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कड़ी सुरक्षा के बीच विसर्जित हुईं मां की मूर्तियां

चैनपुर : दस दिनों तक चले मां दुर्गा की पूजा मां की प्रतिमा के विसर्जन के साथ समाप्त हो गयी. क्षेत्र में विभिन्न पूजा समितियों द्वारा स्थापित की गयी मां की प्रतिमा का विसर्जन बुधवार को देर शाम की गयी़ मूर्ति विसर्जन से पहले जुलूस निकाला गया जो पूजा पंडाल से शुरू होकर विसर्जन स्थल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2016 5:24 AM
चैनपुर : दस दिनों तक चले मां दुर्गा की पूजा मां की प्रतिमा के विसर्जन के साथ समाप्त हो गयी. क्षेत्र में विभिन्न पूजा समितियों द्वारा स्थापित की गयी मां की प्रतिमा का विसर्जन बुधवार को देर शाम की गयी़
मूर्ति विसर्जन से पहले जुलूस निकाला गया जो पूजा पंडाल से शुरू होकर विसर्जन स्थल तक गया. बैंड-बाजों के साथ माता की प्रतिमा का जुलूस शुरू हुआ, जिसमें मां के जयकारे गूंज रहे हैं. चैनपुर में ये जुलूस हरसू ब्रह्म मंदिर परिसर स्थित दुर्गा मंदिर से शुरू हुआ. ये जुलूस चैनपुर की विभिन्न गलियों से होते हुए देर शाम स्थानीय थाना के सामने स्थित तालाब के पास पहुंचा जहां चैनपुर व जगरिया के जुलूस का महासंगम हुआ.
यहां सबसे पहले जगरिया की मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन हुआ उसके बाद चैनपुर दुर्गापूजा समिति द्वारा प्रतिमा का विसर्जन किया गया. इस दौरान वकील हलवाई, पप्पू हलुवाई, बदरीनाथ शुक्ला, भानु माली सहित अनेक लोग मौजूद थे.
गुरुवार को जगदहवां डैम पर भभुआ से आयी प्रतिमाओं का विसर्जन पुरे दिन चलता रहा. इस विसर्जन को देखने के लिए आसपास के गांवों के हजारों लोग जगदहवां डैम पर इकठ्ठा हुए थे.
विसर्जन के दौरान किसी अप्रिय घटना से निबटने के लिए प्रशासन द्वारा गोताखोरों की व्यवस्था की गयी थी. इस दौरान थानाध्यक्ष अभय कुमार व अंचलाधिकारी चौधरी मुरली मनोहर प्रसाद राय अपने दल-बल के साथ पूरी तरह मुस्तैद दिखे. मूर्ति विसर्जन के दौरान जगदहवां डैम पर उदयरामपुर पंचायत के मुखियापति दिलरंजन सिंह, मझुई पंचायत की मुखिया अनिता देवी, मदुरना पंचायत मुखिया प्रभु नारायण सिंह सहित सैकड़ों मौजूद रहे.
इस अवसर पर निर्भया सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मिश्र बाबा ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का संदेश दिया और कहा कि कलयुग में संपूर्ण मनुष्य जाति को मां चाहिए, बहन चाहिए, पत्नी चाहिए तो बेटी क्यों नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि बेटी भाग्य विधाता से अपना भाग्य स्वयं लिखाकर लाती है, चूंकि बेटी लक्ष्मी व दुर्गा का रूप होती है और इनको किसी की पहचान और सहारे की जरूरत नहीं, वह स्वयं अपने आप में ही पर्याप्त होती है.

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