गड्ढों में फंस रहे वाहन अक्सर लग रहा जाम

मोहनिया (नगर) : राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-दो (एनएच-टू) पर मोहनिया के पास बने समेकित चेकपोस्ट भले ही सरकार व विभाग के लिए एक बड़े राजस्व प्राप्ति का जरिया है. लेकिन, सरकार को इस चेकपोस्ट से सिर्फ अधिक से अधिक राजस्व चाहिए, उसको वाहनों व चालकों से कोई सरोकार नहीं है, तभी तो चेकपोस्ट की दोनों लेन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2016 6:55 AM
मोहनिया (नगर) : राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-दो (एनएच-टू) पर मोहनिया के पास बने समेकित चेकपोस्ट भले ही सरकार व विभाग के लिए एक बड़े राजस्व प्राप्ति का जरिया है. लेकिन, सरकार को इस चेकपोस्ट से सिर्फ अधिक से अधिक राजस्व चाहिए, उसको वाहनों व चालकों से कोई सरोकार नहीं है, तभी तो चेकपोस्ट की दोनों लेन क्षतिग्रस्त हैं और इसकी मरम्मत नहीं करायी जा रही है.
इससे वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चेकपोस्ट के पास सड़क की मरम्मत के लिए कई बार चेकपोस्ट के अधिकारी विभाग को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.
मोहनिया चेकपोस्ट के समीप सड़क पर बने गड्ढे गहरे व जानलेवा हो गये हैं. इन गड्ढों में पड़ कर वाहन कब पलट जाये, कह पाना मुश्किल है. किसी तरह चालक चेकपोस्ट पार करते हैं. प्राय: देखने को मिलता है कि सड़क पर बने गहरे गड्ढों में लोडेड वाहन फंस जाते हैं. उनके कल-पुरजे टूट जाते हैं.
इसका परिणाम यह होता है कि बीच सड़क पर फंसे वाहनों से आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता हैं और चेकपोस्ट के पास जाम लग जाता है. एनएचएआइ की क्रेन आकर वाहनों को गड्ढों से निकालता है, तब जाकर एनएच पर गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो पाती है.
सूबे में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने सभी चेकपोस्टों में विभाग को सबसे अधिक राजस्व मोहनिया समेकित चेकपोस्ट ही देता है. चेकपोस्ट के अधिकारियों की मानें, तो इस चेकपोस्ट से सालाना करीब 10 करोड़ के राजस्व की वसूली होती है.इसके बाद भी विभाग द्वारा इस चेकपोस्ट की उपेक्षा किया जाना किसी बड़े राज की ओर इशारा करता है.
लेन की मरम्मत के लिए कई बार विभाग को भेजा गया पत्र : मोहनिया चेकपोस्ट के अधिकारी विश्वरंजन तिवारी ने बताया कि विभाग को चेकपोस्ट की लेनों की सड़क की मरम्मत के लिए विभाग को कई बार पत्र लिखा गया है. लेकिन, विभाग कुछ नहीं सुनता. अभी तो हाल ही में अधिकारियों का एक दल जांच करने आया था, इसके बाद भी दोनों लेन की सड़क बनेगी यह कह पाना मुश्किल है.

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