गांवों में ”कनफुकवा” की कट रही चांदी

भभुआ(नगर) : मंगरू काका चुनाव नहीं लड रहे हैं और न ही उनका कोई नात-रिश्तेदार चुनाव मैदान में है. फिर भी इसबार पंचायत चुनाव में उनकी व्यस्तता काफी बढ़ गयी है. घर वाले उन्हे ढूंढते फिर रहे हैं, पर काका सुबह में किसी एक प्रत्याशी के साथ नजर आ गये, तो शाम में दूसरे या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2016 8:20 AM
भभुआ(नगर) : मंगरू काका चुनाव नहीं लड रहे हैं और न ही उनका कोई नात-रिश्तेदार चुनाव मैदान में है. फिर भी इसबार पंचायत चुनाव में उनकी व्यस्तता काफी बढ़ गयी है. घर वाले उन्हे ढूंढते फिर रहे हैं, पर काका सुबह में किसी एक प्रत्याशी के साथ नजर आ गये, तो शाम में दूसरे या तीसरे प्रत्याशी के साथ नजर आ गये.
पीठ ठो ककर सबको जीत का आशीर्वाद देते काका कहते हैं कि अपने गांव को अब तुम्ही से आखिरी उम्मीद है. दरअसल पूरे गांव की हलचल की जानकारी इन दिनो काका को है. कौन वोट बन गया व किन बिगड़े वोटों को कैसे बनाना संभव होगा, इन सब पर काका के आगे बड़े-बड़े भविष्यवक्ता भी फेल हैं. गांव में प्रत्याशियों के इर्द-गिर्द ऐसे काकाओं की भीड़ जमा रहती है. चुनाव प्रचार में जोर-शोर से लगे प्रत्याशियों के समर्थक ऐसे काकाओं को कनफुकवा कहते हैं. बताया जाता है.
की प्रत्येक गांव में इन दिनों कनफुकवा काकाओं की चांदी कट रही है, जो प्रत्याशी के इर्द गिर्द डेरा जमाये बैठे हैं. अहले सुबह से देर रात तक इनकी व्यस्तता देखते ही बनती है.
अपने कला व कौशल से गांव की हवा का रूख बदलने की क्षमता रखने वाले काका चुनाव में प्रत्याशी नहीं रहने के बावजूद काफी व्यस्त हैं. काका को गांव के हर घर की खबर है. किसके घर पर सास-बहू का झगडा हुआ है व किसने झगडे को सलटाया कौन सा प्रत्याशी मजबूत स्थिती में है और किसकी दाल गलने वाली नहीं है. ये सब काका को मालूम है. पंचायती राज व्यवस्था में सर्वाधिक आकर्षक पद मुखिया का है.
इस बार यह आकर्षण व अधिक बढ़ गया है. वजह है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा ग्राम उदय से भारत उदय जैसे गांवों को अत्मनिर्भर बनाने की कई योजनाएं. गांवों को सीधे करीब एक करोड़ रुपये सलाना मिलने की उम्मीद है. संभव है, जो अधिकार गत 15 सालों में मुखिया व सरपंच को नहीं मिल सके. शायद इस बार मिल जाये.
इस बार जिले के सभी प्रखंडों को मिला कर मुखिया के लिए कुल 2146 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें 1001 महिला व 1145 पुरूष प्रत्याशी हैं. वहीं सरपंच के लिए कुल 871 प्रत्याशी मैदान में है जिनमें 379 महिला व 492 पुरूष प्रत्याशी अपनी ताल ठोक रहे हैं. वहीं इस बार जिला परिषद की सीट पर भी कब्जा जमाने के लिए कई दिग्गज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जिला परिषद की सीट पर इस बार कुल 289 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें 93 महिला व 196 पुरुष प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने की कवायद में जोर शोर से लगे हुए हैं.

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