शाहाबाद के दो पुराने जिलों कैमूर और रोहतास में विधानसभा की 11 सीटें हैं. 2010 के चुनाव में एनडीए का यहां अच्छी सफलता मिली थी. इस इलाके को धान का कटोरा भी कहा जाता है.इस विधानसभा चुनाव में गंठबंधन के बदल जाने से समीकरण भी बदल गये हैं. नये सामाजिक समीकरण के हिसाब से ही दोनों गंठबंधनों ने अपने-अपने टिकट बांटे हैं. एक रिपोर्ट
पटना : पुराने शाहाबाद का हिस्सा है सासाराम व कैमूर जिला. शेरशाह सूरी की भूमि पर चुनावी जंग शुरू हो चुका है. यहां की 11 विधानसभा सीटों पर 16 अक्टूबर को मतदान होना है. इस इलाके को धान के कटोरे के नाम से जाना जाता है.
स्वाभाविक है कि मेहनत करनेवाले किसान होंगे तो उनकी समस्याएं भी होंगी. पर विधानसभा चुनाव में जातीय आधार पर टिकट बांटे गये हैं, तो वोट को प्रभावित करनेवाले जातीय समीकरण भी मौजूद हैं.
रोहतास और कैमूर जिले में कुल 11 विधानसभा क्षेत्र है. 2015 के चुनाव में राजनीतिक दलो में इस इलाके की सीटों में मामूली फेरबदल किया है. विधानसभा की 11 सीटों में आठ सीटों पर निवर्तमान विधायकों को पार्टियों ने मैदान में उतारा है. महागंठबंधन के जनता दल यू ने चेनारी की सीट कांग्रेस को दे दी है. डिहरी से चुनाव लड़नेवाले प्रदीप जोशी ने पत्नी से यह सीट ले ली है.
काराकाट के सीटिंग विधायक राजेश्वर राज जेडीयू से पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गये हैं. भाजपा ने उन पर भरोसा करते हुए अपना उम्मीदवार बनाया है. टिकट के बंटवारे के हिसाब से देखा जाये तो एनडीए ने कैमूर जिले की चारों सीटों को अपने खाते में रखा है, तो महागंठबंधन में कैमूरजिले की दो सीटे जदयू ने अपने पास रखी है. एक सीट कांग्रेस को और एक सीट राजद के पास है.
इधर, सासाराम जिले की सात सीटों में दो सीटों पर राज्य सरकार के दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इसमें जदयू छोड़कर जाने वाले पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह को करगहर में और दिनारा विधानसभा क्षेत्र में जय कुमार सिंह की सीट शामिल है. रोहतास की सात सीटों में महागंठबंधन की चार सीटें राजद के खाते में आयी हैं जबकि दो सीट जदयू को और एक सीट कांग्रेस के हिस्से आयी है.
उधर, एनडीए की ओर से चार सीट भाजपा के खाते में और तीन सीट रालोसपा के हिस्से में आयी है. रोहतास जिले में पहली बार एक नयी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने दस्तक दी है. इसके हिस्से में तीन सीटे हैं.
सासाराम की एक-एक सीटों का हाल कुछ इस तरह से उभर कर सामने आ रहा है. चेनारी विधानसभा क्षेत्र में श्याम बिहारी राम जेडीयू के विधायक थे. 2010 के चुनाव में भाजपा का भी समर्थन मिला था. गंठबंधन बदलने के साथ ही अब यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आ गयी है.
कांग्रेस ने यहां से मंगल राम को उम्मीदवार बनाया है, तो एनडीए गंठबंधन के रालोसपा के प्रत्याशी ललन पासवान उनके सामने है. दोनो को अपने गंठबंधन के मतो पर विश्वास है. चेनारी का जातिगत समीकरण में महादलित, पासवान, यादव, ब्राह्मण व राजपूत मतदाताओं की आबादी निर्णायक है. इस क्षेत्र में भाजपा के सांसद छेदी पासवान के बेटे रवि पासवान सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अति पिछड़ा वर्ग में सूढ़ी व हलवाई की संख्या है. एनडीए के ही बागी विनोद तिवारी हैं, जो उसके खिलाफ प्रचार में लगे हैं.
