शिक्षकों के लिए 45 पद स्वीकृत, कार्यरत मात्र 34
सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय शिक्षकों की कमी व क्लासरूम की कमी का दंश झेल रहा है. यहां छात्रों के नामांकन के अनुसार क्लासरूम नहीं है, तो वहीं सभी विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में नहीं है
भभुआ नगर. कभी अपने जमाने में मशहूर रहे एसवीपी कॉलेज की पढ़ाई की चर्चा पूरे राज्य में इस प्रकार से थी कि जिला सहित बिहार के कोने-कोने से छात्र नामांकन लेने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय में पहुंचते थे. यहां नामांकन लेने के बाद छात्र कॉलेज परिसर में स्थित छात्रावास में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन, आज सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय शिक्षकों की कमी व क्लासरूम की कमी का दंश झेल रहा है. यहां छात्रों के नामांकन के अनुसार क्लासरूम नहीं है, तो वहीं सभी विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में नहीं है. इससे कई विषयों में तो एक ही शिक्षक के भरोसे पढ़ाई होती है. क्लासरूम की बात करें तो महाविद्यालय में केवल नौ हैं, लेकिन छात्र-छात्राओं का नामांकन 9000 से ऊपर है. हालांकि, छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए कॉलेज प्रशासन द्वारा दो शिफ्ट में महाविद्यालय का संचालन किया जाता है. इसके बावजूद छात्र-छात्राओं के अनुपात के अनुसार वर्ग कक्ष की घोर कमी है. वहीं, अगर शिक्षक की बात करें तो महाविद्यालय में 45 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन 21 शिक्षक नियमित व 13 गेस्ट टीचर ही कार्यरत हैं. यहां इन्हीं शिक्षकों के भरोसे इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर तक के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हो रही है. हालांकि, क्लासरूम व शिक्षकों की कमी में सुधार के लिए कॉलेज प्रशासन द्वारा बार-बार वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के कुलपति को पत्र भेजा जाता है, पत्र के साथ विषय वार शिक्षकों की सूची व खाली पड़े पदों की सूची भी भेजी जाती है. इसके बावजूद अब तक महाविद्यालय प्रशासन द्वारा इस समस्या से निजात नहीं दिलायी गयी है. दरअसल, एसवीपी कॉलेज में पिछले 50 वर्षों से शिक्षकों व कर्मचारियों की संख्या वार्षिक पढ़ाई के लिए कम है. यहां अब सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया गया है, सेमेस्टर सिस्टम के तहत सुबह 9:30 से पांच बजे शाम तक दो सेशन में क्लास चलने पर भी छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा पड़ जा रही है. वर्तमान में कला, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान संकाय में ही सात हजार छात्र-छात्राएं नामांकित है. नामांकित सभी छात्रों के प्रतिदिन छह क्लास चलाने के लिए भी कम से कम 20 क्लास रूम चाहिए, जहां सिर्फ नौ कमरे ही वर्ग कक्ष के लिए उपलब्ध है. इसमें ज्यादा से ज्यादा 900 छात्र ही एक बार में बैठ पायेंगे, वहीं अगर नजर डालें तो छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार 30 छात्र पर एक शिक्षक होना जरूरी है, लेकिन यहां स्थिति यह है कि एक शिक्षक के भरोसे 200 से ऊपर छात्र हैं. वहीं, प्रायोगिक शिक्षण के लिए भी प्रति शिक्षक 24 छात्र होने चाहिए, लेकिन 250 से ऊपर हैं. = 2011 में ही 50 से शिक्षकों की संख्या घटाकर कर दी 44 बिहार सरकार ने 2011 में शिक्षकों की संख्या 50 से घटाकर 44 कर दी, जबकि आज के परिप्रेक्ष्य में यहां दुगुनी से ज्यादा संख्या में