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कोर्ट परिसर : संसाधन पर सुस्ती भारी, सुरक्षा दावं पर
सूबे में कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था लचर है. पिछले कुछ दिनों में इसका उदाहरण हम दे चुके हैं. विगत18 अप्रैल को छपरा कोर्ट में हुआ ब्लास्ट इसका ताजा उदाहरण है. इससे पहले 23 जनवरी को आरा कोर्ट में ब्लास्ट हुआ था. इस घटना के बाद 11 मार्च को सासाराम कोर्ट के पास बम विस्फोट हुआ […]
सूबे में कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था लचर है. पिछले कुछ दिनों में इसका उदाहरण हम दे चुके हैं. विगत18 अप्रैल को छपरा कोर्ट में हुआ ब्लास्ट इसका ताजा उदाहरण है. इससे पहले 23 जनवरी को आरा कोर्ट में ब्लास्ट हुआ था. इस घटना के बाद 11 मार्च को सासाराम कोर्ट के पास बम विस्फोट हुआ था. 11 अप्रैल 2016 को मुजफ्फरपुर कोर्ट परिसर में एक आरोपित की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. ऐसे कई मामले हो चुके हैं, जिनसे साबित हो रहा है कि न्यायालय परिसर सुरक्षित नहीं हैं.
भभुआ(सदर) : भभुआ कोर्ट की सुरक्षा में उपकरण तो सभी लगाये गये हैं, पर इन सुरक्षा उपकरणों के साथ तैनात पुलिस के जवानों द्वारा घोर सुस्ती बरती जा रही है. प्रभात खबर संवाददाता ने सोमवार को जब भभुआ कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था का नजदीकी जायजा लिया, तो यहां की सुरक्षा व्यवस्था खुल कर सामने आयी. इस दौरान कोर्ट के किसी गेट पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था थी, तो कहीं सुरक्षा कर्मी कुरसी पर बैठ कर उंघते नजर आये. आम लोगों से लेकर ठेले खोमचे वाले बेधड़क इसका फायदा उठा कर अंदर परिसर में प्रवेश करते दिखे.
अभी तक कचहरी परिसर में सीसीटीवी कैमरे तो नहीं लगाये गये, लेकिन कोर्ट की सुरक्षा के लिए अन्य उपकरण लगा दिये गये हैं. इसके अलावा एसपी हरप्रीत कौर ने सभी प्रवेश द्वारों सहित तमाम स्थानों पर हथियारबंद जवानों के साथ महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती की है, लेकिन जवानों द्वारा बरती जा रही लापरवाही से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) जैसे मानक धरातल पर नहीं उतर पाते. और घटना घटने के बाद इसकी हकीकत सामने उतर कर आती है.
फोटो खिंचते ही जवान हुए बदहवास
सोमवार को जब कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के दौरान सुरक्षा में उंघते मिले. जवानों की जब तसवीर ली गयी, तो एकबरगी उन्हें भी पता नहीं चला, लेकिन जब उन्हें साथियों ने जगाया और हकीकत का पता चला, तो सभी बदहवास होकर इसे न छापने के लिए अनुनय-विनय करने लगे. कुछ जवानों का कहना था कि रविवार को रामगढ़ व नुआंव से पंचायत चुनाव करा कर देर रात लौटे. पुन: सुबह छह बजे कोर्ट की सुरक्षा ड्यूटी में लगा दिया गया है.
अपराधी प्रशासन द्वारा की गयी सुरक्षा व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं. प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी सतर्क है, लेकिन जब तक व्यवहार न्यायालय कैंपस को पूरी तरह सील नहीं किया जाता, तब तक कोई भी उपाय कारगर साबित नहीं होगा. कैंपस की बाउंड्री को व ऊंचा करना होगा. न्यायालय परिसर का मुख्य द्वार समय से खुले व समय से बंद हो इसकी व्यवस्था करनी होगी.
कोर्ट के खुलने का समय अप्रैल से जून तक सुबह छह बजे है. लेकिन, उसका मुख्य गेट बंद रहने के बावजूद कोई भी व्यक्ति आसानी से कभी आ जा सकता है. सुरक्षा कर्मी की व्यवस्था प्रहरी के रूप में की गयी है, लेकिन वे भी उतने चुस्त नहीं रहते, जितना उनको रहना चाहिए. वर्तमान में जो व्यवस्था की गयी है, वह सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त रखने में कारगर नहीं है. गौतम शाही, बुद्धिजीवी
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