व्यक्ति नहीं, बल्कि प्रतिभा व काम को मिलता है सम्मान
भभुआ कार्यालय : लिच्छवी भवन में आयोजित अखिल भारतीय सारस्वत परिसर द्वारा आयोजित स्वर्गीय जवाहर तिवारी स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यान माला एवं सारस्वत सम्मान समारोह में चंपारण व गांधी’’ सत्याग्रह के सौ वर्ष पर मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल रामनाथ कोिवंद शामिल हुए. उन्होंने सबसे पहले गत दिनों उरी में शहीद हुए कैमूर के जवान […]
भभुआ कार्यालय : लिच्छवी भवन में आयोजित अखिल भारतीय सारस्वत परिसर द्वारा आयोजित स्वर्गीय जवाहर तिवारी स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यान माला एवं सारस्वत सम्मान समारोह में चंपारण व गांधी’’ सत्याग्रह के सौ वर्ष पर मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल रामनाथ कोिवंद शामिल हुए. उन्होंने सबसे पहले गत दिनों उरी में शहीद हुए कैमूर के जवान राकेश कुमार सहित दस लोगों को सम्मानित करने के बाद अपने संबोधन की शुरुआत शहीद राकेश को नमन करते हुए किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सम्मान किसी व्यक्ति का नहीं होता बल्कि उसके प्रतिभा एवं उसके द्वारा किये गये कार्यों को होता है.
‘चंपारण व गांधी’ सत्याग्रह के सौ वर्ष पर बोलते हुए राज्यपाल श्री कोविंद ने कहा कि चंपारण आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि शांतिपूर्ण जनविरोध के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को किसानों के मांगों को मानने के लिए राजी होना पड़ा. चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल अंग्रेजों के द्वारा किये जा रहे किसानों के खिलाफ 1914 से आंदोलनरत थे. बाद में श्री शुक्ल ने महात्मा गांधी को चंपारण के किसानों की पीड़ा से अवगत कराया. उसे गांधी जी ने गंभीरता से लिया.
10 अप्रैल 1917 को गांधी जी चंपारण के किसानों की समस्या को दूर करने के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद को खुली चुनौती दी थी. बिहार की मिट्टी की विशेषता रही कि वे यहां खींचे चले आये व चंपारण से शुरू हुआ स्वतंत्रता के उस आंदोलन के साथ पूरा देख खड़ा हो गया बाद में उस जन आंदोलन को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया गया. गांधी जी के सफल नेतृत्व में चंपारण के किसानों ने सफलता व आत्मविश्वास का संचार किया.
ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी के इस आंदोलन को कुचलने के लिए धारा 144 की नोटिस दी. लेकिन, वे इससे विचलित नहीं हुए अंत में इस आंदोलन के आगे ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा. चंपारण के किसानों की मांग को मानते हुए उनके लगान को माफ करना पड़ा साथ क्षतिपूर्ति की राशि देनी पड़ी. सत्याग्रह का यह पहला प्रयोग बिहार की धरती से सफल रहा.
चंपारण आंदोलन भारत के स्वतंत्रता आंदालेन की एक अद्वितीय अध्याय है. चंपारण आंदालेन में स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी का सूत्रपात किया. वह आंदोलन प्रथम अहिंसात्मक आंदोलन था जो अपने लक्ष्य में सफल रहा.
गांधी जी ने अपनी आत्मगाथा में इसका जिक्र किया है कि चंपारण आंदोलन में उन्होंने अहिंसा सत्य व ईश्वर का साक्षात्कार किया. चंपारण आंदोलन को मैं कभी नहीं भूल सकता. गांधी जी अपने नेतृत्व क्षमता के लिए चंपारण को श्रेय देते हैं.
कमजोर तबके को शक्ति दिये वगैर देश का विकास संभव नहीं : राज्यपाल श्री कोविंद ने उक्त सम्मान समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि हम अपनी नई आर्थिक नीति के निर्धारण में भी समाजिक विषमता के खाई को बढ़ने नहीं दें इस खाई को पाटा जाना जरूरी है. समाज के कमजोर तबके एवं वंचित वर्ग को शक्ति प्रदान किये बिना देश का समग्र विकास संभव नहीं है. जाति वाद, वंशवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद जैसी विक्रितियों से मुक्ति के लिए चंपारण आंदोलन हमें प्रेरणा देती है.
मेरे लिए िबहारीवासी बराबर हैं: राज्यपाल श्री कोविंद ने कहा कि मैं आपके प्रदेश का संवैधानिक प्रमुख हूं व संवैधानिक प्रमुख होने के नाते प्रत्येक बिहारवासी मेरे लिए बराबर हैं.
चाहे वे किसी भी जाति,धर्म से हो या किसी भी राजनीतिक दल से, मेरे लिए दो बातें महत्वपूर्ण है पहला भारत का संविधान व दूसरा बिहार का नागरिक. बिहार धर्म व संप्रदाय का संगम है. बिहार का राजभवन बिहारवासियों के लिए हमेशा खुला हुआ है. सारस्वत अतिथि के रूप में चिंतक स्वांत रंजन ने संबोधित करते हुए कहा कि विचारों का भ्रम पैदा कर दिया जाये तो समाज भ्रमित हो जाता है. अच्छे विचारों को आने के लिए हमेशा अपने खिड़की दरवाजे खोले रहना चाहिए.
कार्यक्रम का संचालन मंजू आर्य द्वारा किया गया. मुख्य अतिथि को अखिल भारतीय सारस्वत परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा अग्रवाल ने बुक व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. इस दौरान महात्मा गांधी एवं स्व. जवाहर तिवारी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया एवं रविंद्र उपाध्याय ने स्वागत भाषण किया.
पुलिस लाइन में राज्यपाल को दी गयी सलामी : राज्यपाल श्री कोविंद ठीक 12 बजे हेलीकॉप्टर द्वारा पुलिस लाइन में बने हेलीपैड पर उतरे, जिसके बाद डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह व एसपी हरप्रीत कौर ने उन्हें बुके देकर स्वागत किया.
पुलिस लाइन में ही बीएमपी के जवानों के द्वारा राज्यपाल को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राज्यपाल श्री कोविंद कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए.
सुरक्षा की रही चाक-चौबंद व्यवस्था : राज्यपाल के आगमन को लेकर भभुआ शहर में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था रही. शहर के प्रत्येक चौक-चौराहे पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल पुलिस के अधिकारी एवं मजिस्ट्रेट तैनात किये गये थे. सुबह से ही पुलिस की वाहन सड़कों पर दौड़ लगा रही थी.
राज्यपाल के कॉरकेट बिना किसी रुकावट के कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे. इसके लिए जयप्रकाश चौक से कुछ समय के लिए रूट को डायवर्ट किया गया था. कार्यक्रम समाप्त होने के बाद राज्यपाल श्री कोविंद हवाई मार्ग से वापस पटना लौट गये. प्रशासनिक अधिकािरयों की नजरें कार्यक्रम स्थल पर टिकीं थीं़