Chhath Puja 2024: बिहार में इस बार पांच को नहाय खाय से होगी छठ महापर्व की शुरुआत, जानें व्रत पूजा से जुड़ी जरूरी बातें
Chhath Puja 2024: बिहार में इस बार छठ पूजा की शुरुआत पांच नवंबर को नहाय खाय से हो रही है. आइए जानते है इस व्रत पूजा से जुड़ी प्रमुख बातें...
Chhath Puja 2024: भभुआ सदर. उगऽ हे सूरजदेव अरग के बेरिया…, दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ…, मरबो रे सुगवा धनुष से…, कांच ही बांस के बहंगिया..: जैसे लोकगीतों की गूंज अब हर घर की फिजां में चहुंओर गूंजने लगी है. लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान इस बार कार्तिक शुक्ल चतुर्थी पांच नवंबर को नहाय-खाय से आरंभ हो रहा है. इसका समापन आठ नवंबर को होगा. छठ पर्व मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मइया सूर्यदेव की बहन हैं. लोक मान्यता है कि छठ के दौरान भगवान सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं तथा परिवार में सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित उपेंद्र तिवारी व्यास ने बताया कि छठ पूजा का त्योहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से शुरू होता है. षष्टी तिथि के दिन शाम का अर्घ्य दिया जाता है. बताया कि इस साल कार्तिक महीने में षष्टी तिथि की शुरुआत सात नवंबर को रात 12 बजकर 41 मिनट पर होगी. इस तिथि का समापन आठ नवंबर को रात 12 बजकर 34 मिनट पर होगा. ऐसे में सांध्यकालीन अर्ध सात नवंबर को और सूर्योदय का अर्घ्य आठ नवंबर को दिया जायेगा.
ऊष्मा और ऊर्जा का प्रतीक है छठ
उपेंद्र तिवारी ने बताया कि पांच तारीख को नहाय खाय है. छह नवंबर को खरना, सात तारीख को संझवत का अर्ध और आठ नवंबर को सुबह के अर्ध के साथ यह त्योहार संपन्न होगा. दरअसल, अपनी ऊष्मा और ऊर्जा से पूरी सृष्टि को अनुप्राणित करने वाले प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना का पर्व छठ है. यह सूर्य के प्रतीक से जीवन को हर परिस्थिति के योग्य बनाने का उपक्रम है. उत्सवों की कड़ी में सूर्य षष्ठी लोक दृष्टि की प्रसन्नता और समकालीन मन के अंतर्मिलन का श्रेष्ठ रूपक है. दीपावली के बाद छठ का आना महापर्व की उपस्थिति है. जब कोई पर्व सूर्य के उदय के साथ-साथ जीवन के उदय का प्रतीक हो जाये, तो वह हमारे जीवन का महोत्सव बन जाता है.
छठ में आत्मनिर्भरता का भाव भी है. जैसे यह पर्व किसी पुरोहित के बिना किया जाता है. समस्त अनुष्ठान लोक से उपजा है. सूर्य की उपासना भी लोक अपने ढंग से करता है. सिर्फ चढ़ता सूर्य ही छठ में पूज्य नहीं, डूबता सूर्य भी अर्घ्य के योग्य है. सुख और दुख दोनों ही स्थितियों में साथ रहने का संकल्प इससे बड़ा अध्यात्म क्या हो सकता है. बगैर कठिन शास्त्रीय भाषा में समझे-समझाएं तो सूर्य के प्रतीक से जीवन को हर परिस्थिति के योग्य बनाने का उपक्रम छठ है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक उत्सव ही उत्सव होते हैं और छठ के गीत प्रकृति के आवाहन के गीत हैं.
चौक-चौराहों पर सजने लगी पूजन सामग्रियों की दुकानें
इधर, दीपावली बीतने के साथ ही शहर के एकता चौक, पश्चिम बाजार, सिवों चौक, पटेल चौक, नगरपालिका परिसर जैसे चौक चौराहों पर सूप-दउरा की दुकानें सजने लग गयी हैं और छठ मैया के गीतों की गूंज से वातावरण एक बार फिर धार्मिक होने लगा हैं. अभी से ही छठ पूजन सामग्री खरीदने के लिए लोगों की भीड़ बाजार में जुटने लगी है. इस महापर्व को मनाने में इस बार शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग कोई नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. इसलिए व्यवसायियों ने भी पारंपरिक परिधानों से लेकर पूजन सामग्रियों तक की खरीदारी कर भंडारण शुरू कर दी है. बाजार में बड़ा डाला 120 से 160 रुपये, छोटा डलिया 60 से 80 रुपये और सूप 75 से 200 रुपये तक बिक रहे हैं.
फलों की कीमतों में अभी से लगी है आग
छठ पूजा में फलों की खरीदारी भी व्रतियों के लिए भारी पड़ने वाला है. इस बार फलों का दाम भी बढ़ा रहेगा. इसका मूल कारण परिवहन सुविधा का अभाव और चुनाव है. फुटकर विक्रेता रविंद्र ने बताया कि खत्म हुए विधानसभा चुनाव के चलते फलों की आपूर्ति बाहर से पर्याप्त मात्रा में नहीं हो रही थी. कोल्ड स्टोरेज में पूर्व से भंडारण किया हुआ फल बाजार में उतर रहा है. अभी छठ तक फलों का बाजार यूं ही बना रहेगा. बहरहाल, सेब 120 रुपये, अनार 140, नारंगी 160, केला 20 से 40 रुपये दर्जन, अमरूद 50 रुपये किलो बिक रहा हैं.
छठ पूजा मुहूर्त
5 नवंबर – नहाय-खाय
6 नवंबर – लोहंडा और खरना
7 नवंबर- संध्या अर्घ सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट
8 नवंबर -उषा अर्घ सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 48 मिनट