नहीं मिली किताबें, कैसे हो पढ़ाई
नहीं मिली किताबें, कैसे हो पढ़ाई हाल राजकीयकृत संस्कृत मध्य विद्यालय का वर्ग एक व दो के 93 बच्चे किताबों से वंचित कमरों की कमी भी है पढ़ाई में बाधक प्रतिनिधि, मोहनिया(सदर) नगर पंचायत के वार्ड संख्या 15 में स्थित राजकीयकृत संस्कृत मध्य विद्यालय में पढ़नेवाले कई छात्र-छात्रों को अभी तक विभाग द्वारा दी जाने […]
नहीं मिली किताबें, कैसे हो पढ़ाई हाल राजकीयकृत संस्कृत मध्य विद्यालय का वर्ग एक व दो के 93 बच्चे किताबों से वंचित कमरों की कमी भी है पढ़ाई में बाधक प्रतिनिधि, मोहनिया(सदर) नगर पंचायत के वार्ड संख्या 15 में स्थित राजकीयकृत संस्कृत मध्य विद्यालय में पढ़नेवाले कई छात्र-छात्रों को अभी तक विभाग द्वारा दी जाने वाली किताबें नहीं मिली हैं. इसकी वजह से बच्चे किताबी ज्ञान से अभी तक वंचित हैं. यहां वर्ग एक व दो के 93 बच्चों को अभी तक किताबें नहीं मिली है. जबकि, वर्ग पांच के लिए केवल 12 किताबें ही विभाग से भेजी गयीं थीं. किताबों की कमी के साथ यहां कमरों की कमी का दंश भी बच्चों सहित शिक्षकों को झेलना पड़ रहा है. यहां वर्ग एक से आठ तक में पढ़नेवाले बच्चाें की कुल संख्या 696 है. जबकि, यहां कमरे केवल पांच ही है. प्रत्येक कमरे में लगभग 139 छात्र-छात्राओं को बैठा कर शिक्षा दी जाती है. यहां आलम यह है कि कमरों की कमी के कारण दो वर्ग के बच्चों को एक ही कमरे में बैठा कर पढ़ाना पड़ता है. जबकि, बच्चों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या लगभग 40 बच्चों पर एक है. यहां 12 शिक्षिकाएं एवं पांच शिक्षक कार्यरत हैं. लेकिन, जगह के अभाव में पठन-पाठन में काफी परेशानी होती है. इसके साथ ही उक्त विद्यालय वार्ड के मध्य स्थित होने के कारण बड़ी संख्या में अभिभावक भी अपने बच्चों का नामांकन यहीं करवाना चाहते हैं. इसी वार्ड के संजय पासवान कहते हैं कि मैं अपने सात वर्षीय बच्चे का नामांकन कराने के लिए कई बार विद्यालय गया, पर नाम नहीं लिखा गया. वहीं, यहां पढ़नेवाले जिन बच्चों को किताबें नहीं मिल पायी है. उनके अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है. क्या कहती हैं प्रभारी प्रधानाध्यापिका इस बार वर्ग एक व दो के बच्चों के लिए किताबें जिला से नहीं मिली हैं. अन्य वर्गों के बच्चाें के लिए भी किताबें कम आयी है. रही नामांकन न करने की बात तो यहां बच्चों की संख्या अधिक है, जिनका नाम दूसरे स्कूलों में भी लिखवाया गया है. प्रेमा देव, प्रभारी प्रधानाध्यापिका