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हांफ रही हैं बड़े स्कूली वाहनों से शहर की सकरी सड़कें

भभुआ शहर जहां सड़कों की चौड़ाई कहीं भी इतनी पर्याप्त नहीं है कि एक चारपहिया वाहन से दूसरा चारपहिया वाहन पास ले सके. नतीजा है शहर में बड़े स्कूली वाहनों से शहर की सड़कें लगातार हांफ रही हैं.

भभुआ. भभुआ शहर जहां सड़कों की चौड़ाई कहीं भी इतनी पर्याप्त नहीं है कि एक चारपहिया वाहन से दूसरा चारपहिया वाहन पास ले सके. नतीजा है शहर में बड़े स्कूली वाहनों से शहर की सड़कें लगातार हांफ रही हैं. लेकिन, न तो इस मामले को लेकर परिवहन विभाग गंभीर है, न तो जिला प्रशासन . गौरतलब है कि भभुआ शहर का पटेल चौक से लेकर जयप्रकाश चौक होते हुए कचहरी पथ से एकता चौक होकर कैमूर स्तंभ तक जाने वाली सड़क मुख्य पथ है. लेकिन, छोटे शहर के इस डेढ़ किलोमीटर सड़क के रेंज में रोड संकरी होने के कारण बाइक सवारों को भी कार या छोटे चौपहिया वाहन से पास लेने के लिए लगातार प्रयास करना पड़ता है. बावजूद इसके पास देने के लिए आगे वाले वाहनों के पास भी कभी-कभी ही जगह उपलब्ध हो पाती है. जिनको जल्दी होती है उन्हें जबर्दस्ती रोड रेज करके ही अपने वाहन निकालने पड़ते हैं. कचहरी पथ पर अगर आगे एक ठेला भी चल रहा हो तो पीछे वाले चौपहिया वाहन को पास लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में कुछ प्राइवेट विद्यालयों द्वारा बच्चों को स्कूल ले जाना या उन्हें स्कूल से घर छोड़ने के लिए छोटे मैक्सी टाइप वाहन रखे गये हैं, वहीं कुछ स्कूलों द्वारा फूल साइज बस ही शहर में उतार दिया गया है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि इन फूल साइज बसों के दबाव में सड़क पर आवागमन की व्यवस्था चरमरा जा रही है, जिससे अन्य छोटे वाहनों को आगे निकलने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार दबाव में पास लेने पर दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं. यही नहीं इन बड़े स्कूली वाहनों को देखकर सड़क पर पैदल चलने वाले राहगीर भी सतर्क हो जाते हैं कि कहीं किसी वाहन की लपेटे में आ गये तो कहीं जान ही न चली जाये. रहा सवाल जिला प्रशासन या परिवहन विभाग के संज्ञान में लेने का, तो ऐसा कोई मामला लोगों को दिखायी नहीं देता. इससे ये स्कूली वाहन स्कूल और बच्चों के नाम पर शहर में लगातार दौड़ लगा रहे हैं. क्या कहते हैं लोग इधर, शहर में रहने वाले अधिवक्ता प्रेमनाथ जायसवाल का कहना है कि बच्चों और स्कूल के नाम पर कुछ विद्यालयों द्वारा बड़े बसों को शहर में उतारकर मनमानी किया जा रहा है. इसके कारण शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर जाम की स्थिति बन जाती है. जिला प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेकर शहर में छोटे मैक्सी टाइप स्कूली वाहनों को ही प्रवेश करने की इजाजत दी जानी चाहिए. शहर के प्रोफेसर कॉलोनी के डाॅ धर्मेंद्र का कहना है कि पहले से ही इस शहर की सड़कों की बगैर लंबाई -चौड़ाई देखे बिना ही परिवहन विभाग द्वारा तमाम इ-रिक्शा को लाइसेंस देकर शहर की परिवहन व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया गया है. एक साथ आधा दर्जन इ-रिक्सा अगल -बगल, आगे-पिछे चलकर पूरी सड़क घेर लेते हैं. ऐसे में बड़े स्कूली वाहनों का मुख्य पथों पर संचालन शहर के लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. जिला प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए.

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