शिक्षक होने चाहिए. नाम नहीं छापने के शर्त पर शिक्षकों द्वारा कहा गया कि सीबीएस लागू कर दिया गया है. छात्रों को नये सीबीएस में बहु-विषयक पाठ्यक्रम, क्षमता संवर्धन पाठ्यक्रम, कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम और मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक नहीं हैं. यहां इस तरह की आधी अधूरी तैयारी से शिक्षकों पर बेवजह भार बढ़ रहा है, साथ ही छात्र भी परेशान हो रहे हैं. सेमेस्टर सिस्टम में बीच में आंतरिक परीक्षा भी ली जाती है, जो शिक्षकों की कमी से एक हफ्ते की जगह पूरे महीने चलती है और रिजल्ट बनते-बनते सेमेस्टर इंड की परीक्षा आ जाती है. छात्रों के बैठने के स्थान की कमी से शत-प्रतिशत उपस्थिति भी असंभव है. जब तक सरकार वर्तमान से दुगुने शिक्षकों, कर्मचारियों, क्लास रूम व प्रयोगशाला की व्यवस्था नहीं कर देती, तब तक यहां के शिक्षा व्यवस्था में सुधार एक सपना ही रहेगा. छात्रों का अटेंडेंस लेने में ही प्रोफेसर हो जाते हैं परेशान सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय में वर्ग संचालन के लिए नहीं केवल छात्र अपना अटेंडेंस लगाने के लिए आते हैं, जहां छात्रों का अटेंडेंस लेने के बाद शिक्षकों द्वारा छोड़ दिये जाते हैं. हालांकि, इस संबंध में पूछे जाने पर छात्रों का अटेंडेंस ले रहे शिक्षक ने नाम नहीं छापने के शर्त पर कहा कि महाविद्यालय में केवल इंटरमीडिएट में ही 500 से अधिक छात्र एक विषय में नामांकित हैं, अगर सभी छात्रों का सिर्फ अटेंडेंस भी लिया जाये, तो घंटी के लिए निर्धारित 55 मिनट का समय बीत जायेगा. वहीं, शिक्षक ने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी के साथ-साथ भवन की भी कमी है, अभी तो मात्र 3000 छात्र-छात्राएं ही आ रहे हैं, अगर नामांकित सभी छात्र-छात्राएं विद्यालय आ जायें, तो वर्ग संचालन तो दूर भवन की कमी रहने के कारण कॉलेज में छात्रों के बैठने के लिए या शायद खड़े होने की भी जगह नहीं मिलेगी. = डीबीटी स्टार कॉलेज का दर्ज है प्राप्त सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय कैमूर ही नहीं बिहार में तीसरा ऐसा कॉलेज है, जिसे भारत सरकार ने डीबीटी स्टार कॉलेज का दर्जा दिया है. हालांकि, इससे पहले बिहार के दो कॉलेज वूमेंस कॉलेज पटना कॉलेज व अनुग्रह नारायण कॉलेज को ही यह दर्जा मिला है. = बॉटनी, जूलॉजी, पॉलिटिकल साइंस के लिए एक शिक्षक सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय में 9000 छात्र-छात्राएं नामांकित हैंं, जहां 9000 छात्र-छात्राओं का भविष्य कार्यरत 34 शिक्षकों के कंधों पर है. लेकिन, अगर आंकड़े पर नजर डालें तो एक शिक्षक एक विषय में नामांकित 500 से अधिक छात्र-छात्राओं का वर्ग संचालन करा रहे हैं. इतना ही नहीं इन विषयों के लिए कार्यरत एक शिक्षक के भरोसे ही संबंधित विषय के इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर तक की पठन-पाठन की जिम्मेदारी है. बोले प्रिंसिपल– इस संबंध में पूछे जाने पर सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय के प्रिंसिपल एसपी शर्मा ने कहा कि छात्र अनुपात के अनुसार शिक्षकों की महाविद्यालय में भारी कमी है. इसके कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि नियमानुकूल 40 छात्रों पर एक शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए. लेकिन कॉलेज में लगभग लगभग 9000 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, लेकिन शिक्षकों की संख्या 34 है.
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