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23 साल बाद अधौरा व चैनपुर के दर्जनों गांव के लोग अपने मूल बूथ पर करेंगे वोटिंग

नक्सल के नाम पर कैमूर जिले के अधौरा व चैनपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के मूल मतदान केंद्र को चुनाव में दूसरे मतदान केंद्र पर शिफ्ट किया जाता था. मतदान केंद्र शिफ्ट होने के कारण मतदाताओं को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए पांच से लेकर 25 किलोमीटर तक कंक्रीट घाटी व पहाड़ी रास्ते चलकर जाना पड़ता था.

भभुआ नगर. नक्सल के नाम पर कैमूर जिले के अधौरा व चैनपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के मूल मतदान केंद्र को चुनाव में दूसरे मतदान केंद्र पर शिफ्ट किया जाता था. मतदान केंद्र शिफ्ट होने के कारण मतदाताओं को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए पांच से लेकर 25 किलोमीटर तक कंक्रीट घाटी व पहाड़ी रास्ते चलकर जाना पड़ता था. तीखी धूप व 42 डिग्री तापमान रहने के बाद भी लोकतंत्र के महापर्व पर मतदाता मतदान में भाग लेते थे. हालांकि, 50 वर्ष की उम्र सीमा पार कर चुके अधिकतर महिला-पुरुष चाह कर भी मतदान में शामिल नहीं हो पाते थे, क्योंकि रास्ते कठिन होने के कारण मतदान केंद्र पर पहुंच ही नहीं पाते थे और मतदान करने से वंचित रह जाते थे. लेकिन, इस बार वनवासियों को मतदान करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो व मतदान प्रतिशत में वृद्धि हो, इसे देखते हुए जिला निर्वाचन पदाधिकारी सावन कुमार द्वारा पहाड़ी क्षेत्र के हजारों मतदाताओं के लिए एक बड़ी सौगात देते हुए ऐतिहासिक पहल की गयी है. यहां नक्सली के नाम पर वर्षों से शिफ्ट हो रहे मतदान केंद्र पर मतदान न कराकर मूल मतदान केंद्र पर मतदान कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि मतदाताओं को मतदान केंद्र तक जाने में कोई परेशानी ना हो. इधर, जिला प्रशासन की पहल पर 23 वर्ष बाद गांव में ही मतदान केंद्र बनाये जाने पर बड़वान के ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. मतदान केंद्र गांव में बनाये जाने के बाद प्रभात खबर के संवाददाता पहाड़ी रास्ते को चढ़कर जब बड़वानकला गांव में पहुंचा और लोगों को बताया गया कि इस बार आप लोगों को मतदान करने के लिए पहाड़ी रास्ते व खड़ी घाटी से उतरकर मतदान करने के लिए विनोबा नगर नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि आपका मतदान इस बार मूल मतदान केंद्र यानी आपके गांव में होगा, तो ग्रामीणों के चेहरा खिल उठे. मौके पर मौजूद कई ग्रामीण महिला-पुरुष ने कहा कि 23 साल बाद एक बार फिर हम सबको एक साथ लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए मौका मिलेगा. साथ ही बताया कि 23 वर्ष पहले 2001 में मुखिया का चुनाव हुआ था, तो गांव पर मतदान केंद्र बनाया गया था. 2001 के बाद मतदान केंद्र विनोबा नगर शिफ्ट कर दिया गया था, मतदान केंद्र विनोबा नगर शिफ्ट हो जाने के बाद मतदान केंद्र तक जाने के लिए शक्ति नहीं थी कि पहाड़ी रास्ते से होकर खड़ी पहाड़ी उतर कर मतदान करने जा सकें. वहीं, महिलाओं ने कहा कि बरसों बाद एक बार फिर मौका मिला है, मैं मतदान में शामिल होकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करूंगी. वहीं, 60 वर्ष की उम्र सीमा पर कर चुके कई पुरुष मतदाताओं ने भी कहा कि जिला प्रशासन की पहल पर एक बार फिर अपने पक्ष के प्रत्याशी को चुनने का मौका मिला है. नहीं तो लग रहा था कि इस जिंदगी में हम लोग अब मतदान कर ही नहीं सकेंगे. ग्रामीणों ने इस कार्य के लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया है. गौरतलब है कि मतदान केंद्र शिफ्ट होने के बाद मूल मतदान केंद्र पर मतदान कराने के लिए मांग करते-करते कितने लोग परलोक भी चले गये, लेकिन मूल मतदान केंद्र पर मतदान नहीं हो सका. लेकिन, एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में जिला निर्वाचन पदाधिकारी सावन कुमार के दृढ़ इच्छा शक्ति व एक अनोखी पहल के बाद नक्सल को लेकर शिफ्ट हुए मतदान केंद्र के बदले मूल मतदान केंद्र पर ही मतदान कराने का निर्णय लिया गया है. = क्या कहते हैं ग्रामीण –80 वर्ष की उम्र सीमा पार कर चुकी वृद्ध महिला असलोका कुंवर ने कहा कि एक जमाने के बाद मुझे एक बार फिर मतदान करने का मौका मिलेगा. 