घरों की छतों पर मंडरा रहा ”मौत” का साया

समस्या. शहर के हजारों लोग हाइटेंशन से टेंशन में व्यवस्था नदारद, बांस के सहारे तार टांग कर बिजली जलाने को लोग मजबूर भभुआ सदर : शहर में घरों के ऊपर से गुजरते बिजली के नंगे तार मौत को दावत दे रहे हैं. वहीं, लोग बिजली कट जाने व ऊमस भरी गरमी में छत पर सोने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2017 1:39 AM

समस्या. शहर के हजारों लोग हाइटेंशन से टेंशन में

व्यवस्था नदारद, बांस के सहारे तार टांग कर बिजली जलाने को लोग मजबूर
भभुआ सदर : शहर में घरों के ऊपर से गुजरते बिजली के नंगे तार मौत को दावत दे रहे हैं. वहीं, लोग बिजली कट जाने व ऊमस भरी गरमी में छत पर सोने को विवश हैं. शहर में करीब दर्जन भर मुहल्लों की यही हालत है. इस शहर में बसनेवाले करीब 20 हजार की आबादी पर बिजली विभाग की लापरवाही से हाइटेंशन बिजली प्रवाहित तार छतों व उनके आसपास से मौत बन कर दौड़ रही है. यह स्थिति शहर के गवई मुहल्ला, पुराना चौक, पश्चिम बाजार, आंबेडकर नगर व अन्य मुहल्लों की है,
जहां लोग बांस-बल्ले के सहारे तार टांग कर व टोका फंसा कर अपने घरों में बिजली ले गये हैं. गौरतलब है कि किसी एक फेज की बिजली चली जाती है, तो लोग दूसरे में टोका फंसा कर काम चला लेते हैं. गवई मुहल्ले के रहनेवाले बबलू पांडेय, ब्रजेश कुमार, मुन्ना सिंह आदि का कहना था कि हमलोगों की मजबूरी है करें तो क्या करें, लो वोल्टेज व बिजली के आने-जाने के चलते छतों पर सोना मजबूरी है. कई बार विभाग से जानलेवा बने इन तारों को हटाने के लिए कहा गया, लेकिन अब भी तार नहीं हटाया जा सका. इससे इस गरमी के मौसम में हमलोगों को प्रतिदिन मौत का डर बना रहता है.
हर ओर नंगे तार का जाल: शहर में बिजली की सप्लाइ के लिए बिजली विभाग तार का जाल बिछा रखा है. तार कई घरों के ऊपर से गुजरे हैं, जिससे उन मकानों में रहनेवाले लोगों को हमेशा जान पर बनी रहती है. शहर के अधिकतर मुहल्लों में 11 हजार वोल्ट व 33 हजार के तार गुजरते हैं. कई मुहल्लों में 33 हजार वोल्ट का तार लोगों की छतों के बिल्कुल करीब से गुजरा है, जिसके थोड़े ही पास से लोग अपनी जान गंवा देते हैं.
कई बार हो चुके हैं हादसे: शहर में हाइ टेंशन तार के गिरने से हादसे हो चुके हैं, जिसमें कई जाने चली गयी. 2017 में भभुआ-सोनहन बाइपास रोड में मकान से सट कर गये 11 हजार तार की चपेट में आकर छत पर खेल रहे 12 वर्षीय बच्चे की मौत हो गयी थी. एक साल पहले लच्छवी भवन के समीप रहनेवाले चुरन सिंह के भतीजे व भतीजी भी घर के ऊपर से गये हाइटेंशन तार की चपेट में आकर झुलस गये थे. इस मामले में मुहल्ले के लोगों द्वारा कई बार शिकायत भी की गयी थी.
यहां तक कि अधिकारियों को भी मुहल्लेवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद आजतक उक्त मुहल्ले से गया हाइ टेंशन तार नहीं हटाया गया. इसके अलावे भी पंजाब के होशियारपुर के रहनेवाला एक ट्रक ड्राइवर बद्री भवानी पेट्रोल पंप के समीप हाइ टेंशन तार के चपेट में आकर झुलस गया था. सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी.
इसके अलावे भी कई दुर्घटनाएं अब तक हो चुकी हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी इस मामले में उदासीन रवैया अपनाये हुए हैं. हालांकि, इस मामले में अधिकारी दोष लोगों पर ही थोपते हैं और कहते हैं कि लोग शहर के बिना नियम कायदे का मकान बना रहे हैं. जिसके चलते पहले से लगा हाइटेंशन तार उनके मकानों के आसपास या उनके छत के ऊपर से गुजर रहा है.
टोका फंसा कर घर में उजाला करने की मजबूरी
बिजली विभाग कनेक्शन देने में कभी कोताही नहीं करता है. विभाग द्वारा कनेक्शन के लिए कैंप भी लगाये जाते हैं. वैध रूप से कनेक्शन लेने के लिए लोगों को जागरूक भी किया जाता है. लेकिन, कनेक्शन को घर तक लाने में समस्या आती है. ऊपर झूल रहे तार में टोका लगा कर घर तक बिजली का कनेक्शन आता है. टोका गिरा, तो बिजली गुल. विभाग की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है कि बिना टोका फंसाया कनेक्शन लिया जा सके. वैसे तो विभागीय आंकड़ों के अनुसार शहर में लगभग 10 हजार कनेक्शन दिये गये हैं. लेकिन, अवैध तरीके से करीब पांच हजार से अधिक कनेक्शन टोका फंसा कर लिये गये हैं.
आइपीडीएस योजना के लागू होने पर बदलेगी तसवीर
इंटीग्रेटेड पावर डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम (आइपीडीएस) के तहत सभी शहरी क्षेत्रों में कवर वायर से बिजली की सप्लाइ की जानी है. प्रोजेक्ट के तहत एलटी एक्सटेंशन तार का विस्तार होना है. हाल फिलहाल शहर के कुछ इलाकों में विभाग द्वारा कवर्ड वायर का काम किया गया है. लेकिन, काम की प्रक्रिया इतनी सुस्त है कि अब भी आधे से अधिक मुहल्ले कवर्ड वायर नहीं किये जा सके हैं.
वैसे तो योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में ही शुरु हो गयी थी. इस कार्य को निर्देश के अनुसार एक ही वर्ष में पूरा किया जाना था. लेकिन, एक वर्ष से अधिक का समय हो गया. लेकिन, अब भी शहर के कई क्षेत्रों में बिजली के तार कवर्ड नहीं किये जा सके, जिसके चलते आये दिन हादसे होते रहते हैं.

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