राइस मिलरों से वसूली मामले में हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक

भभुआ (कार्यालय) : राइस मिलरों से चावल गबन के मामले में 1903 रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा वसूलने के एसएफसी के सर्टिफिकेट केस को हाइकोर्ट द्वारा जायज ठहराने के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में सोन वैली राइस मिल के प्रोपराइटर सुधाकर सिंह के द्वारा दायर की गयी याचिका सिविल एसएलपी पर सुनवाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2016 6:10 AM

भभुआ (कार्यालय) : राइस मिलरों से चावल गबन के मामले में 1903 रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा वसूलने के एसएफसी के सर्टिफिकेट केस को हाइकोर्ट द्वारा जायज ठहराने के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में सोन वैली राइस मिल के प्रोपराइटर सुधाकर सिंह के द्वारा दायर की गयी याचिका सिविल एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है. बिहार राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधाकर सिंह ने बताया कि उक्त याचिका में

अंतरिम आदेश आने तक पटना हाइकोर्ट के उस आदेश पर जिसमें बिहार राज्य खाद्य निगम के द्वारा 2011-12 में चावल जमा नहीं करने वाले राइस मिलरों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस को जारी रखने एवं 1903 रूपया 13 पैसा प्रति क्विंटल के दर से वसूली का आदेश दिया था उस पर रोक रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाइकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगाये जाने से राइस मिलरों ने राहत की सांस ली है. श्री सुधार सिंह ने बताया कि स्टे ऑर्डर उच्चतम न्यायालय के माननीय न्याधीश जस्टिस कोरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन द्वारा आदेशित है. हालांकि इसकी न्यायिक सूत्रों द्वारा पुष्टि नहीं हो सकी.

क्या था मामला : 2011-12 में एसएफसी ने धान खरीद कर विभिन्न जिलों के राइस मिलरों को धान की कुटाई कर चावल देने का करार किया था. लेकिन एसएफसी ने राइस मिलरों पर धान के बदले चावल नहीं देने का आरोप लगाते हुए सर्टिफिकेट केस किया था और 1903 रुपया 13 पैसा प्रति क्विंटल के दर से पैसा वसूली का आदेश जारी किया था.
जिसके बाद राइस मिलर हाई कोर्ट में गुहार लगाये थे. जिसमें हाइकोर्ट ने उनके सर्टिफिकेट केस के प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए निरस्त कर दिया था. जिसके बाद एसएफसी ने पटना हाई कोर्ट के डिविजन बेंच में अपील की थी डिविजन बेंच ने बीएसएफसी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सर्टिफिकेट केस को जारी रखने को आदेशित किया था.

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