निजी अस्पताल में प्रसव के बाद नवजात की मौत

भभुआ सदर : सदर अस्पताल की एक आशा कार्यकर्ता द्वारा एक गर्भवती महिला व उसके परिजनों को बरगला कर शहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने के क्रम में नवजात की मौत हो गयी. इस मामले को लेकर अखलासपुर निवासी और पीड़ित सत्येंद्र कुमार राम ने डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह से गुहार लगा कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2017 2:15 AM
भभुआ सदर : सदर अस्पताल की एक आशा कार्यकर्ता द्वारा एक गर्भवती महिला व उसके परिजनों को बरगला कर शहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने के क्रम में नवजात की मौत हो गयी. इस मामले को लेकर अखलासपुर निवासी और पीड़ित सत्येंद्र कुमार राम ने डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह से गुहार लगा कर न्याय की अपील की है.
डीएम ने उक्त युवक को सौभाग्य हॉस्पिटल प्रबंधन और अखलासपुर की आशा उषा देवी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. डीएम से आश्वासन मिलने के बाद पीड़ित युवक द्वारा कुबेर कॉम्प्लेक्स में स्थित सौभाग्य हॉस्पिटल और आशा उषा देवी पर अपनी गर्भवती पत्नी की जान खतरे में डालने व नवजात बच्चे की मौत का मामला नगर थाने में दर्ज कराया है. उसने शिकायत में कहा है कि उसकी पत्नी पूजा देवी को बच्चा होनेवाला था.
27 जनवरी की रात 11.30 बजे पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो उसे सदर अस्पताल लेकर आये. वहां उसकी पत्नी का इलाज हो रहा था. 28 जनवरी की सुबह 10.30 बजे अखलासपुर की आशा उषा देवी आयी व उसने कहा कि सरकारी अस्पताल में इलाज की व्यवस्था नहीं है व यहां खतरा है. आरोप के मुताबिक उषा देवी ने उससे कहा कि वह अपनी पत्नी को कुबेर कॉम्पलेक्स स्थित सौभाग्य हॉस्पिटल ले ले जाये, वहां अच्छी व्यवस्था है व उसका सुरक्षित प्रसव हो जायेगा.
चूंकि आशा उषा देवी ने ही गर्भधारण से लेकर अब तक देखभाल की थी, इसलिए उस पर विश्वास कर वह पत्नी को सदर अस्पताल से लेकर सौभाग्य हॉस्पिटल ले गया. वहां उषा देवी हॉस्पिटल में मौजूद एक लड़के व दाई से बात करने लगी. इसी दौरान प्रसव पीड़ा से उसकी पत्नी चिल्लाने लगी, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. अंतत: दाई द्वारा ही अपराह्न 11.30 बजे उसका प्रसव कराया गया. बताया जाता है कि प्रसव के बाद उसकी पत्नी व बच्चे की हालत बिगड़ने लगी लेकिन अस्पताल की ओर से कहा गया कि जच्चा बच्चा दोनों ठीक हैं, उन्हें घर ले जाएं. शिकायत में सत्येंद्र कुमार ने कहा कि वह पत्नी व नवजात को पुन: सदर अस्पताल ले आया.
सदर अस्पताल लाये जाने के बाद उसकी पत्नी तो ठीक हो गयी, लेकिन नवजात बेटे की नाक से खून आने लगा व अंतत: उसकी मौत हो गयी.
गलत तरीके से कराया गया प्रसव : इलाज के लिए बच्चे को सदर अस्पताल में भरती कराया गया था, जहां से उसे एसएनसीयू में ले जाया गया. सतेंद्र कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि असुरक्षित प्रसव कराने के चलते बच्चे के सीने पर काफी दबाव पड़ा है और उसका दायां पैर भी टूट गया है.
डॉक्टर के अथक प्रयास के बाद भी बच्चे की जान नहीं बचायी जा सकी और रविवार की रात बच्चे की मौत हो गयी. पीड़ित युवक ने कहा कि सौभाग्य हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर नहीं रहता है. दलाल,आशा, हॉस्पिटल के स्टाफ व दाई द्वारा मरीजों को बरगला कर सदर अस्पताल से लाया जाता है. युवक की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है.

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