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अप्रैल तक मनरेगा में फेस आथेंटिकेशन से मजदूरों की बनेगी हाजिरी

अप्रैल तक मनरेगा में कार्य करने वाले मजदूरों की कार्य स्थल पर उपस्थिति (एनएमएमएस फेस यूटीएचपीआर एसीटीआइसी) एप के माध्यम से फेस आथेंटिकेशन से दर्ज करने की कवायद तेज हो गयी है

मोहनिया सदर. अप्रैल तक मनरेगा में कार्य करने वाले मजदूरों की कार्य स्थल पर उपस्थिति (एनएमएमएस फेस यूटीएचपीआर एसीटीआइसी) एप के माध्यम से फेस आथेंटिकेशन से दर्ज करने की कवायद तेज हो गयी है. कुछ विभागीय कर्मियों की माने तो यह सुविधा उनके मोबाइल फोन पर दिखायी देने लगा है, भले ही अभी वह कार्य नहीं कर रहा है. भारत सरकार ने मनरेगा में मजदूरों के दोहरापन व फर्जी मजदूरी के भुगतान पर रोक लगाने व इसमें पारदर्शिता लाने के लिए मजदूरों की उपस्थिति को सत्यापित करने के लिए वास्तविक समय में चेहरे की पहचान करना है. एप में यह व्यवस्था किसी कार्यस्थल पर कार्य कर रहे श्रमिकों के चेहरे को स्कैन करके भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के पास संग्रहीत उनके आधार डेटा से मिलान करना है. डेटा का मिलान होने के बाद इसे एमजीएनआरइजीएस पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाता है. इसके बाद जब भी मजदूर किसी कार्य स्थल पर कार्य करने के लिए उपस्थित होते है, तो सिर्फ उनके चेहरे को स्कैन करके की आवश्यकता होती है. वहीं, इसके लिए उन मजदूरों का इ-केवाइसी होना आवश्यक है. # मनरेगा में मजदूरी भुगतान में आयेगी पारदर्शिता फेस ऑथेंटिकेशन के लागू होने से मनरेगा में कार्य करने वाले मजदूरों के भुगतान में पारदर्शिता आयेगी. जबकि, पूर्व में ऐसा भी होता था कि वैसे व्यक्तियों को मजदूर बनाकर भुगतान कर दिया जाता था जो कभी धरातल पर मजदूरी का कार्य करने के लिए उपस्थित नहीं होते थे. जबकि, जो व्यक्ति वास्तविक मजदूर है और मजदूरी का कार्य करते हैं उनके खाते में राशि ही नहीं भेजी जाती थी, जिसका नतीजा था कि मजदूरी की राशि में कमीशनखोरी परवान पर है. लेकिन, फेस ऑथेंटिकेशन सिस्टम के लागू होने से इसमें पूरी पारदर्शिता आयेगी और उन वास्तविक मजदूरों को मजदूरी का भुगतान हो पायेगा जो वास्तव में धरातल पर मजदूरी का कार्य करते हैं. सरकार द्वारा मनरेगा में हो रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, दोहरापन व फर्जीवाड़ा पर रोक लगाने के लिए ही इस सुविधा को लाया गया है. # शुरुआती दौर में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी बन सकती है बाधक हालांकि, भले ही सरकार फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करना चाहती है, लेकिन शुरुआती दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी इसमें सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आ सकती है. अभी भी बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र है जहां इंटरनेट सेवाएं पूर्ण रूप से कार्य नहीं करती है, उन जगहों पर फेस आथेंटिकेशन उपस्थिति दर्ज करना किसी चुनौती से काम नहीं होगा. हालांकि, सरकार का यह पायलट प्रोजेक्ट ट्रायल के तौर पर कई राज्यों में सफल भी रहा है और धीरे-धीरे इंटरनेट कनेक्टिविटी को भी दुरुस्त किया जा रहा है, जिससे यह ट्रायल पूरी तरह सफल हो जायेगा ऐसा माना जा रहा है. # हरियाणा के टोहाना प्रखंड से हुई थी शुरुआत फेस ऑथेंटिकेशन को सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना प्रखंड में शुरू किया गया था, जिसे शुरुआती दौर में अनेक तरह की समस्याओं का सामना तो करना पड़ा. लेकिन, बाद में यह पायलट प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल रहा. इसके बाद इसे केंद्र सरकार कई राज्यों में ट्रायल के तौर पर आजमा चुकी है और यह सफल भी रहा है. कुछ विभागीय कर्मियों की माने तो मनरेगा कर्मियों के मोबाइल पर भी यह एप सक्रिय हो चुका है, मास्टर रोल तक इस पर खुल रहा है. लेकिन अभी फेस ऑथेंटिकेशन से उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है. नाम नहीं छापने के शर्त पर कुछ विभागीय लोगों का कहना है कि यह सिस्टम यहां भी अप्रैल तक शुरू होने की संभावना है. मनरेगा में 60 फीसदी भागीदारी केंद्र सरकार की और 40 फीसदी भागीदारी राज्य सरकार की है. इसलिए यदि किसी कारणवश फेस ऑथेंटिकेशन अप्रैल में नहीं चालू हो सका तो विधानसभा चुनाव के बाद निश्चित रूप से यहां भी लागू हो जायेगा. # मोहनिया अनुमंडल में मजदूरों की संख्या प्रखंड का नाम मजदूरों की संख्या मोहनिया 28060 दुर्गावती 13572 कुदरा 22271 रामगढ़ 13924 नुआंव 16655 # बोले पीओ इस संबंध में पूछे जाने पर कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा) रविशंकर कुमार ने कहा कि फेस आथेंटिकेशन हाजिरी की बात चल रही है. यह बहुत जल्द ही इसे लागू किया जा सकता है, इसके लिए कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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