2001 के बाद मुझे मतदान करने का मौका नहीं मिला है. क्योंकि, मतदान केंद्र विनोबा नगर हो जाने के कारण वृद्धा अवस्था में पहाड़ी की घाटी को उतारकर मैं मतदान केंद्र पर नहीं जा सकती थी. लेकिन इस बार मतदान केंद्र गांव में होने के कारण मैं अपने प्रत्याशी के पक्ष में मत दूंगी. = ग्रामीण लगेश्वर यादव ने कहा कि मेरी उम्र लगभग 80 वर्ष से ऊपर हो चुकी है, विनोबा नगर मतदान केंद्र बनाये जाने पर मैं मतदान नहीं कर सकता. लेकिन, जिंदगी के अंतिम पायदान पर हूं, जिला प्रशासन की पहल के चलते मुझे अंतिम समय में भी मतदान करने का मौका मिलेगा, इससे हमलोग काफी खुश हैं. = ग्रामीण मकरी सिंह खरवार ने कहा कि हम लोग तो किसी तरह पहाड़ी रास्ते से उतर कर मतदान केंद्र पर पहुंच जाते थे, लेकिन घर की महिलाएं मतदान केंद्र तक नहीं जा पाती थी. मुखिया के चुनाव में तो वार्ड सदस्य व अन्य प्रत्याशी गांव के रहने के कारण कुछ महिलाएं चल भी जाती थी, लेकिन विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में बहुत कम लोग मतदान करने के लिए जाते थे. = ग्रामीण नंदलाल यादव ने कहा कि घर के पुरुष जो चलने फिरने लायक हैं, वह तो चल भी जाते थे. लेकिन, 50 की उम्र सीमा पार कर चुकी महिलाएं विनोबा नगर मतदान करने के लिए नहीं जा पाती. लोकसभा चुनाव में तो किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता व प्रत्याशी गांव में नहीं आते थे, इसलिए बहुत कम संख्या में ग्रामीण मतदान कार्य में भाग लेते थे. इस बार गांव में मतदान केंद्र होने पर ग्रामीण बढ़ चढ़कर मतदान कार्य में भाग लेंगे. इनसेट नक्सली हिंसा के बाद 32 मतदान केंद्रों को दूसरे जगह किया गया था शिफ्ट भहुआ नगर. जिले में नक्सली हिंसा होने के बाद चैनपुर व अधौरा प्रखंड के 32 मतदान केंद्रों को दूसरे जगह शिफ्ट किया गया था. इसके बाद से ही मूल मतदान केंद्र पर मतदन नहीं कराये जा रहे थे. लेकिन, इस बार मतदान केंद्र मूल मतदान केंद्र पर बनाये जाने से लोगों में खुशी व्याप्त है. गौरतलब है कि चैनपुर प्रखंड के करकटगढ़ मतदान केंद्र पर जाते समय 2005 के विधानसभा चुनाव में माइंस विस्फोट होने के कारण आधा दर्जन से अधिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस के जवान शहीद हो गये थे. माइंस विस्फोट होने के बाद करकटगढ़ मतदान केंद्र को झरिया मतदान केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया था, मतदान केंद्र शिफ्ट होने के कारण करकटगढ़ के ग्रामीणों को मतदान करने के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तय की पहाड़ी रास्ते से जाना पड़ता था, जहां इस बार जिला प्रशासन की पहल पर करकटगढ़ में ही मतदान केंद्र बनाया गया है. इसी तरह 31 अन्य मतदान केंद्रों को भी नक्सली गतिविधि को देखते हुए दूसरे मतदान केंद्र पर शिफ्ट किया गया था, लेकिन इस बार सभी मतदाता अपने गांव में ही या गांव के नजदीक स्थित मतदान केंद्र पर 23 वर्ष पहले की तरह शांतिपूर्ण मतदान कर सकेंगे, जिसे लेकर व्यापक सुरक्षा प्रबंध भी किये गये हैं. = गांव में बूथ बनने से मत प्रतिशत में होगी वृद्धि लोकसभा चुनाव में अधौरा व चैनपुर प्रखंड के बूथ शिफ्ट नहीं किये जाने से मत प्रतिशत में वृद्धि होगी. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा कई तरह की सुविधा मतदाता को दी जा रही है, लेकिन जिला निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा वनवासियों की एक नयी सौगात दिये जाने से मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी. इन मतदान केंद्र पर 19 व 23 वर्ष बाद होगी मतदान मतदान केंद्र के नाम उत्क्रमित मध्य विद्यालय मजगावा वन विभाग विश्राम गृह करकतगढ़ अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय सेमरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय बघेला उत्क्रमित मध्य विद्यालय डूमरकोन मध्य विद्यालय चोधरना उत्क्रमित मध्य विद्यालय कान्हानर उत्क्रमित मध्य विद्यालय खमकला मध्य विद्यालय दहार प्राथमिक विद्यालय सलैया उत्क्रमित मध्य विद्यालय बड़वानकला प्राथमिक विद्यालय बड़वान खुर्द उत्क्रमित मध्य विद्यालय तोड़ी उत्क्रमित मध्य विद्यालय बड़ाप उत्क्रमित मध्य विद्यालय पिपरा आदिवासी आवासीय मध्य विद्यालय कोलूवा प्राथमिक विद्यालय मडाप उत्क्रमित मध्य विद्यालय रऊता उत्क्रमित मध्य विद्यालय लेवा प्राथमिक विद्यालय हरभोग उत्क्रमित मध्य विद्यालय चैनपुरा उत्तरी भाग उत्क्रमित मध्य विद्यालय चैनपुरा उत्तरी भाग उत्क्रमित मध्य विद्यालय चैनपुरा दक्षिणी भाग आदिवासी आवासीय मध्य विद्यालय आथन उत्तरी भाग आदिवासी आवासीय मध्य विद्यालय आथन दक्षिणी भाग उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुगा उत्क्रमित मध्य विद्यालय नेयूरुष उत्क्रमित मध्य विद्यालय सड़की की उत्तरी भाग उत्क्रमित मध्य विद्यालय सडकी दक्षिणी भाग प्राथमिक विद्यालय सोढ उत्क्रमित मध्य विद्यालय बहेरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय बांध 2

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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