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सदर अस्पताल में आदेशपाल कर रहा मरीजों की मरहम पट्टी

सदर अस्पताल में मरीजों की मरहम पट्टी से लेकर हड्डी जोड़ने तक का काम इन दिनों कौन रहा है, जब आप जानेंगे तो चौंक जायेंगे. क्योंकि, अस्पताल प्रशासन ने गंभीर रूप से घायल से लेकर हड्डी जोड़ने जैसे काम की जिम्मेवारी एक आदेशपाल से करवाया जा रहा है. अस्पताल प्रशासन ने ड्रेसर की जगह इमरजेंसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2016 8:16 AM

सदर अस्पताल में मरीजों की मरहम पट्टी से लेकर हड्डी जोड़ने तक का काम इन दिनों कौन रहा है, जब आप जानेंगे तो चौंक जायेंगे. क्योंकि, अस्पताल प्रशासन ने गंभीर रूप से घायल से लेकर हड्डी जोड़ने जैसे काम की जिम्मेवारी एक आदेशपाल से करवाया जा रहा है.

अस्पताल प्रशासन ने ड्रेसर की जगह इमरजेंसी में आदेशपाल को कर दिया तैनात

भभुआ (सदर) : सदर अस्पताल इन दिनों कर्मचारियों की भीषण कमी झेल रहा है. इसका ही नतीजा है कि सौ बेड वाले सदर अस्पताल के आपातकाल की व्यवस्था की जिम्मेवारी एक आदेशपाल निभा रहा है. आदेशपाल गंभीर हादसों सहित सामान्य रूप से घायल मरीजों के मरहम पट्टी के अलावा हड्डी जोड़ने व प्लास्टर करने का काम कर रहा है. सदर अस्पताल की इस व्यवस्था से पता चलता है कि विभाग आखिर मरीजों को स्वस्थ करने में कितना सक्षम है.

गौरतलब है कि सदर अस्पताल में वर्षों से ड्रेसर का पद रिक्त पड़ा हुआ है. अस्पताल प्रबंधन इसकी जिम्मेवारी जैसे-तैसे निभाता आ रहा है. कुछ वर्षों में सदर अस्पताल में कार्यरत मानेदय कर्मियों से ड्रेसर सहित इमरजेंसी का काम लिया गया, लेकिन मार्च महीने में जब से मानदेय कर्मियों को डीएम के आदेश से हटाया गया, तब से इमरजेंसी में आये मरीजों को तो और परेशानी उठानी पड़ रही है.

इतना ही नहीं अस्पताल आये मरीजों को आदेशपाल से मरहमपट्टी कराने के अलावा भरती से लेकर दवा तक की व्यवस्था खुद से ही करनी पड़ती है. सदर अस्पताल में जलने से भरती हुए चैनपुर के ताहिर अंसारी ने बताया कि यहां सभी काम खुद से करना पड़ता है. भरती वार्ड में डॉक्टर तो दूर कोई कर्मचारी भी देखने नहीं आता. अस्पताल की इस व्यवस्था से आये दिन इलाज कराने आये मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है.

सोमवार को बेतरी की आशा देवी अपने पुत्र के टूटे पैर का प्लास्टर उतरवाने आई थीं, लेकिन उन्हें इसके लिए दो घंटे से अधिक देरी तक इंतजार करना पड़ा. क्योंकि इमरजेंसी में अकेले कार्यों को निबटा रहे आदेशपाल के पास पहले से ही मरीजों की लाइन लगी हुई थी. महिला का कहना था कि रविवार को भी वह अपने बच्चे को लेकर आई थी, लेकिन काफी देर इंतजार करने के बावजूद उसके बेटे का प्लास्टर नहीं कट पाया, तो मजबूरन फिर आना पड़ा. ऐसे मरीज प्रतिदिन सदर अस्पताल में इलाज के दौरान परेशानी झेलते हैं.

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