खराब पड़े हैं सरकारी चापाकल
अप्रैल में ही विभाग ने कही थी सबमर्सिबल पंप लगाने की बात मोहनिया(सदर) : पीने के पानी के लिए प्रखंड की बघिनी पंचायत के बहदुरा गांव के लोग परेशान हैं. जिला सहित पूरे क्षेत्र में तेजी से फैल रहे डायरिया के भय के बीच लोग खुले में स्थित कुएं का दूषित पानी पीने को मजबूर […]
अप्रैल में ही विभाग ने कही थी सबमर्सिबल पंप लगाने की बात
मोहनिया(सदर) : पीने के पानी के लिए प्रखंड की बघिनी पंचायत के बहदुरा गांव के लोग परेशान हैं. जिला सहित पूरे क्षेत्र में तेजी से फैल रहे डायरिया के भय के बीच लोग खुले में स्थित कुएं का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इसका मुख्य कारण पीएचइडी की घोर लापरवाही है, जो खराब पड़े चापाकलों को ग्रामीणों के आवेदन के बाद भी उसे ठीक करवाने का नाम नहीं ले रहा है. इसका नतीजा है कि मलिन बस्ती के लोग उस कुएं का दूषित पानी पी रहे हैं.
इसमें मछली व मेढ़क सहित कीड़े स्पष्ट दिखायी पड़ रहे हैं. प्रखंड का यह ऐसा गांव है, जहां जलस्तर काफी नीचे है. यहां 355 से 360 फुट गहराई पर पीने का पानी मिलता है. करीब 380 वोटरों वाले इस गांव में दो से चार लोग ही ऐसे हैं, जिनके घरों में निजी चापाकल है. यहां एक चापाकल लगाने में 30 से 35 हजार रुपये की लागत आती है. यहां पानी की किल्लत को देखते हुए अप्रैल महीने में ही विभाग द्वारा सबमर्सिबल पंप लगवाने की बात कही गयी थी, ताकि यहां के लोगों को जल संकट से बचाया जा सके. अब अप्रैल तो क्या सितंबर भी आ गया, लेकिन विभाग हाथ पर हाथ रखे बैठा है.