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स्कूल के तीन कमरों के भरोसे 683 बच्चे

स्कूल के तीन कमरों के भरोसे 683 बच्चे दीवार भी दरकी, खतरे की आशंका हाल क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय खामीदौरा का प्रतिनिधि, दुर्गावती (कैमूर)खामीदौरा गांव में कहने को तो मध्य विद्यालय है. लेकिन यहां सिर्फ चार ही कमरे हैं. इसमें एक कमरा कार्यालय के काम में आता है और बाकी तीन कमरों में एक […]

स्कूल के तीन कमरों के भरोसे 683 बच्चे दीवार भी दरकी, खतरे की आशंका हाल क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय खामीदौरा का प्रतिनिधि, दुर्गावती (कैमूर)खामीदौरा गांव में कहने को तो मध्य विद्यालय है. लेकिन यहां सिर्फ चार ही कमरे हैं. इसमें एक कमरा कार्यालय के काम में आता है और बाकी तीन कमरों में एक से लेकर कक्षा आठ तक की कक्षाएं चलती हैं. फिलवक्त छात्र-छात्राओं की कुल संख्या करीब 683 है. शिक्षक भी योग्य हैं, लेकिन भवन के अभाव में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश हैं. भवन के दक्षिणी हिस्से की दीवार दरक गयी है. आगे से ग्रिल भी टूट चुका है. सुरक्षा की जगह खतरे की आशंका बनी हुई है. जमीन की कमी से नहीं बन रहे कमरे सूत्रों के अनुसार, इस विद्यालय को भवन निर्माण के लिए 8.55 लाख रुपये मुहैया कराये गये थे. लेकिन, जमीन के अभाव में रुपये लौट गये. तब से यह स्कूल कमरों की कमी का दंश झेल रहा है. गौरतलब है कि इसी परिसर में एक आंगनबाड़ी केंद्र का भवन इस कदर जर्जर है कि इसके प्लास्टर झड़ कर गिर रहे हैं. वरीय अधिकारियों को दी गयी है जानकारीविद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि विद्यालय के कमरों की समस्या की जानकारी आवेदन देकर वरीय अधिकारियों को दे दी गयी है. ………………फोटो…………..3.स्कूल के दीवार में दरार ……………………………..इनसेट तीन साल से बंद है पड़निया का प्राथमिक विद्यालय अधौरा(कैमूर). प्रखंड की सड़की पंचायत का पड़निया न्यू प्रा विद्यालय करीब तीन वर्षों से बंद हैं. इस गांव में केवल आदिवासी खरवार व तुरिया जाति के बच्चे रहते हैं. स्कूल में प्रधानाध्यापक विजय कुमार सुमन व एकमात्र सहायक शिक्षिका सुजाता हैं. छात्र विजय कुमार, अमरजीत, बलिराम तुरिया व संतोषी कुमारी ने बताया कि उन्होंने सुजाता मैडम को आज तक नहीं देखा है. प्रधानाध्यापक केवल झंडोत्तोलन करने आते हैं और चले जाते हैं. पोशाक व छात्रवृत्ति आज तक नहीं मिला. वहीं स्कूल की सचिव स्मृति देवी ने बताया कि प्रधानाध्यापक तीन-चार माह में एक दिन आते हैं और चले जाते हैं. रसोइया ललती कुंवर ने बताया कि उन्हें आजतक वेतन नहीं मिला. वहीं ग्रामीण राम सेवक सिंह खरवार ने बताया कि कई बार बीइओ को लिखित आवेदन दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुआ. ……………….फोटो…………….4.स्कूल में लटकता ताला …………………………………

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