सासाराम में भाजपा के विधायक जवाहर प्रसाद का मुकाबला राजद के डा अशोक कुमार से है. यहां पर डोहरी की विधायक रश्मि ज्योति भी उम्मीदवार हैं. इसके अलावा जदयू के दो बार विधान परिषद सदस्य रह चुके कृष्ण कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. जातीय समीकरण चला, तो यहां एनडीए को मुश्किल हो
सकती है.
करगहर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह की प्रतिष्ठा दावं पर है. रामधनी को जदयू ने इस बार बेटिकट कर दिया. करगहर में जेडीयू के वशिष्ठ सिंह का मुकाबला रालोसपा के वीरेंद्र कुशवाहा से है. भाकपा के महेंद्र प्रसाद गुप्ता प्रत्याशी हैं. यहां एनडीए का कोई बागी मैदान में नहीं है.
दिनारा में जेडीयू के प्रत्याशी व मंत्री जय कुमार सिंह का मुकाबला भाजपा के राजेंद्र सिंह से हो रहा है. राजेंद्र सिंह झारखंड़ में भाजपा के कद्दावर नेता हैं. नोखा में भाजपा के विधायक रामेश्वर चौरिसया का मुकाबला राजद की अनिता देवी से है. अनिता देवा आनंद मोहन सिंह की पत्नी हैं. मालूम हो कि आनंद मोहन सिंह का निधन बीते दिनों पटना में एक कार्यक्रम के दौरान हो गया था.
डेहरी विधानसभा क्षेत्र में राजद के मो इलियास हुसैन का मुकाबला रालोसपा के जितेंद्र कुमार उर्फ रिंकु सोनी से है. डेहरी के एक बड़े प्लेयर हैं प्रदीप जोशी. उनकी पत्नी ज्योति रश्मी यहां से विधायक हैं जो अब सासाराम से चुनाव लड़ रही हैं. काराकाट विधान सभा क्षेत्र में भाजपा के राजेश्वर राज का मुकाबला राजद के संजय कुमार सिंह से होगा. राजेश्वर राज जेडीयू छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं. काराकाट में भाकपा माले के उम्मीदवार हैं अरुण कुमार सिंह.
कैमूर जिले के रामगढ़ विधान सभा क्षेत्र में राजद के विधायक अंबिका सिंह का मुकाबला भाजपा के अशोक सिंह से है. इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के सुधाकर सिंह नाराज चल रहे हैं. यहां जाति के हिसाब से यादव व राजपूत निर्णायक हैं.
मोहनिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के निरंजन राम का मुकाबला कांग्रेस के संजय कुमार पासी से हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला आमने-सामने का माना जा रहा है. चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक वृजिकशोर सिंह का मुकाबला जेडीयू के महाबली सिंह से होगा. यहां पर जेडीयू के बागी आलोक सिंह सपा के प्रत्याशी हैं. सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र यादव भी यहां के निवासी हैं.
2010 के चुनाव में भाजपा को 03 व जदयू को 05 सीटें
विस महागंठबंधन एनडीए जीते सेकेंड
रामगढ़ अंबिका सिंह (राजद) अशोक सिंह (भाजपा) राजद निर्दल
मोहनियां संजय कुमार पासी कांग्रेस) निरंजन राम (भाजपा) जदयू राजद
भभुआ प्रमोद कुमार सिंह (जदयू) आनंद भूषण पांडेय (भाजपा) लोजपा भाजपा
चैनपुर महाबली सिंह (जदयू) ब्रजकिशोर कुमार (भाजपा) भाजपा बसपा
चेनारी मंगल राम (कांग्रेस) ललन पासवान (रालोसपा) जदयू राजद
सासाराम अशोक कुमार (राजद) जवाहर प्रसाद (भाजपा) भाजपा राजद
करगहर वशिष्ठ सिंह (जदयू) वीरेंद्र कुशवाहा (रालोसपा) जदयू लोजपा
दिनारा जय कुमार सिंह (जदयू) राजेंद्र सिंह (भाजपा) जदयू राजद
नोखा अनिता देवी (राजद) रामेश्वर प्र चौरसिया (भाजपा) भाजपा राजद
डिहरी मो इलियास हुसैन (राजद) जितेंद्र कुमार (रालोसपा) निर्दल राजद
काराकट संजय कुमार सिंह (राजद) राजेश्वर राज (भाजपा) जदयू राजद