बिना मानक के संचालित हो रहे सैकड़ों कोचिंग संस्थान
हर सहित जिले में कोचिंग संस्थान की स्थिति के बारे में सही तौर पर बताया जाये तो इसमें यह कहना गलत नहीं होगा कि जिला प्रशासन व बिना मानक व रजिस्ट्रेशन के चला रहे कोचिंग संस्थान के संचालक गुजरात के सूरत जैसी घटना का इंतजार कर रहे हैं.
भभुआ नगर. शहर सहित जिले में कोचिंग संस्थान की स्थिति के बारे में सही तौर पर बताया जाये तो इसमें यह कहना गलत नहीं होगा कि जिला प्रशासन व बिना मानक व रजिस्ट्रेशन के चला रहे कोचिंग संस्थान के संचालक गुजरात के सूरत जैसी घटना का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि, जिला प्रशासन द्वारा जिले में कुकुरमुत्ते की तरह रोज खुल रहे कोचिंग संस्थानों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसके अलावा कोचिंग संचालक बिना निबंधन व मानक के छात्र-छात्राओं से मोटी रकम वसूलने में व्यस्त रहते हैं. जिला प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण जिले में बिना रजिस्ट्रेशन के ही लगभग 400 से 500 कोचिंग संस्थान धड़ल्ले से चल रहे हैं. जिला प्रशासन के फाइल में जिले में पांच ही कोचिंग संस्थान के संचालक ने ही अपने कोचिंग संस्थान का रजिस्ट्रेशन जिला प्रशासन के पास कराया है. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण विनिमय अधिनियम 2010 के तहत सभी कोचिंग सेंटरों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. इसमें बताया गया कि बिना रजिस्ट्रेशन कोचिंग संस्थान चलाना या खोलना अवैध है. लेकिन नियमावली के बाद भी भभुआ शहर सहित जिले के कई जगहों पर हर गली-मुहल्ले में कई कोचिंग संस्थान बिना मानक के धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं और कोचिंग संचालक बिना भय के छात्र-छात्राओं से मोटी रकम वसूल रहे हैं. दरअसल, मई 2019 में गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से दर्जनों छात्रों की मौत हो गयी थी व आग की चपेट से बचने के लिए छात्र छत पर से कूदकर अपनी जान गवां बैठे थे. इस दर्दनाक घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. उसे देख लोग मर्माहत हो गये थे. हालांकि गुजरात के सूरत जैसी घटना जिले में ना हो, इसे देखते हुए तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने उक्त मामले पर संज्ञान लेते हुए जिले में स्थित कोचिंग संस्थानों की जांच करने के लिए टीम गठित की थी व आदेश दिया था कि बगैर मानक के जिले में संचालित हो रहे कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की जाये. लेकिन अभी तक जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं करने के कारण कोचिंग संस्थान संचालक धड़ले से बिना मानक के कोचिंग संस्थान का संचालन कर रहे हैं. यानी कहा जाये कि कोचिंग संस्थान संचालक गुजरात के सूरत जैसी घटना का इंतजार कर रहे हैं. = कोचिंग संस्थानों में नहीं है मूलभूत सुविधा कोचिंग संस्थान में छात्र-छात्राओं के लिए मुलभूत सुविधाएं यथा पेयाजल, शौचालय, हवादार खिड़की, रोशनी की व्यवस्था, बैठने की व्यवस्था ठीक से होनी चाहिए. रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आवेदन करने पर पहले इसकी जांच होगी. इसके बाद निबंधन पत्र जारी किया जायेगा. इस तरह छात्र-छात्राओं को सुविधाएं भी मिलने लगेगी. लेकिन, शहर सहित जिले में चलाये जा रहे कोचिंग संस्थान बिना मानक के ही चल रहे हैं. = कोचिंग के कारण स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम शहर के देवीजी रोड, चकबंदी रोड, छावनी मुहल्ला, सब्जीमंडी, पूरब पोखरा सहित कई जगहों पर बच्चों का एडमिशन है. इसमें से कुछ बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हैं. इन कोचिंग संस्थानों के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम रहती है. सही मायने में इस स्कूल में नामांकन दाखिल कर कोचिंग संस्थानों में छात्रों का शिक्षा ग्रहण करना है और इनका उद्देश्य बनता जा रहा है. यही कारण है कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या काफी कम देखने को मिल रही है. स्कूलों में छात्रों की नियमित उपस्थिति के लिए योजना भी सिर्फ कागजों में पूरी की जा रही है. = कोचिंग संस्थानों ने निबंधन के लिए दिया है आवेदन शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, दो दर्जन से अधिक कोचिंग संस्थान संचालकों द्वारा कोचिंग निबंधन कराने के लिए आवेदन दिया गया है. शिक्षा विभाग द्वारा आवेदन लेने के बाद संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी को दे दिया गया है. ताकि नियमानुसार जांच करते हुए रिपोर्ट दें. ताकि कोचिंग संस्थानों का निबंधन किया जा सके. हालांकि अनुमंडल पदाधिकारियों की सुस्ती के कारण भी कोचिंग संस्थानों की जांच नहीं होने के कारण निबंधन पेंडिंग में पड़ा हुआ है. इसके कारण सरकारी राजस्व की भी क्षति हो रही है. – कोचिंग संस्थान पर बयान देने में कतराते हैं अधिकारी जिले में बगैर निबंधन के संचालित हो रहे कोचिंग संस्थान पर बयान देने में जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी कतराते हैं. केवल यही कहते हैं कि कोचिंग संस्थान के निबंधन के लिए कोचिंग संस्थान द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी के पास आवेदन दिया गया है. अनुमंडल पदाधिकारी जांच का रिपोर्ट देंगे, तो निबंधन दिया जायेगा. इनसेट सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की नहीं है कमी भभुआ नगर. जिले के सरकारी विद्यालयों में अब शिक्षकों की कमी नहीं रह गयी है. जिले के सभी प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. इसके बावजूद कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं सरकारी विद्यालय के है. कोचिंग संस्थानों में अधिकतर सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राओं को पढ़ने के चलते लोगों की जेहन में एक सवाल उठाता है कि क्या आज भी सरकारी विद्यालय में नामांकित छात्र-छात्राओं का कोर्स पूरा नहीं हो रहा है. अगर कोर्स पूरा हो रहा है तो अधिकतर कोचिंग संस्थान में क्यों पढ़ने जाते हैं. सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राएं यह सवाल प्रतिदिन शहर व ग्रामीण वासियों द्वारा किया जाता है. क्योंकि शहर में अधिकतर कोचिंग संस्थान में केवल मैट्रिक व इंटर के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, जिनको बिहार बोर्ड से परीक्षा देनी होती है.