बताया उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल द्वारा अस्पताल में भी आइसीटीसी निस्वत कमरा उपलब्ध कराया गया है, जहां भी बैठकर कर्मी अपने कार्यों का निष्पादन करते हैं.
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