पहली बार जिले में 21 हेक्टेयर में मोटे अनाज की हुई खेती

पहली बार जिले में इस साल मोटे अनाज की सरकारी खेती की गयी है. इसे लेकर कृषि विभाग ने जिले के अपने विभिन्न प्रखंडों के फार्मों पर मडुआ और कोदो की खेती करायी है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 20, 2024 9:34 PM

भभुआ. पहली बार जिले में इस साल मोटे अनाज की सरकारी खेती की गयी है. इसे लेकर कृषि विभाग ने जिले के अपने विभिन्न प्रखंडों के फार्मों पर मडुआ और कोदो की खेती करायी है. गौरतलब है कि मोटे अनाज की खेती को लेकर सरकार द्वारा विशेष बल दिया जा रहा है. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान पर बीज भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं. किसान पाठशाला में मोटे अनाज जैसे मडुआ, कोदो, रागी, ज्वार, बाजरा, सावां आदि के खेती के बारे में विस्तृत जानकारी देने के साथ इनसे मिलने वाले पोषण तत्वों पर भी प्रकाश डाला जा रहा है. इधर, मोटे अनाज के बारे में पूछे जाने पर जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि सरकार अधिक से अधिक मात्रा में मोटे अनाज की खेती कराना चाहती है. इसे देखते हुए इस साल जिले के कृषि फार्मों पर भी धान के साथ साथ मोटे अनाज की खेती भी करायी गयी है. भभुआ अनुमंडल के भभुआ, चांद तथा रामपुर अंचल में सात हेक्टेयर में तथा मोहनिया अनुमंडल के मोहनिया, दुर्गावती, रामगढ, मुठानी अंचलों के कृषि फार्मों पर छह हेक्टेयर में कोदो की खेती करायी गयी है. इसी तरह मडुआ की खेती भभुआ अनुमंडल में पांच हेक्टेयर में तथा मोहनिया अनुमंडल में तीन हेक्टेयर में करायी गयी है. = किसानों को मुफ्त में दिया जा रहा बीज मोटे अनाज की खेती कम पानी और कम लागत में हो जाती है. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में वर्षा की मात्रा लगातार घटती जा रही है. इसे देखते हुए मोटे अनाज की खेती फायदेमंद है. क्योंकि, कम पानी तथा कम लागत में मोटे अनाज की खेती किसान कर सकते हैं. अधिकांश मोटे अनाजों की खेती को रोपने के बजाय खेत में बीज छींट कर भी किया जाता है. इससे किसानों के जोत कोड और पटवन की लागत कम हो जाती है. मोटे अनाज के उत्पादन में कम पानी, कम रसायन और कम उर्वरक की भी आवश्यकता होती है. उन्होंने बताया कि इसके साथ साथ किसानों को मोटे अनाज के खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ विभाग द्वारा अनुदान पर बीज भी वितरित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चौरी, निन्दौर व खरौली गांव का एक क्लस्टर भी बनाया गया है, जहां किसानों को मोटा अनाज बाजरा, मकई, मडुवा, जौनरी आदि खेती के लिए मुफ्त बीज भी दिया जा रहा है. इन्सेट शुगर व दिल के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है मोटा अनाज प्र भभुआ. शुगर और दिल के रोगियों के लिए मोटा अनाज बहुत ही लाभकारी है. इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि मोटे अनाज स्वास्थ्य और पोषण का खजाना हैं. इसमें रागी, ज्वार, बाजरा, कोदो, सावां, मडुआ आदि आते हैं. मोटे अनाज पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं. बाजरा में फाइबर, प्रोटिन और कई पोषण तत्व होते हैं. यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है. ज्वार शरीर के लिए अच्छी मात्रा में कैल्शियम सहित फोलिक एसिड और कई पोषक तत्वों से भरा है. रागी में भी कैल्शियम पाया जाता है. पाचन को दुरूस्त करने में मदद मिलती है. मोटे अनाज वजन को कंट्रोल करने में भी सहायक होता है. डायबिटीज और हृदय रोग के रोगियों के लिए मोटा अनाज बहुत ही लाभकारी है. मिलाजुला कर मोटे अनाजों में गेहूं और चावल के मुकाबले इनमें खनिज पदार्थ अधिक मिलते हैं.

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