रोक के बावजूद धड़ल्ले से लिया जा रहा बाल मजदूरों से काम
शहर में संगठित और असगंठित क्षेत्र के मजदूरों और कामगारों के अधिकांश बच्चे आज भी बाल श्रम में लगे हुए है. हालांकि, सरकार हर साल बाल श्रमिक दिवस के रूप में मनाता है, लेकिन जिले के अधिकतर जगहों पर इसका फायदा धरातल पर आज भी कही नहीं दिखता है.
भभुआ सदर. शहर में संगठित और असगंठित क्षेत्र के मजदूरों और कामगारों के अधिकांश बच्चे आज भी बाल श्रम में लगे हुए है. हालांकि, सरकार हर साल बाल श्रमिक दिवस के रूप में मनाता है, लेकिन जिले के अधिकतर जगहों पर इसका फायदा धरातल पर आज भी कही नहीं दिखता है. श्रम विभाग के अधिकारी भी कभी कभार एक दो छापेमारी कर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ ले रहे हैं. इसका नतीजा 2020 के जनवरी महीने से भभुआ शहर बाल श्रम से मुक्त होने के बावजूद आज भी कई दुकानों, होटलों, साइकिल मोटरसाइकिल मरम्मत दुकानों आदि पर 14 साल से कम उम्र के बच्चे व किशोर काम करते दिख जायेंगे. इधर, एक ओर सरकार जहां शिक्षा के अधिकार के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को फ्री शिक्षा की हिमायत कर रही है. वहीं, दूसरी ओर शहर में 14 वर्ष तक बच्चे ठेले, होटल, रेस्टाेरेंट में काम कर अपना बचपन खो रहे हैं या फिर विभिन्न तरह के नशे का शिकार बन रहे हैं. शहर में बाल श्रम एक गंभीर समस्या बनती जा रही है और बाल श्रम निषेध कानून बनने के 33 साल बाद भी शहर में इस कानून का असर नहीं दिख रहा है. गरीबी और पेट की आग को शांत करने के लिए यह बाल मजदूर अपने बचपन को भूलकर काम पर लग जाते है, छोटी उम्र से काम का बोझ और नशे की लत में इनका जीवन तबाह हो रहा है. =14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम लेना है कानूनन अपराध गौरतलब है कि संविधान के 24 वें अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है, तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है. इसके अलावा ऐसा कार्य जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और गरिमा से वंचित करता है व जो उनके शारीरिक व मानसिक विकास में बाधक है बाल श्रम कहलाता है. बाल श्रम को रोकने के लिए कई सख्त नियम भी बने हैं. इनमें 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए परिवार से जुड़े व्यवसाय को छोड़कर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने पर पूर्ण रोक का प्रावधान किया गया है. बालश्रम (प्रतिषेध और विनियम) अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अनुसार, तकरीबन 15 विभिन्न जोखिम भरे व्यावसाय, और 54 कार्यों में 14 से 18 वर्ष के बच्चों से कार्य प्रतिबंधित है, जैसे कि सर्कस, ढाबा, घरेलू कार्य, मोटर वाहन उद्योग, कालीन, साबुन, कांच के सामान और कीटनाशक उत्पादन आदि. नियम भी बनायी गयी है कि बच्चे केवल स्कूल से आने के बाद या स्कूल की छुट्टियों के दौरान काम कर सकते हैं और बच्चों को परिवार के स्वामित्व वाले सुरक्षित क्षेत्रों में ही काम करने की अनुमति है. =बोले अधिकारी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने बाल श्रम करवाने की सूचना देने के लिए डायल 1098 जारी किया है. इस हेल्पलाइन नंबर पर कोई भी कॉल कर बाल श्रम करवाये जाने की सूचना दे सकता है. बाल श्रम पदाधिकारी व सदर थाने के थानाध्यक्ष रामकल्याण यादव ने बताया कि अगर शहर में किसी भी दुकान या होटल आदि में बाल श्रम करवाया जा रहा है, तो इसकी सूचना डायल 1098 के अलावा उनके सरकारी नंबर पर भी दी जा सकती है. मामले में पुलिस त्वरित कार्रवाई करेगी.
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