माता रानी के दर्शन में दिव्यांगता और कच्ची उम्र भी नहीं आती आड़े

नवरात्र में माता रानी के दर्शन के लिए दिव्यांग से लेकर कच्ची उम्र के बच्चे भी मां मुंडेश्वरी धाम पहुंच रहे हैं. माता रानी के दर्शन में न तो दिव्यांगता आड़े आ रही है, न तो कच्ची उम्र ही माता के धाम का रास्ता रोक पा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2024 10:11 PM

भभुआ. नवरात्र में माता रानी के दर्शन के लिए दिव्यांग से लेकर कच्ची उम्र के बच्चे भी मां मुंडेश्वरी धाम पहुंच रहे हैं. माता रानी के दर्शन में न तो दिव्यांगता आड़े आ रही है, न तो कच्ची उम्र ही माता के धाम का रास्ता रोक पा रही है. पहाड़ियों के कठिन सफर को बड़े ही उत्साह से ऐसे लोग भी आसानी से पूरा कर ले रहे हैं. गौरतलब है कि नवरात्र में विश्व के प्राचीनतम शक्ति पीठों में एक मां मुंडेश्वरी का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ता है. त्रिकोण पर बसे मां के धाम का पवरा पहाड़ी गहगहाने लगता और माता के जयकारे से पूरी पहाड़ी गूंजने लगती है. ऐसे में 650 फीट पहाड़ी पर लगे मां भवानी के दरबार में पहुंचने के लिए जहां हाथ पैर सलामती वालों का तांता लगा रहता है. वहीं, छड़ी के सहारे आंखों से लेकर पैर के दिव्यांग भी माता के चरणों में मत्था टेक रहे हैं. जबकि, बूढ़े बुजुर्ग भी लाठी के सहारे धाम पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि इस दर्शनार्थियों में सात से 10 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं, जो बड़े ही उत्साह से माता का जयकारे लगाते हुए धाम के सीढ़ियों को नाप रहे हैं. गुरुवार को मां के दरबार में मिले दिव्यांग राजेंद्र कुमार ने बताया कि वे उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले हैं. एक पैर से दिव्यांग हूं, छड़ी के सहारे ही चल पाता हूं. बहुत दिनों से मां का दर्शन करने की इच्छा थी. लेकिन, भय बना रहता था कि पहुंच भी पाऊंगा की नहीं. लेकिन, जब धाम पहुंचा तो अपने अंदर एक नये साहस का संचार मैंने महसूस किया और नीचे से सीढ़ियों के सहारे मां को नमन कर आगे बढ़ता गया. जबकि इतनी दूर अगर मैं पैदल भी चलता हूं तो थक जाता हूं. लेकिन, मंदिर तक पहुंचने में मुझे कोई थकावट भी महसूस नहीं हुई और बड़े आराम से मैंने माता रानी का दर्शन कर लिया.

Next Article

Exit mobile version