कैसे होगा काम, एक मात्र डिप्टी कलेक्टर पर छह विभागों का प्रभार

जिले में सीनियर डिप्टी कलेक्टर यानी वरीय उपसमाहर्ता की घोर कमी है, जिसका नतीजा है कि आज कई विभागों का काम विलंब से हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 13, 2024 9:10 PM

भभुआ कार्यालय. जिले में सीनियर डिप्टी कलेक्टर यानी वरीय उपसमाहर्ता की घोर कमी है, जिसका नतीजा है कि आज कई विभागों का काम विलंब से हो रहा है. जिले में वरीय उपसमाहर्ता के तीन पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में मात्र एक वरीय उपसमाहर्ता ही मौजूद है और उनके पास छह विभागों की जिम्मेदारी है. उन छह विभागों में भू अर्जन अभिलेखागार जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी शामिल है, जहां स्वतंत्र रूप से काम करने वाले एक अधिकारी को सभी कामों को निर्धारित समय अवधि के अंदर पूरा करने में पसीने छूट जाते हैं, वैसे में एक वरीय उपसमाहर्ता पर छह विभागों का जिम्मेदारी होने के बाद काम की रफ्तार क्या होगी, इसका अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं. अगर एक अधिकारी 18 घंटे भी काम करेगा, तब भी शायद सभी विभागों का काम ससमय पूरा नहीं कर सकता है. जिले में वरीय उप समाहर्ता के तीन पद स्वीकृत है, जिसमें एक पद पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किसी अधिकारी का पदस्थापन ही नहीं किया गया है. वहीं, दो पदों पर गौरव कुमार व संजीव कुमार सज्जन का पदस्थापन किया गया है. लेकिन, गौरव कुमार स्वास्थ्य कारण से पिछले लगभग डेढ़ महीनों से छुट्टी पर चल रहे हैं. ऐसे में जिले में एकमात्र वरीय उपसमाहर्ता संजीव कुमार सज्जन ही मौजूद है, जिन्हें मजबूरन छह विभागों की जिम्मेदारी संभालती पड़ रही है, उनके पास जिन छह विभागों की जिम्मेदारी है उसमें नीलम पत्र व बैंकिंग, नजारत शाखा, सामान्य शाखा, भू अर्जन पदाधिकारी, अभिलेखागार व जिला सूचना व जनसंपर्क पदाधिकारी की जवाबदेही है. एक्सप्रेसवे में भू-अर्जन व जमीन सर्वे के लिए अभिलेखागार में खतियान के लिए लग रही है भीड़ जिले में एकमात्र वरीय उपसमाहर्ता संजीव कुमार सज्जन के पास जिन छह विभागों की जिम्मेदारी है, उसमें जिला भू अर्जन पदाधिकारी व अभिलेखागार का भी प्रभार है. जिले में वाराणसी से रांची होते हुए कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा है, जिसके नोडल पदाधिकारी भी जिला भू अर्जन पदाधिकारी ही हैं. जिले में प्राथमिकता के आधार पर एक्सप्रेसवे के काम में तेजी लाने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. वहीं, एक महीने से जमीन सर्वे का काम भी जिले में शुरू हो गया है. जमीन सर्वे के लिए रैयत बड़ी संख्या में खतियान के लिए अभिलेखागार में पहुंच रहे हैं. भूमि अधिग्रहण व रैयतों को खतियान उपलब्ध कराना आज के समय में जिला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में एक ही पदाधिकारी पर इन दोनों महत्वपूर्ण विभागों की जवाब देने के साथ-साथ अन्य चार विभागों की ओर जवाबदेही दिये जाने से जिले में काम की रफ्तार का अंदाजा आप सहज ही लगा सकते है. जिस तरह से लोग जमीन सर्वे में करने के लिए खतियान के लिए अभिलेखागार में दौड़ लगा रहे हैं और दूसरी तरफ एक्सप्रेसवे के काम में तेजी लाने के लिए जमीन अधिग्रहण सहित किसानों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार के स्तर से निर्देश है, वैसे में एक पदाधिकारी के माध्यम से इन सभी कामों को निर्धारित समय अवधि के अंदर पूरा होने की बात करना शायद बेमानी होगी. = काम के बोझ तले दबे, पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं स्थिति का आलम यह है कि जिले में मात्र एक वरीय उपसमाहर्ता है और उनके ऊपर कोई विकल्प नहीं होने के कारण डीएम द्वारा मजबूरी में छह विभागों की जिम्मेदारी दी गयी है. विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी काम के बोझ तले इस कदर दबे हुए अधिकारी भी जानते हैं कि सभी कामों को निर्धारित समय अवधि में पूरा कर पाना शायद संभव नहीं है, लेकिन विभाग से किसी का पदस्थापन नहीं होने के कारण सभी विभागों की जवाबदेही लेना मजबूरी है. अधिकारी इसे लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. लेकिन यह स्वाभाविक है कि जब एक अधिकारी के ऊपर इतने विभागों की जवाबदेही होगी, तो निश्चित रूप से आम लोगों का काम सफर करेगा.

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