अब जनता के दर पर पंचायतों के खेवनहार

भभुआ (सदर) : ‘का चाचा देखिह ई बार कौनो गड़बड़ न होखे, ई बार हमार जीत तोहरे वोट से पक्का बा’ कुछ इसी प्रकार के अनगिनत जुमले व अनचाहे सपनों को दिखाते हुए पंचायत युनाव में खड़े प्रत्याशी यानी ‘पंचायतों के राजा’ हर घर पर दस्तक देते हुए अपनी जीत में कोई कोर कसर नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 15, 2016 6:58 AM
भभुआ (सदर) : ‘का चाचा देखिह ई बार कौनो गड़बड़ न होखे, ई बार हमार जीत तोहरे वोट से पक्का बा’ कुछ इसी प्रकार के अनगिनत जुमले व अनचाहे सपनों को दिखाते हुए पंचायत युनाव में खड़े प्रत्याशी यानी ‘पंचायतों के राजा’ हर घर पर दस्तक देते हुए अपनी जीत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. पंचायती राज के पांच साल भी गुजर गये, लेकिन पंचायत के लोगों के विकास के हसीन सपने हर वर्ष की तरह इस बार भी धरे के धरे रह गये.
गुटबाजी व परस्पर विरोध में बीता पांच साल .जिले में पंचायती राज विगत पांच वर्षों के दौरान कमोवेश स्थानीय राजनीति का शिकार होकर रह गया. स्थानीय विवाद, गुटबाजी व परस्पर विरोध की वजह से पंचायतों में विकास का सपना चूर-चूर होकर रह गया. कहीं काम हुए भी तो उसमें भी लेट लतीफी और कमीशनखोरी ने उसका बेड़ा गर्क कर दिया.ग्राम पंचायतों में भी ज्यादातर में मुखिया और उप मुखिया के बीच बर्चस्व की लड़ाई चलती रही.
सरपंचों और पंचों की लड़ाई भी खुलेआम रही. इन सबमें सबसे अधिक सरकारी योजनाओं और उन योजनाओं पर काम कराने को लेकर भी खींचतान हावी रहा. जिला पर्षद व पंचायत समितियों में भी कुछ इसी तरह की स्थिति रही.
पब्लिक सब जानती है. अब पंचायत चुनाव के नामांकन का अंतिम दौर चल रहा है और कौन प्रत्याशी है और कौन समर्थक यह खुल कर सामने आ चुका है.
लेकिन, पब्लिक अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं. दरवाजे पर आने वाले हर प्रत्याशियों को भरोसा दिलाया जा रहा है कि वह उनके अपने हैं और घर का सभी वोट उन्हें ही मिलेगा.

Next Article

Exit mobile version