गरम हवा व तीखी धूप से जनजीवन बेहाल

भभुआ(नगर) : पिछले कुछ दिनों से जारी भीषण गरमी ने रविवार को भी लोगों को बेहाल रखा. अनवरत पसीने से तरबतर लोग अब मॉनसून का इंतजार कर रहे हैं. तीखी धूप से खेती प्रभावित हो रही है और रमजान के महीने में रोजेदार भी इससे परेशान हैं. इसी बीच लोग आसमान में धीरे मेघ को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2016 8:33 AM
भभुआ(नगर) : पिछले कुछ दिनों से जारी भीषण गरमी ने रविवार को भी लोगों को बेहाल रखा. अनवरत पसीने से तरबतर लोग अब मॉनसून का इंतजार कर रहे हैं. तीखी धूप से खेती प्रभावित हो रही है और रमजान के महीने में रोजेदार भी इससे परेशान हैं. इसी बीच लोग आसमान में धीरे मेघ को देख कर भगवान से पानी बरसाने का आग्रह कर रहे हैं. जैसे-जैसे दिन गुजर रहा है लोगों में पिछले साल का सूखा कर डर सताने लगा है. दिन भर धूल भरी गरम हवा चल रही है और सूरज की तेज किरणों ने लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर दिया है. मौसम के इस तेवर से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.
अमूमन रोहिणी नक्षत्र में एक दो बार गरज के साथ अच्छी बारिश हो जाती है. लेकिन, इस बार उम्मीद से कम पानी टपका. पुरवइया के गरम हवाओं के चलते लोगों के चेहरे मुरझा रहे हैं. स्थिति यह है कि दिन भर तपती गरमी के बीच पुरवइया के झोंके से लोग परेशान नजर आ रहे हैं. भीषण पड़ रही गरमी में धरती का तपन जारी है ऐसे अब लोगों की निगाहें मॉनसून की बारिश पर टिकनी शुरू हो गयी है. उमस भरी गरमी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. कंक्रीट के इस जंगल में तपते लोगों की आस अब मॉनसून पर टिकी हुई है.
आसमान में मंडराते बादलों को देख इलाके के किसानों के सिर बारिश की आस में ऊपर उठ जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि अब तो मेघराज से यही प्रार्थना है कि जल्दी से बारिशहो और गरमी से राहत मिले तो खेती-बाड़ी पर लग जाये.
इंद्रदेव को मनाने के लिए प्रार्थना
लू व गरमी अपनी चरम सीमा पर है. इसकी वजह से दोपहर में सड़के सूनी पड़ जा रही है. आदमी ही नहीं बल्कि जंगली जानवर भी सुरक्षित स्थान पर पनाह ले रहे हैं. वहीं, किसानों का अलग ही दर्द है. मौसम के इस बदले तेवर से उनका कलेजा मुंह को आ रहा है. किसान इंद्रदेव की प्रार्थना में लगे हुए हैं.
रोहिणी नक्षत्र बीत चुका है. लेकिन, मेघ बरसने का नाम नहीं ले रहा. वहीं, सिंचाई के उपलब्ध संसाधन भी जवाब दे चुके हैं. जिले के हर प्रखंड क्षेत्र में कमोबेश एक जैसी स्थिति है. नदी, पोखर, तालाब, नहरे पानी के बिना सूखी पड़ी हैं.
ऐसे में किसान खरीफ की खेती खड़ी करने के लिए बिचड़ा डालने को खेतों के लिए पानी कहां से लाये इसी जुगत में भीड़े हुए हैं. साधन संपन्न लोगों द्वारा थोड़ा बहुत तो बिचड़ा डाला गया है. लेकिन, आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के पास न रूपये है और न साधन जिससे वे अपनी खेती खड़ी कर सके. अब ऐसे में सबकी निगाहे आसमान की ओर है कि कब बारिश हो और गरमी से निजात मिले और खेती-बाड़ी के काम को रफ्तार दी जा सके.
खेतों में दरार देख फटने लगा किसानों का कलेजा
एक समय था जब रोहिणी नक्षत्र में शायद ही कोई किसान धान के बिचड़े नहीं डाल पाते थे. अब वह समय बदल गया. किसान जागरूक हो गये और उन्हें कृषि विभाग द्वारा निर्धारित समय पर बिचड़े डालने के साथ-साथ ही धान की रोपनी करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. उन्नत खेती के लिए समय पर बिचड़ा डालना जरूरी हो जाता है. इन सबके बावजूद बारिश नहीं होने के कारण किसान धान के बिचड़े नहीं डाल पा रहे हैं. उनके खेतों में दरार पड़ी हुई है. उम्मीद थी कि रोहिणी नक्षत्र में बारिश होगी तो बिचड़े डाले जायेंगे.
खेतों की स्थिति तो यह है कि उसमें मिट्टी काटना भी आसान नहीं है. किसानों का कहना है कि महंगे दर पर डीजल खरीदने के बावजूद भी पंप सेट के सहारे खेतों में पानी भरना मुश्किल है कुल मिला कर किसानों में काफी मायूसी है.
जहां एक ओर कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष एक लाख आठ हजार हेक्टेयर में खरीफ की खेती का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, न तो किसानों को समय से नहरों में पानी मिल पा रहा है और न ही प्रकृति ही इस बार मेहरबान दिख रही है. जिससे किसान अपनी खेती खड़ी कर सके.

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