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खत्म हुआ झूम बराबर झूम शराबी.. का दौर
पंचायत चुनाव में झूम बराबर झूम शराबी का दौर खत्म हो गया है. पंचायत चुनाव के ठीक पहले सरकार ने शराब पर पाबंदी लगा दी है. नामांकन का दौर खत्म हो चुका है. जिले में नौ चरणों में होने वाले चुनाव को लेकर प्रथम चरण में 24 अप्रैल से वोट डाले जायेंगे. इससे पहले सभी […]
पंचायत चुनाव में झूम बराबर झूम शराबी का दौर खत्म हो गया है. पंचायत चुनाव के ठीक पहले सरकार ने शराब पर पाबंदी लगा दी है. नामांकन का दौर खत्म हो चुका है. जिले में नौ चरणों में होने वाले चुनाव को लेकर प्रथम चरण में 24 अप्रैल से वोट डाले जायेंगे.
इससे पहले सभी पंचायतों में शराब की दुकानें भी शाम होते ही दुकान के पास भीड़ लग जाती थी. दुकान के पास ही जीत हार की रणनीति बनने लगती थी. ग्रामीणों को सुलभ तरीके से शराब उपलब्ध था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. शराबबंदी के बाद प्रशासन की पैनी नजर अवैध शराब पर टिकी है. मतदान के दौरान भी शराबियों का हुड़दंग देखने को नहीं मिलेगा.
पूर्ण शराबबंदी का असर पंचायत चुनाव पर साफ दिखने लगा है. पूर्व के चुनावों में जहां प्रत्याशियों के साथ घुमने वाले समर्थकों की अच्छी खासी संख्या रहती थी, वहीं इस बार मायूस शराबियों ने उनके साथ घुमने से भी तौबा कर लिया है. इससे गांवों में प्रत्याशियों के साथ घुमने वाले की संख्या में अचानक कमी आ गयी है.
कई महिला उम्मीदवार तो पति के साथ बाइक से घूम-घूम कर मतदाताओं से संपर्क साध रही हैं, जबकि कई उम्मीदवारों की गाड़ियों में उनके साथ बैठने वाले लोगों का टोटा है. शहर से सटे एक पंचायत के गांव में पूर्व मुखिया जी को सिर्फ एक समर्थक के साथ चुनाव प्रचार करते देख एक मतदाता ने चुटकी लेते हुए कहा कि पहले तो इनके साथ लोगों की भीड़ चलती थी. अब पता चला कि वह मुखिया प्रेम नहीं, बल्कि दारू प्रेम था. गांव की चौपालों में भी पूर्ण शराबबंदी चर्चा का विषय बना हुआ है.
कुछ लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि सीमावर्ती राज्यों की सीमा से शराब की तस्करी हो सकती है. वहीं, कुछ लोग कानून के डंडे का हवाला दे रहे हैं. ऐसा करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने की नसीहत भी दे रहे हैं. इस मामले में सर्वाधिक खुश महिला प्रत्याशी है. उनका कहना है कि शराबबंद होने से न केवल चुनाव के खर्च कम हो जायेंगे, बल्कि पंचायतों का विकास भी होगा.
सुशासन बाबू का निर्णय सराहनीय : दर्शकों से शराब की लत में आकर क्षेत्र के कई घरों में कलह ने जड़ जमा लिया था. परिवार के लोग कोई बेटे के शराबी तो कई महिलाएं पति के शराबी होने व उसकी प्रताड़ना से काफी तंग रहती थी. शराब छुड़ाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते रहे परंतु, सब बेअसर हो जाता था. फिर वही तनाव भरी जिंदगी लोग जीने पर मजबूर थे लेकिन सरकार के इस अहम कदम ने पल भर में कई घरों की वर्षों से खोयी खुशियां वापस कर दी. लोगों का कहना है कि सुशासन बाबू का पूर्ण शराबबंदी का निर्णय जनहित में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.
पुलिस व प्रशासन के लिए पूर्ण शराबबंदी अग्निपरीक्षा होगी. चुनाव में अगर शराब का दौर नहीं चला तो माना जायेगा कि अब यहां शराब बेचना मुश्किल है. वैसे भी शराबबंदी को लेकर प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारी सतर्क है. शराब बरामदगी को लेकर नियमित छापेमारी चल रही है.
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