भभुआ सदर. सूबे के अन्य जिलों की तरह ही डेंगू नामक संक्रामक बीमारी ने अब कैमूर जिले में भी दस्तक दे दी है. जिले में पिछले 13 दिनों में जांच के दौरान पांच मरीजों में डेंगू होने की पुष्टि हुई है, जिसमें एक युवक चैनपुर प्रखंड के तेनौरा गांव निवासी विजय कुमार राम के 29 वर्षीय पुत्र अमित कुमार का गंभीर हालत में सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. सदर अस्पताल में बने डेंगू के अटेंडेंट बनवारी शर्मा ने बताया कि पिछले 13 दिनों में डेंगू के पुष्टि होने के बाद पांच मरीजों को डेंगू वार्ड में भर्ती किया गया है, जिनमें चार मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किये जा चुके हैं. जबकि, एक 29 वर्षीय व्यक्ति का भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. दरअसल, इन दिनों मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है. दिन में गर्मी और रात में हल्की ठंड के साथ डेंगू के मच्छरों का दस्तक शुरू हो जाता है, इसलिए इससे बचने के लिए सतर्क रहें. = लक्षणों को पहचान कर ससमय कराएं इलाज जिले में फैल रहे डेंगू के मरीजों के संबंध में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ आरके चौधरी ने बताया कि डेंगू, मलेरिया या टाइफाइड इन सब के बुखार और लक्षण लगभग एक से हैं. लेकिन, फिर भी सामान्य से अधिक तेज बुखार, तेज सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों में सूजन और तेज दर्द, हड्डियों में दर्द, उल्टी और जी मिचलाना, भूख और स्वाद ना लगना, शरीर पर काले चकत्ते पड़ जाना जैसे लक्षण दिखते ही सतर्क हो जायें. ये सब डेंगू के लक्षण हो सकते हैं. इसलिए ऐसी स्थिति में तत्काल ही चिकित्सक के पास जायें और सदर अस्पताल सहित सीएचसी में मुफ्त हो रहे डेंगू का टेस्ट जरूर करवाएं, ताकि टेस्ट से पता चल सके कि यह सामान्य डेंगू बुखार, रक्तस्रावी डेंगू या डेंगू सिंड्रोम है. इससे चिकित्सकों को भी सही इलाज करने में मदद मिलेगी और इस जानलेवा रोग से कोई नुकसान भी नहीं होगा. बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा खुद से ना दें. स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू से पीड़ित होनेवाले मरीजों के लिए फ्री एंबुलेंस सुविधा मुहैया करायी जा रही है. इसके लिए डेंगू से पीड़ित मरीज या परिजन 102 नंबर पर डायल कर सकते हैं. साथ ही इलाज, विशेष जानकारी या परामर्श व शिकायत के लिए टॉल फ्री नंबर 104 पर भी संपर्क कर सकते हैं. = डेंगू के लक्षण दिखे, तो तुरंत करे चिकित्सक से संपर्क सिविल सर्जन डॉ एसके मांझी ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि डेंगू के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. तेज बुखार आना, बदन दर्द, सिर व जोड़ों में दर्द, नाक, मसूड़ों से उल्टी के साथ खून निकलना, त्वचा पर लाल धब्बे या चकत्ते का निशान, काला पैखाना होना डेंगू के प्रमुख लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि एक स्वस्थ इंसान के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं. अगर यह एक लाख से कम हो जाये तो डेंगू भी इसका कारण हो सकता है. जरूरी नहीं कि डेंगू के मरीज की प्लेटलेट्स नीचे जाये. लेकिन प्लेटलेट्स एक लाख से कम होने पर मरीज को तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए, वहीं प्लेटलेट्स 20 हजार या उसके नीचे गिरने पर इसे चढ़ाने की जरूरत होती है. इनसेट एलिसा एसएन वन व आइजीएम किट से ही डेंगू जांच होगा मान्य = रैपिड डायग्नोस्टिक किट व आडीडी किट के परिणाम के आधार पर डेंगू मरीज की घोषणा नहीं करने का निर्देश भभुआ सदर. जिले में भी अब डेंगू का प्रकोप बढ़ने लगा है और निजी व सरकारी अस्पतालों के जांच में आये दिन डेंगू के मरीज मिल रहे हैं. लेकिन, अधिकतर जिले में एलिसा टेस्ट की जगह रैपिड डायग्नोस्टिक किट व आडीडी किट के परिणाम के आधार पर ही मरीज में डेंगू होने का लक्षण बता दिया जा रहा है, जबकि ऐसा नही है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि रैपिड डायग्नोस्टिक किट जांच से लक्षण वाले मरीज चिह्नित किये जा सकते हैं. लेकिन यह जांच डेंगू रोग को संपुष्ट नहीं कर सकता है. इसको देखते हुए अब विभाग ने डेंगू की जांच संबंधी आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं. सिविल सर्जन डॉ एसके मांझी ने इस संबंध में बताया कि विभाग से मिले दिशा निर्देश के अनुसार इसके तहत सभी निजी अस्पताल व जांच घरों को डेंगू के मरीज चिह्नित होने पर अब से सभी को विभाग को जानकारी देनी होगी. साथ ही जांच को लेकर इस्तेमाल किट से भी अवगत कराया जा सकता है, ताकि डेंगू के मरीज पाये जाने पर इसको रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाया जा सके. इधर अपर निदेशक सह वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने भी सिविल सर्जन को डेंगू की जांच जिले के निजी अस्पताल व जांच घरों में कराने से संबंधित दिशा-निर्देश दिया है. जारी पत्र में बताया गया है कि निजी अस्पतालों व जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट आरडीटी किट से करने के बाद परिणाम आते ही उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जा रहा है, जबकि भारत सरकार द्वारा डेंगू की आधिकारिक रूप से जांच की प्रक्रिया केवल एलिसा एनएस वन व आइजीएम किट से करने का निर्देश है, इसका अनुपालन किया जाये. सिविल सर्जन ने बताया कि वेक्टर जनित रोगों में वे सभी रोग आ जाते हैं जो मच्छर, मक्खी या कीट के काटने से होते हैं, जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्क्रब टायफस या लेप्टोंस्पायरोसिस आदि हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है