मकर संक्रांति पर लगेगा अखलासपुर व कजरादह का प्रसिद्ध मेला
इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी मंगलवार को यानी कल मनाया जायेगा, इसको लेकर हर तरफ तैयारी तेज हो गयी है. इधर, सदियों से चली आ रही 14 जनवरी को मकर संक्रांति और उसमें लगने वाले मेले की तैयारी हर तरफ शुरू हो गयी है.
भभुआ सदर. इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी मंगलवार को यानी कल मनाया जायेगा, इसको लेकर हर तरफ तैयारी तेज हो गयी है. इधर, सदियों से चली आ रही 14 जनवरी को मकर संक्रांति और उसमें लगने वाले मेले की तैयारी हर तरफ शुरू हो गयी है. वैसे, मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस साल राशि में ये परिवर्तन 13 जनवरी को देर रात को हो रहा है, इसीलिए इस बार 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति का त्योहार है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते है. परंपराओं में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है और इस दिन ही सूर्य उत्तरायण होते हैं जिसके चलते खरमास समाप्त हो जाता हैं. खरमास के समाप्त होते ही शादी विवाह सहित शुभ काम शुरू हो जाते हैं. क्योंकि, खरमास में कोई भी मांगलिक काम करने की मनाही है. ज्योतिषशास्त्री पंडित उपेंद्र तिवारी ने बताया कि उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 को मनायी जायेगी. इस दिन सूर्य सुबह 3 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. मंगलवार को कल मनाये जानेवाले मकर संक्रांति के अवसर पर कई स्थानों पर खिचड़ी का मेला लगता है. जिले के कई प्रखंडों व धार्मिक स्थलों आदि पर लगने वाले जोरदार मेले को लेकर पिछले कई दिनों से ही दुकानों की सजावट सहित तैयारी जोर शोर से शुरू है. भभुआ से सटे बाबा जी पोखर स्थित अखलासपुर का मेला मकर संक्रांति पर मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है. भेड़ों की लड़ाई व पत्थर व बांस के सामान की बिक्री के साथ-साथ यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होता है. इसके अलावर अधौरा प्रखंड में कजरादह व जमुनीनार का मेला वनवासियों के आकर्षण का नमूना पेश करता है. कजरादह के मेले में दूर-दूर से लोगों अपनी कला का प्रदर्शन करने आते हैं. यहां पूरी रात नौटंकी व नृत्य का कार्यक्रम चलता है. वहीं, बखारी देवी का मेला भी लोगों के लिए आस्था व आकर्षण का केंद्र है. यहां देवी के दर्शन-पूजन के साथ मेला देखने के लिए बिहार के अलावा उत्तरप्रदेश व झारखंड के निकटवर्ती जिलों के लोगों का भी जमावड़ा लगता है. = अखलासपुर मेले में भेड़ों की लड़ाई है प्रसिद्ध मकर संक्रांति पर अखलासपुर पोखर पर लगने वाले मेले में सबसे अधिक प्रसिद्ध भेड़ों की लड़ाई है. यहां मकर संक्रांति के दिन दोपहर बाद भेड़ों की लड़ाई शुरू होती है, जिसमें जीतने वाले भेड़ा के मालिक को पुरस्कार मिलता है. इस दिन भेड़ा को लड़ाने के लिए पशुपालक पूर्व से ही लड़ने वाले उन भेड़ों की सेवा करने लगते हैं. मेले में भेड़ों की लड़ाई को देखने के लिए मेला में लोग देर शाम तक जमे रहते हैं. = विधि व्यवस्था के लिए अधिकारी लगायेंगे मेले का चक्कर इधर, कल से शुरू हो रहे मकर संक्रांति के मेले के लिए जिला और पुलिस प्रशासन भी विधि व्यवस्था और संक्रांति के पर्व व मेले को शांतिपूर्वक संपन्न करा लेने को लेकर एक्शन मोड में आ गया है. डीएम सावन कुमार ने जिस प्रखंड में मेले लगने है उन प्रखंडों के बीडीओ व सीओ को मेले की व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके अलावा मेले के दौरान किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं हो इसके लिए सभी थानाध्यक्ष को भी निरंतर गश्त लगाते रहने का आदेश दिया गया है. इसके अलावा डीएम ने भभुआ व मोहनिया में मेले के दौरान उमड़ने वाली भीड़ और व्यवस्था की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी दोनों अनुमंडल के एसडीओ, एसडीपीओ व डीएसपी को दी है. मेले के दौरान इन दोनों बड़े शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था के लिए जगह जगह पुलिस के जवान भी तैनात किये जायेंगे. गौरतलब है कि जिले के प्रमुख स्थानों ओर लगने वाले मेले में महिलाएं और युवतियां भी घूमने जाती हैं, जहां अप्रिय घटनाओं की आशंका बनी रहती है. इसी को लेकर इस बार विधि व्यवस्था टाइट रखी गयी है, ताकि मेले या पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना करनेवालों पर तत्काल कार्रवाई के साथ वैसे लोगों के साथ सख्ती से पेश आया जा सके.
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