कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये… सूर्योपासना का पहला अर्घ आज फल-फूल व पूजन सामग्रियों को तैयार करने में जुटे व्रती प्रतिनिधि, भभुआ (सदर)’कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, तू त आंधर होइबे रे बटोहिया…’ आदि पारंपरिक छठ गीतों के साथ सूर्योपासना का महापर्व छठ को लेकर श्रद्धालुओं में भगवान भास्कर […]
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये… सूर्योपासना का पहला अर्घ आज फल-फूल व पूजन सामग्रियों को तैयार करने में जुटे व्रती प्रतिनिधि, भभुआ (सदर)’कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, तू त आंधर होइबे रे बटोहिया…’ आदि पारंपरिक छठ गीतों के साथ सूर्योपासना का महापर्व छठ को लेकर श्रद्धालुओं में भगवान भास्कर के प्रति आस्था हिलोरे मार रही है. घरों व बाजारों में छठी मईया के पारंपरिक गीतों से वातावरण भक्तिमय हो गया है. मान्यताओं के अनुसार यह त्योहार व्रतियों के लिए सबसे कठिन माना जानेवाला व्रत है. 36 घंटे के व्रत को लेकर बाजार पूरी तरह से सज-धज कर तैयार है. इसको लेकर सोमवार को भभुआ सहित अनुमंडल क्षेत्र के सैकड़ों गांवों से श्रद्धालुओं की भीड़ बाजार में खरीदारी के लिए उमड़ी.इनसेट व्रतियों ने किया खरना हजारों छठ व्रतियों ने नदी व पोखरों पर किया घाट पूजन भभुआ (सदर). महापर्व छठ को लेकर शुक्रवार की संध्या हजारों छठ व्रतियों ने जिले के विभिन्न नदियों के अलावा विभिन्न पोखर पर पहुंच कर रविवार की शाम छठ घाट का पूजन किया. इस दौरान व्रतियों द्वारा मिट्टी की बेदी बनायी गयी थी. इस पर सिंदूर का टीका लगा दीप प्रज्वलित कर पूजन किया गया. सोमवार को खरना के दिन छठ व्रती दिन भर निर्जल उपवास रख कर छठी मइया का ध्यान किया. संध्या समय में स्नान कर छठ की पूजा विधि विधान से करने के बाद व्रतधारी महिलाएं मिट्टी के चूल्हे व आम की लकड़ी पर बने अरवा चावल और गुड़ का खीर के साथ सुध घी लगी रोटी व केला का भोग छठी मइया व भगवान भास्कर को लगाया. फिर इस भोग को स्वयं खरना किया. तत्पश्चात खरने के प्रसाद को परिजनों और इष्ट मित्रों को घर बुला कर दिया. आज व्रती नदी व तालाबों में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देंगे. छठ पर्व में पवित्रता व स्वच्छता का सर्वाधिक ध्यान रखा जाता है. …………..फोटो…………….खरना की तैयारी में जुटी छठ व्रती महिलाएं बाजार में छठ को लेकर बढ़ी चहल पहल …………………………………………….