93 मौजों के किसानों ने अपने गांवों में दिया महाधरना सह सामूहिक उपवास

वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन के उचित मुआवजा को लेकर अब किसान आर-पार की लड़ाई में उतर गये हैं, जिसे लेकर रविवार को एक्सप्रेसवे निर्माण में अधिग्रहित जमीन के जिले के 93 मौजों के किसानों अपने-अपने गांवों के सामने सामूहिक उपवास सह महाधरना दिया

By Prabhat Khabar News Desk | December 22, 2024 8:48 PM
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भभुआ, रामपुर. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन के उचित मुआवजा को लेकर अब किसान आर-पार की लड़ाई में उतर गये हैं, जिसे लेकर रविवार को एक्सप्रेसवे निर्माण में अधिग्रहित जमीन के जिले के 93 मौजों के किसानों अपने-अपने गांवों के सामने सामूहिक उपवास सह महाधरना दिया, जिसमें किसान परिवारों की महिलाओं ने भी भाग लिया. किसान संगठनों के अनुसार, इस महाधरना में एक साथ एक ही समय पर विभिन्न गांवों में लगभग 10 हजार किसानों ने भाग लिया. गौरतलब है कि भारत माला परियोजना के तहत बनने वाले वाराणसी-कोलक्तता एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा किये गये भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा की मांग कर रहे किसानों द्वारा पिछले दो सालों से लगातार धरना-प्रदर्शन करने के बाद अब किसानों का धैर्य टूट चुका है. मरो या करो के सिद्धांत पर किसान धरना-प्रदर्शन छोड़ कर अब एक्सप्रेसवे एक इंच जमीन भी नहीं बनने देने का एलान कर चुके हैं. इस क्रम में रविवार को भारतीय किसान यूनियन और किसान मोर्चा कैमूर की अध्यक्षता में जिले के निसीझा, झाली, रामपुर, झलकोरा, विजरा, लोहंदी, गंगापुर, ठकुरहट, मसोई, पसाई, मईडाढ, बसनी, गंगापुर, चांद, गोई सहबाजपुर, जिगना, सिहोरियां, बबुरहन, बेतरी, सिहोरा, सीवों, दुमदुम, सारनपुर, ढहनियां, गोडहन, जगरियां, बीउर, दुलहरा, कुसहा, करयडा, भेरी, खैटी, निरबिसपुर, बघेला, सरेला, बैरी, मोरवां, गेहुआं आदि गांवों में किसानों द्वारा महाधरना दिया गया. सुबह 11 बजे दिन से महाधरना में शामिल किसान किसान एकता जिंदाबाद, जय जवान जय किसान, उचित मुआवजा नहीं तो एक्सप्रेसवे नहीं आदि नारे लगा रहे थे. धरना में किसान नेता अनिल सिंह, अभिमन्यु सिंह सहित टुनटुन सिंह, जयप्रकाश सिंह, प्रो कमला सिंह, परमानंद श्रीवास्तव, रंगई सिंह, गुदरी सिंह, लाला सिंह, अशोक कुमार, रवि कुमार, अभय सिंह, अरुण सिंह, गामा सिंह, भीम गोंड, रामनिवास कुशवाहा आदि शामिल थे. = एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए गाड़े गये पिलर को किसानों ने उखाड़ा महाधरना में शामिल किसान नेता विमलेश पांडेय, पशुपतिनाथ सिंह आदि सहित किसानों का कहना था कि बगैर उचित मुआवजा के एक इंच भी जमीन पर एक्सप्रेसवे का निर्माण नहीं होने देंगे. चाहे इसके लिए उन्हें जान भी देनी पड़ जाये. किसान नेताओं का कहना था कि इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए गाड़े गये पिलर को किसानों द्वारा कई जगहों पर रविवार को उखाड़ दिया गया है. किसान नेताओं ने कहा कि अगर प्रशासन किसानों की जमीन लाठी और बंदूक के बल पर लेना चाहती है, तो कैमूर जलने लगेगा. इसकी सारी जवाबदेही सरकार और जिला प्रशासन की होगी. किसान नेताओं ने बिहार सरकार को चेताया कि अभी भी समय है सरकार चेत जाये और भूमि अधिग्रहण के मुआवजा भुगतान के विसंगतियों को दूर करे, ताकि किसानों सहित सरकार और जिला प्रशासन भी चैन की सांस ले सकें. इन्सेट किसानों को जमीन का चार गुना मुआवजा दे सरकार भभुआ. रविवार को सामूहिक उपवास सह महाधरना पर बैठे किसानों द्वारा सरकार से मांग की गयी बाजार मूल्य 50 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार अधिग्रहित भूमि का चार गुना मुआवजा किसानों को दे. किसानों का कहना था कि कहीं भी अधिग्रहित कृषि भूमि का बाजार मूल्य 50 लाख रुपये प्रति एकड़ से कम नहीं है. उस हिसाब से किसानों को बाजार मूल्य के चार गुना यानी दो करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार को मुआवजा देना चाहिए, ताकि किसान अपने उजड़े परिवार को फिर से व्यवस्थित ढंग से बसा सकें. किसानों का कहना था कि वर्तमान में उत्तरप्रदेश और बिहार के सर्किल रेट में चार गुना अंतर है. बिहार में अधिग्रहित किये गये कृषि भूमि का सर्किल रेट जहां 32 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है. वहीं, उत्तरप्रदेश में अधिग्रहित कृषि भूमि का सर्किल रेट एक करोड़ 28 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है. उदाहरण के लिए कैमूर के यूपी बार्डर से लगे बिहार के गोई गांव और बिहार बार्डर से लगे यूपी के कुशहां गांव का नाम लिया जा सकता है. कुशहां में किसानों को मुआवजा प्रति हेक्टेयर पर एक करोड़ 28 लाख रुपये का मिलेगा, जबकि भारत माला परियोजना में गोई के किसानों को मुआवजा 32 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मिलेगा. किसानों ने बताया कि किसानों के साथ यह सरकारी ज्यादती है.

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