महाराणा प्रताप कॉलेज में गबन मामले की जांच करने कल आयेगी राजभवन की टीम
महाराणा प्रताप कॉलेज में 75 करोड़ के कथित गबन के मामले में जांच के लिए राजभवन द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम रविवार को मोहनिया पहुंचेगी
भभुआ कार्यालय. महाराणा प्रताप कॉलेज में 75 करोड़ के कथित गबन के मामले में जांच के लिए राजभवन द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम रविवार को मोहनिया पहुंचेगी. उक्त टीम द्वारा लंबे समय से महाराणा प्रताप कॉलेज में किये गये गबन की शिकायत की जांच की जायेगी. उक्त टीम पटना से हाइकोर्ट के निर्देश पर राजभवन द्वारा गठित की गयी है. गठित टीम में दो विश्वविद्यालय के कुलपति तथा एक विश्वविद्यालय के वित्तीय सलाहकार शामिल हैं. उक्त टीम रविवार की सुबह 10 से शाम 6:00 बजे तक भूमिदाता परिवार के सदस्यों द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच करेगी. मालूम हो कि जीटी रोड के किनारे 15 एकड़ में फैले इस महाविद्यालय की स्थापना मोहनिया के लोगों द्वारा करोड़ों की भूमि दान करके की गयी है. महाराणा प्रताप कॉलेज में बीते डेढ़ दशक में 75 करोड़ के गबन किये जाने का आरोप लगाते हुए कई साक्ष्यों के साथ आवेदन भूमिदाता परिवार के सदस्य अजय प्रताप सिंह ने कुलपति को दिया था. इस पर दो दिसंबर 2023 को विश्वविद्यालय द्वारा तीन सदस्य जांच समिति का गठन किया गया था, लेकिन यह समिति जांच करने नहीं आयी. जांच टीम नहीं आने के मामले को दबाने से जोड़ कर देखा जाने लगा. इस बीच महाराणा प्रताप कॉलेज में गबन के मामले को और प्रमुखता से उठाया जाने लगा. इसके बाद विश्वविद्यालय ने 28 फरवरी 2024 को महाविद्यालय के सभी खातों के संचालन पर रोक लगा दी. इसके खिलाफ कॉलेज के गर्वनिंग बॉडी के सचिव डॉ बृजेंद्र नारायण सिंह तथा प्रभारी प्राचार्य डॉ शंभू नाथ सिंह ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की. इस पर भूमिदाता परिवार के एक अन्य सदस्य कौशलेंद्र प्रताप सिंह इंटरवेनर के रूप में हाइकोर्ट को बताया कि जो लोग हाइकोर्ट में खाता संचालन पर रोक के खिलाफ याचिका दायर किये हैं, ये लोग अवैध रूप से प्राचार्य व सचिव बने हैं. उनका कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य व सचिव के लिए विश्वविद्यालय से अनुमोदन नहीं हुआ है. ये लोग अवैध तरीके से खाते का संचालन कर रहे हैं. विश्वविद्यालय द्वारा खाते के संचालन पर रोक लगाये जाने के बावजूद ये लोग खाता का संचालन करते आ रहे हैं. इस पर हाइकोर्ट ने कुलाधिपति कार्यालय को 12 सितंबर 2024 को नयी कमेटी बनाकर जांच करने का निर्देश दिया. इसपर कुलाधिपति कार्यालय सह राजभवन द्वारा 24 दिसंबर को जांच समिति का गठन किया, जिसमें कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति दुनिया राम सिंह, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के कुलपति विमलेंदु शेखर झा तथा ललित नारायण मिश्र विश्वविद्यालय दरभंगा के वित्तीय सलाहकार इंद्र कुमार शामिल हैं. जांच समिति को एक महीने के अंदर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद गुरुवार की शाम ललित नारायण मिश्रा विश्वविद्यालय के फाइनेंशियल एडवाइजर की ओर से महाराणा प्रताप कॉलेज मोहनिया में अजय प्रताप सिंह द्वारा लगाये गये गबन के आरोप की जांच के लिए नौ फरवरी को आने सूचना पत्र जारी कर दिया गया है. दो साल से रिक्त है शासी निकाय के अध्यक्ष व सचिव का पद महाराणा प्रताप कॉलेज शासी निकाय के अध्यक्ष और सचिव का पद दो वर्षों से रिक्त है. इस आशय का पत्र सात जनवरी 2025 को विश्वविद्यालय द्वारा राजभवन को भेजा गया है. राजभवन को भेजे गये पत्र में विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया है कि कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य, शिक्षक प्रतिनिधि और दानदाता सदस्य का अनुमोदन नहीं दिया गया है. ऐसी स्थिति में शासी निकाय भंग कर तदर्थ समिति गठित करने पर विचार किया जा सकता है. मालूम हो कि 18 दिसंबर 2024 को श्रम संसाधन मंत्री तथा महाविद्यालय के जनप्रतिनिधि सदस्य संतोष कुमार सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर पिछले दो सालों से अवैध रूप से चल रही गवर्निंग बॉडी की जानकारी दी थी. इसके आलोक में राजभवन ने विश्वविद्यालय से प्रतिवेदन मांगा था. आश्चर्य की बात तो यह है कि बीते 15 जनवरी 2024 को महाविद्यालय के गर्वनिंग बॉडी के तीन प्रमुख सदस्यों जनप्रतिनिधि के रूप में विधान पार्षद संतोष कुमार सिंह, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के रूप में डॉ ओम प्रकाश सिंह तथा सरकारी प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम राकेश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से लिख कर दिया था कि सात सदस्यों वाली गर्वनिंग बॉडी में चार सदस्य अवैध हैं. इसके बाद भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई. – विश्वविद्यालय ने पहले ही प्राचार्य बदलने का दिया है आदेश इससे पहले विश्वविद्यालय ने महाराणा प्रताप कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य बदलने का पत्र निर्गत किया है. इसमें प्रभारी प्राचार्य को वरीयता के आधार पर बनाने का निर्देश विश्वविद्यालय प्रतिनिधि को दिया है. विश्वविद्यालय के मुताबिक, वरीयता के हिसाब से डाॅ शंभुनाथ सिहं जो प्रभारी प्राचार्य के लिए योग्य नहीं है, इसलिए उन्हें प्रभारी प्राचार्य बनाने के लिए विश्वविद्यालय को पत्र भेजे जाने पर वहां से अनुमोदन नहीं दिया गया और अब वरीयता के आधार पर प्रभारी प्राचार्य चयन करने का निर्देश विश्वविद्यालय ने दिया है.
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