भइया ठंडा केके नाही लागेला, परेशानी त सबके हउए

न दिनों कड़ाके की ठंड व शीतलहर की चपेट में पूरा इलाका है. रविवार को अधिकतम तापमान और कम होते हुए 17 डिग्री पर आ गया, जबकि न्यूनतम तापमान भी 9 डिग्री पर रहा

By Prabhat Khabar News Desk | January 5, 2025 8:55 PM

भभुआ सदर. इन दिनों कड़ाके की ठंड व शीतलहर की चपेट में पूरा इलाका है. रविवार को अधिकतम तापमान और कम होते हुए 17 डिग्री पर आ गया, जबकि न्यूनतम तापमान भी 9 डिग्री पर रहा, जिसके चलते ठंड से हाड़ कांप रहे हैं. इन दिनों ठंड के चलते दोपहर तक बाजार में कुछ भीड़ होती है, लेकिन, जैसे ही सूर्य की रोशनी कम होने लगती हैं, बाजार में फिर सन्नाटा छा जाता है. घर के कमरे में रजाई या गर्म कपड़ों के साथ हीटर की सुविधा कुछ पल को हटते ही हमारी हालत खस्ती व पतली हो जा रही. लेकिन, समाज में एक ऐसा भी बड़ा वर्ग है, जो बिना किसी मौसम अब चाहे वह गर्मी हो या फिर ठंड. ऐसे लोग मौसम की परवाह किये बगैर हमारी आपकी सुविधा के लिए रात दिन एक कर रहे हैं. उन्हें ठंड की परवाह नहीं हैं. बल्कि, परवाह है तो हमारी और आपकी सुविधा का और सहायता का. = सफाई ना करल जायी त शहरियो त नरक हो जायी कुछ ऐसे ही लोगों में है नगर पर्षद के सफाई कर्मी रमेश राम. इस कड़ाके की ठंड में भी वह रविवार को अपने साथी चक्रवर्ती के साथ अग्रवाल पेट्रोल पंप के समीप नाला से निकले कचरे की सफाई करा रहे थे. दोनों के पैर में जूते नहीं थे. हाथ में ग्लब्स भी नहीं थे, पर दाेनों काम में लगे थे. पूछने पर कि इस ठंड में आपलोगों को काम करने में दिक्कत नहीं हो रही, तो दोनों ने कहा कि, भइया, ठंडा केके ना लगेला, परेशानी त बड़ी हउए, ठंडा से हाथ के हाथ पता नाही चलेला. लेकिन शहर के साफ सफाई ना करल जायी त शहरियो त नरक हो जायी. उनका कहना था कि सिर्फ मेरे दिक्कत से सबको फायदा होता है, तो इतनी दिक्कत स्वीकार है. = ठंड में दिक्कत तो है, पर लोगों के भरोसे को कैसे तोड़ें कोहरे और ठंड में समय पर बस आ रही हैं और जा रही हैं. कैसे हो रहा यह सब और इसके चालक कैसे कर रहे पूछे जाने पर प्रतिदिन दोपहर तीन बजे भभुआ से कोलकाता जानेवाले बस के चालक नौशाद और कैलू ने बताया कि बहुत परेशानी है. कुहासे और ठंड से देर रात कुछ दिखता नहीं. बस में सब सोये रहते हैं, पर अपनी पलक नहीं झपके. इसके लिए रोज सुबह ऊपरवाले से प्रार्थना करते हैं मेरे कर्मों से सभी लोग सुरक्षित व सुखद यात्रा कर सके और अपने गंतव्य तक पहुंच सके. उनका कहना था कि फिलहाल जबर्दस्त कुहासे के चलते 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बस चलाते हैं. ठंड लगती है, पर ज्यादा ख्याल अपने साथ उन लोगों के परिवार का आता है, जो मेरे भरोसे बस में सोये या बैठे सफर कर रहे हैं. इसलिए चाहे कुछ हो जाये, सुरक्षित सफर पूरा कराता हूं. = माल समय पर नहीं पहुंचा, तो मैं फिर बेकार हूं रोज सैकड़ों ट्रक सड़कों पर दौड़ते हैं. अनजान रास्ते, पर लक्ष्य और समय तय होता है. हर हाल में जगह पर माल पहुंचाना. रास्ते की भी पहचान नहीं, ऊपर से जानलेवा कोहरा और ठंड. क्या ख्याल आता है मन में पूछने पर हर दिन अपने ट्रक के साथ यात्रा करनेवाले ट्रक मालिक वार्ड 19 के संजय गुप्ता कहते हैं कि रोज नया सफर है, पर मन में यही रहता है कि हर हाल में समय पर सामान पहुंचाना है. कई बार खाना नहीं मिलता, कहीं कहीं सड़कें भी टूटी होने के कारण गाड़ी भी खराब होती है, पर माल को समय पर नहीं पहुंचाया तो फिर जीना क्या. जिंदगी इसी के भरोसे चलती है. घर परिवार सब कुछ इसी नौकरी के भरोसे चल रहा है. ठंड का क्या है किसी तरह काट लेते हैं. पिछले कुछ दिनों से ठंड बढ़ने से थोड़ी असुविधा तो हो ही रही है.

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